रायपुर: कृषि कानून के खिलाफ पूरे देश में विरोध के स्वर उठ रहे हैं. इसी कड़ी में गांधी जयंती के अवसर पर कांग्रेस ने अहिंसा का रास्ता अपनाते हुए, प्रदेश सहित राजधानी के विभिन्न ब्लॉकों में एक दिन का धरना दिया. प्रदेश में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार सत्ता में है. कांग्रेस आगे भी कृषि बिल के विरोध में आंदोलन की तैयारी कर रही है. कांग्रेस के कृषि कानूनों के विरोध में किस तरह की रणनीति बनाई गई है. आने वाले समय में कांग्रेस किस तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी. इन सभी विषयों पर ETV भारत ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से बातचीत की है. बातचीत के दौरान PCC चीफ मोहन मरकाम ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी है.
मोदी सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर कर रही काम- मरकाम
चर्चा के दौरान मोहन मरकाम ने बताया कि केंद्र सरकार के पारित किए गए सभी कृषि बिल किसानों के खिलाफ हैं. राजघरानों, उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाले कानून हैं. यही कारण है कि कांग्रेस लगातार इस बिल का विरोध करती आ रही है. मोहन मरकाम ने यहां तक कह दिया कि केद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद राज्य सरकार किसानों को धान का 2500 रुपये समर्थन मूल्य भी नहीं दे पाएगी. ना ही गरीबों को पीडीएस के तहत 1 रुपए प्रति किलोग्राम चावल मिल पाएगा. ऐसे में यह वर्ग बुरी तरह प्रभावित होंगे.
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कांग्रेस के बिल पारित होने के पहले विरोध प्रदर्शन न किए जाने के सवाल पर मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार ने पूर्व में भी साल 2014 में भूमि अधिग्रहण बिल लाया था. लेकिन बाद में पूरे देश में कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद केंद्र सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा था. मोहन मरकाम ने बताया कि साल 2014 में केंद्र की मोदी सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की बात कही थी. लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने इस रिपोर्ट को कचरे में डाल दिया है. इससे साफ जाहिर है कि भाजपा की कथनी और करनी में काफी अंतर है.