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कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन रहेगा जारी, पीसीसी चीफ का एलान

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि सुधार के नाम पर 3 नए कृषि कानून बनाए हैं. छत्तीसगढ़ समेत देश के विभिन्न राज्य सरकार समेत किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. विरोध लगातार तेज हो रहा है. छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार भी इस कानून का विरोध कर रही है. इस विषय पर ETV भारत ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से बातचीत की है.

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पीसीसी चीफ मोहन मरकाम से खास बातचीत

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Published : Oct 2, 2020, 8:49 PM IST

रायपुर: कृषि कानून के खिलाफ पूरे देश में विरोध के स्वर उठ रहे हैं. इसी कड़ी में गांधी जयंती के अवसर पर कांग्रेस ने अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए, प्रदेश सहित राजधानी के विभिन्न ब्लॉकों में एक दिन का धरना दिया. प्रदेश में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार सत्ता में है. कांग्रेस आगे भी कृषि बिल के विरोध में आंदोलन की तैयारी कर रही है. कांग्रेस के कृषि कानूनों के विरोध में किस तरह की रणनीति बनाई गई है. आने वाले समय में कांग्रेस किस तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी. इन सभी विषयों पर ETV भारत ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से बातचीत की है. बातचीत के दौरान PCC चीफ मोहन मरकाम ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी है.

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम से खास बातचीत

मोदी सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर कर रही काम- मरकाम

चर्चा के दौरान मोहन मरकाम ने बताया कि केंद्र सरकार के पारित किए गए सभी कृषि बिल किसानों के खिलाफ हैं. राजघरानों, उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाले कानून हैं. यही कारण है कि कांग्रेस लगातार इस बिल का विरोध करती आ रही है. मोहन मरकाम ने यहां तक कह दिया कि केद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद राज्य सरकार किसानों को धान का 2500 रुपये समर्थन मूल्य भी नहीं दे पाएगी. ना ही गरीबों को पीडीएस के तहत 1 रुपए प्रति किलोग्राम चावल मिल पाएगा. ऐसे में यह वर्ग बुरी तरह प्रभावित होंगे.

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कांग्रेस के बिल पारित होने के पहले विरोध प्रदर्शन न किए जाने के सवाल पर मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार ने पूर्व में भी साल 2014 में भूमि अधिग्रहण बिल लाया था. लेकिन बाद में पूरे देश में कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद केंद्र सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा था. मोहन मरकाम ने बताया कि साल 2014 में केंद्र की मोदी सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की बात कही थी. लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने इस रिपोर्ट को कचरे में डाल दिया है. इससे साफ जाहिर है कि भाजपा की कथनी और करनी में काफी अंतर है.

राज्य सरकार किसानों के लिए बनाएगी कानून

मोहन मरकाम ने कहा कि किसानों को लेकर राज्य सरकारों को कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन केंद्र की मोदी सरकार उसमें इस कृषि कानून के जरिए हस्तक्षेप कर रही है. यही कारण है कि केंद्रीय कृषि बिल के विरोध में कांग्रेस व्यापक स्तर पर अभियान चला रही है. और आगे भी चलाएगी. राज्य सरकार किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देगी. प्रदेश में नया कानून बनाया जाएगा जिससे किसानों को फायदा पहुंचाया जा सके.

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बीजेपी पर साधा निशाना

मोहन मरकाम ने कहा कि राज्य सरकार जल्द विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर उसमें कृषि विधेयक को लेकर नया कानून बना सकती है. इसको लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है. मोहन मरकाम ने प्रदेश के बीजेपी नेताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में काफी अंतर है. पूर्व में प्रदेश के किसानों को धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपए देने की बात करते थे. जो सरकार ने दिया भी नहीं और जब हमारी कांग्रेस की सरकार किसानों को 2500 रुपए धान का समर्थन मूल्य दे रही है तो, उसमें केंद्र की बीजेपी सरकार अड़ंगा लगा रही है. बीजेपी किसान विरोधी है.

बहरहाल नए कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस आर-पार की लड़ाई की तैयारी में है. अब देखना होगा कि कांग्रेस के इन विरोध प्रदर्शन का केंद्र की बीजेपी सरकार पर कितना असर होता है. क्या आने वाले समय में केंद्र की बीजेपी सरकार इन कृषि नए कानूनों को वापस लेगी. या फिर छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार नए कानून बनाएगी. फिलहाल नए कानूनों के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन देश भर के विभिन्न इलाकों में जारी है.

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