छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

ETV भारत से बोले झारखंड के नव नियुक्त राज्यपाल रमेश बैस, कहा- 'जितना मिलना था सब मिल गया'

छत्तीसगढ़ से सांसद रहे रमेश बैस (Ramesh Bais) को त्रिपुरा के राज्यपाल के बाद अब झारखंड का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है. रमेश बैस से इस मौके पर ETV भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने त्रिपुरा की यादें और झारखंड को लेकर उनकी क्या रणनीति है इस बारे में जानकारी साझा की है.

Jharkhand Governor Ramesh Bais
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस

By

Published : Jul 6, 2021, 8:54 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 9:04 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ से सांसद रहे रमेश बैस (Ramesh Bais) को झारखंड का नया राज्यपाल (new governor of jharkhand) नियुक्त किया गया है. रमेश बैस से इस मौके पर ETV भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने राज्यपाल के अनुभव और त्रिपुरा की यादों के बारे में बताया है.

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस

सवाल: झारखंड हमारा पड़ोसी राज्य है, उसके निर्माण के वक्त आप केंद्र में मंत्री थे. वहां की संस्कृति और छत्तीसगढ़ में काफी समानता है. ऐसे में अब झारखंड की जिम्मेदारी मिलने पर कैसा महसूस कर रहे हैं और वहां आपकी क्या प्राथमिकता रहेगी ?

जवाब:झारखंड हमारा (छत्तीसगढ़) पड़ोसी राज्य है. उसकी संस्कृति के बारे में हमें पूरी जानकारी है. जब तीन राज्य बने थे, उसमें छत्तीसगढ़ विकास में काफी आगे रहा. लोग तुलना करते हैं कि तीन राज्य एक साथ बने लेकिन दूसरे राज्य में जितना विकास होना चाहिए उतना नहीं हो पाया. अब हमारा प्रयास रहेगा कि, वहां राज्य सरकार के साथ मिलकर जैसे छत्तीसगढ़ का विकास हुआ है, आदिवासियों की समस्या है, इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए झारखंड का भी विकास हो, इस बारे में हम चिंता करेंगे. केंद्र सरकार की जो योजनाएं राज्यों को मिलती है, ज्यादा से ज्यादा केंद्र सरकार की योजना हम झारखंड में ले जाकर वहां का विकास करेंगे. जिससे लोगों को लगे कि अगर सही ढंग से हम काम करें तो विकास हो सकता है. हमने वो करके छत्तीसगढ़ में दिखा दिया है. मुझे विश्वास है कि जब तक मैं झारखंड में रहूंगा हमेशा झारखंड की ही चिंता करूंगा.

सवाल: आप लंबे समय से त्रिपुरा के राज्यपाल रहे हैं, वहां की कौन सी खास यादें जो आपके साथ रहेगी ?

जवाब:पहली बार मैं जब त्रिपुरा में गवर्नर बनकर गया था, एक नया संविधानिक पद था. हमें उस सीमा के अंदर, नियम कानून के अंदर, काम करना पड़ता है. उसके बावजूद हमने त्रिपुरा के विकास के लिए काफी काम किया. त्रिपुरा एक अलग कोने में एक राज्य है. देश का जब बंटवारा हुआ जब पाकिस्तान बना, तो त्रिपुरा के सारे रास्ते बंद हो गए. जब तक आवागमन का साधन न हो तब तक विकास नहीं हो सकता. इसलिए हमने प्रयास करके त्रिपुरा के लिए कोलकाता से प्रोटोकॉल रूट चालू किया. अगरतला से बांग्लादेश होते हुए कोलकाता ट्रेन लाइन चालू किया. जिसके कारण सामान काफी महंगे होते थे. प्रोटोकोल रूट से जब सामान आना शुरू हुआ तो वहां सामान की कीमत भी काफी कम हुई. अब त्रिपुरा विकास की ओर बढ़ रहा है. जैसे ही आज त्रिपुरा के लोगों को पता लगा कि मेरा ट्रांसफर झारखंड हो गया, लोग फोन करके काफी निराशा व्यक्त कर रहे हैं, कि हमने अभी तक कई गवर्नर देखे लेकिन आपके जैसा गवर्नर हमने अभी तक नहीं देखा था. आप इतने कम समय में जा रहे हैं. तो मैंने उनको समझाया कि जो भी गवर्नर आएंगे वो काम करेंगे.

मोदी कैबिनेट में फेरबदल से पहले 8 राज्यों में नये राज्यपाल नियुक्त

सवाल: राज्यपाल बनने के बाद क्या आप सक्रिय राजनीति को मिस करते हैं ?

जवाब: हम राजनीति में कभी अपेक्षा लेकर नहीं आए हैं. हम जब राजनीति चालू किए जनसंघ से, हम सेवा भावना को लेकर चल रहे हैं. पार्टी का जो आदेश हुआ है हम पार्टी का आदेश मानते चले गए. पिछले समय जब टिकट नहीं मिला तब लोगों को काफी निराशा हुई. लेकिन मेरे चेहरे में कोई शिकन नहीं थी. क्योंकि हम शुरू से संगठन में काम करते रहे. संगठन की कार्यप्रणाली हमको मालूम है. पार्टी का कई नजरिया होता है. मुझे विश्वास था कि पार्टी चिंता कर रही है. कुछ दिन बाद हम गवर्नर बन गए. हमने कभी सोचा नहीं था कि हम कभी कॉन्स्टीट्यूशनल पोस्ट में जाएंगे. लेकिन हम पार्टी की बदौलत 7 बार सांसद रहे, केंद्र में मंत्री रहे, गवर्नर हुए. आदमी को और क्या चाहिए. जितना मिलना था सब मिल गया.

Last Updated : Jul 6, 2021, 9:04 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details