रायपुर: 5 जून कोविश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है. जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है. हम जानते हैं औद्योगीकरण और कई विकास कार्यों के लिए मानव निरंतर प्रकृति का दोहन करता आया है. बिना भविष्य की चिंता किए लगातार पर्यावरण को पहुंचाए गए नुकसान के नतीजे भयावह हो सकते हैं. ऐसे में जरूरत है संभलने की और पर्यावरण के बारे में विचार करने की. ETV भारत पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर लगातार अपने दर्शकों को जागरूक कर रहा है. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हमने पृथ्वी (Earth) के लगातार बढ़ते तापमान और पर्यावरण के बदलते स्वरूप को लेकर पर्यावरणविद नितिन सिंघवी (Nitin Singhavi) से बातचीत की है. उन्होंने पृथ्वी में बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर जल्द संभलने की बात कही है. उन्होंने चेताया है कि आने वाला वक्त अधिक घातक भी हो सकता है.
सवाल: क्लाइमेट चेंज क्या है ?
जवाब: जलवायु परिवर्तन(Climate change) को समझने के लिए हमें साल 1870 के समय को समझना होगा. साल 1870 में इंडस्ट्राइलाइजेशन (औद्योगीकरण) चालू हुआ.तब हमारे अर्थ(पृथ्वी) का औसत तापमान 14 डिग्री सेल्सियस था, उसके बाद हमारा डेवलपमेंट हुआ. इसके लिए हमने जो पेट्रोल डीजल कोयले के ईंधन का इस्तेमाल किया. बिजली निर्माण के लिए जिस तरह से कोयला जलाया गया. इन सभी से अत्यधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन (carbon dioxide emissions) किया गया. इसके अलावा मीथेन गैस सहित अन्य गैस वायुमंडल में समय के साथ बढ़ती गई. इसके बाद साल 1870 से लेकर साल 2020 तक डेढ़ सौ सालों में यह तापमान लगभग 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. यदि इसे अभी कंट्रोल नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह तापमान और तेजी से बढ़ेगा. (Earth Average Temperature Rising )
एक अनुमान के मुताबिक तापमान डेढ़ सौ साल में 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. लेकिन अब आने वाले 10 सालों में तापमान आधा डिग्री सेल्सियस और बढ़ जाएगा.यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2100 आने तक यह तापमान 4 से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा.
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टेंपरेचर को लेकर अंतरराष्ट्रीय समझौते
सिंघवी ने कहा कि तापमान को स्थिर करने के लिए कवायद शुरू की गई है. इसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय समझौते हुए हैं. सबसे अंतिम एग्रीमेंट पेरिस एग्रीमेंट है. जिसके तहत 195 देशों ने डिसाइड किया है कि हम टेंपरेचर को 2 डिग्री सेल्सियस तक रखेंगे, इसके लिए प्रयत्न करेंगे कि इसे डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक रोककर रखें. वर्तमान की बात की जाए तो साल 1870 से लेकर साल 2021 तक 1.2 डिग्री तापमान बढ़कर आज 15.2 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है.
सिंघवी ने कहा कि अमूमन लोग से जब कहा जाता है कि तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है तो उनका कहना होता है कि 1 डिग्री सेल्सियस से क्या फर्क पड़ता है. हम तो 45 और 47 डिग्री सेल्सियस पर भी रह लेते हैं. राजस्थान में 52 डिग्री तक तापमान पहुंच जाता है ऐसे में 1 डिग्री तापमान से क्या फर्क पड़ेगा. लेकिन उन लोगों को समझना पड़ेगा कि यह 1 डिग्री तापमान हमारे औसत अर्थ का बढ़ा है. जो हमारे लिए बहुत खतरनाक हो चुका है.
सवाल : 1 डिग्री तापमान बढ़ने से क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं. डेढ़ डिग्री और 2 डिग्री पर क्या परिवर्तन होगा.
जवाब : 1 डिग्री तापमान बढ़ने से हमारे ग्लेशियर पिघलने लगे हैं. समुद्र का लेवल हाई होने लग गया है. हमारे क्लाइमेंट एक्टिविटीज में बहुत ज्यादा इंटेंसिटी बढ़ गई है. वातावरण में बहुत बड़ा बदलाव आया है. कई जगह प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिली हैं. बाढ़ भूकंप सहित अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं इसी का उदाहरण हैं. जिसमें काफी संख्या में जनहानि हुई है. साथ ही काफी बड़े स्तर पर आर्थिक हानि भी उठानी पड़ी है. यदि यही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में देश में खाने के लिए अनाज की कमी भी हो सकती है. आज हिमालय की बर्फ पिघलने लगी है यदि तापमान इसी तरह बढ़ता रहा तो इससे मानसून भी प्रभावित होगा. जिस वजह से कई जगहों पर बारिश होगी और बाढ़ आ जाएगी. लेकिन कई जगहों पर पानी नाम मात्र गिरेगा. साथ ही गर्मी में भी काफी तेज गर्मी पड़ने लगेगी.
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बढ़ता रहा औसत तापमान को भयावह होगा भविष्य
सिंघवी ने कहा कि यदि यही तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस पहुंचता है तो यही एक्टिविटी और तेजी से बढ़ जाएगी. 2 डिग्री सेल्सियस में यह मान कर चल सकते हैं कि हिमालय की बर्फ के पहाड़ पिघलने लगेंगे. यदि हिमालय की बर्फ पिघलने लगे (snow of Himalayas melt) तो उससे संबंधित नदियों में उफान और बाढ़ आएगी. जिससे बहुत बड़ी तबाही भी मच सकती है. यदि आने वाले समय में यह स्थिति उत्पन्न हुई तो हमारे देश से बहुत से लोग अन्य देशों में जाने लगेंगे. यहां खाद्यान्न की कमी देखने को मिलेगी. यहां लेबर का अभाव रहेगा. जिससे यहां काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. इसके अलावा यदि 4 डिग्री तापमान बढ़ता है तो लोगों का घर के बाहर रहना मुश्किल हो जाएगा. 15 मिनट से ज्यादा बाहर रहना संभव नहीं होगा.
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