रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. सरगुजा संभाग में तीन हाथियों की मौत हो चुकी है, उसके बाद धमतरी से एक नन्हे हाथी की मौत की खबर आई है. इसी बीच रायगढ़ जिले से भी करंट लगने से एक हाथी की मौत की खबर मिली है. वहीं अन्य जगहों से भी गजरात की मौत की सूचनाएं मिल रही हैं. एक के बाद एक हाथियों की हो रही मौत से वन्य जीव संरक्षण विभाग के अफसर भी हैरान और परेशान हैं, तो इस मामले में कई अफसरों पर गाज भी गिरी है, जिसमें डीएफओ को हटाकर जांच कमेटी गठित कर दी गई है. इसी बीच धमतरी और रायगढ़ में भी हाथियों की मौत से अफसरों की चिंता बढ़ गई है.
नितिन सिंघवी की विशेष साक्षात्कार इसी बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी वन विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई, जिसमें एक के बाद एक हो रहे हाथियों की मौत पर कैसे रोक लगाई जा सके, उसको लेकर रणनीति बनाई गई.
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वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी से खास बातचीत
इसके पहले भी हाथियों और मनुष्य के बीच टकराव होते रहे हैं, जिसमें कभी हाथियों की मौत हुई है, तो कभी इंसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. इन दोनों को किस तरह से रोका जा सकता है. इन तमाम विषयों पर वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ETV भारत से खास बातचीत की. नितिन लगातार वन्य जीव और उनके संरक्षण पर काम करते आ रहे हैं. उन्होंने हाथियों को बचाने के लिए भी कई तरह के प्रयास किए हैं. साथ ही सरकार को भी कई सुझाव दिए हैं.
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मनुष्यों के साथ हाथियों को बचाने की भी बनानी होगी योजना
ETV भारत के साथ खास बातचीत के दौरान नितिन सिंघवी ने कहा कि सरकार हमेशा इंसान को हाथियों से बचाने के लिए योजना बनाती रही है. सरकार की योजना में मनुष्य की जान कैसे बचाई जाए, इसको लेकर रणनीति तैयार की जाती है. हाथियों को किस तरह से बचाया जाए. उसको लेकर योजना नहीं बनाई जाती है. जब तक सरकार हाथी और मानव दोनों को सामने रखकर योजना नहीं बनाएगी तब तक इस द्वंद्व युद्ध पर विराम नहीं लग सकेगा.
हाथियों से निपटने आतिशबाजी, ढोल-नगाड़े का इस्तेमाल है गलत
सिंघवी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में जब गांव में हाथियों का दल प्रवेश करता है, तो वन विभाग की ओर से उनपर फायर किया जाता है. आतिशबाजी कराई जाती है, ढोल- नगाड़े बजाए जाते हैं, यहां तक कि हाथियों को देखने मेला सा लग जाता है. यही वजह है कि हाथी क्रोधित हो जाते हैं और आत्मरक्षा में हमला कर देते हैं, जिसमें लोगों की मौत भी हो जाती है.
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शांत स्वभाव के होते हैं हाथी, इन्हें छेड़ना नहीं चाहिए
सिंघवी ने बताया कि हाथी काफी शांत स्वभाव के होते हैं यदि वे भोजन की तलाश में जंगल से गांव में आ जाते हैं तो उनके साथ लोगों को शांतिपूर्ण ढंग से व्यवहार करना चाहिए, उन्हें अपने हिसाब से विचरण करने देना चाहिए. अगर वे उनकी फसलों को खाते भी है तो चिंता की बात नहीं है क्योंकि सरकार की ओर से इसका मुआवजा दिया जाता है ऐसे में लोगों को इन हाथियों को परेशान नहीं करना चाहिए. अगर लोग हाथियों को नहीं छेड़ेंगे तो वे खुद ही कुछ समय बाद उस गांव को छोड़कर आगे निकल जाएंगे.
इंसान को हाथियों के साथ रहने की डालनी होगी आदत
सिंघवी ने कहा कि अब इंसानों को हाथी के साथ रहने की आदत डालनी होगी. मनुष्य और हाथियों में मित्रता कराने के लिए सरकार को योजना बनानी होगी. उन्होंने बताया कि पड़ोसी राज्य ओडिशा में हाथी और मनुष्य के बीच मित्रता कराने के लिए टीम तैयार की गई है, जिसके माध्यम से लोगों को बताया जाता है कि जब हाथी आपके बीच आए तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना है. हाथियों को परेशान नहीं करेंगे, तो हाथी भी उन्हें किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचाएंगे. मनुष्यों को हाथियों के साथ रहने की आदत डालनी होगी, तभी इन दोनों के बीच चल रहा द्वंद्व समाप्त हो सकेगा.
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हाथियों का व्यवहार समझने के लिए वन विभाग के पास कोई एक्सपर्ट नहीं
नितिन सिंघवी ने बताया कि वर्तमान में वन विभाग के पास हाथियों का व्यवहार समझने वाले ना तो कोई एक्सपर्ट है, न ही कोई टीम तैयार की गई है. लंबे समय के अंतराल के बाद भी अब तक प्रदेश में एक भी ऐसी टीम नहीं बनी है, जो हाथियों के व्यवहार को समझती हो. जैसे कि हाथियों को क्या पसंद है, क्या नापसंद है, उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए, उनके साथ किस तरह से पेश आना चाहिए. हर हाथियों का स्वभाव अलग-अलग होता है. विदेशों में हर हाथी के स्वभाव को जानने के लिए एक्सपर्ट की टीम लगी हुई है, लेकिन छत्तीसगढ़ में हाथियों का व्यवहार समझने वाला कोई नहीं है. जब तक इन हाथियों का व्यवहार नहीं समझा जाएगा, तब तक मनुष्य और हाथियों के बीच मित्रता कराना संभव नहीं है.
सिर्फ वर्तमान ही नहीं भविष्य को देखते हुए बनानी होगी योजना
इस पूरी बातचीत के बाद यह स्पष्ट हो गया कि अब लोगों को हाथियों के साथ रहने की आदत डालनी पड़ेगी. इसके लिए सरकार को भी वर्तमान की जगह भविष्य को देखते हुए योजना बनानी होगी, जिससे आने वाले समय में न तो हाथियों की मौत हो और ना ही मनुष्य को अपनी जान गंवानी पड़े.