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Baalveer: खेलने-कूदने की उम्र में बना दिया सोना-सारा सिस्टर्स बैंड, बेटियों ने किया पिता के सपने को साकार - ETV Bharat Baalveer story

ईटीवी भारत बालवीर (ETV Bharat Baalveer) श्रृंखला में मिलिए नन्ही सोना-सारा से जिन्होंने जन्मदिन पर दिए गये पिता के तोहफे से खड़ा कर दिया सोना-सारा सिस्टर्स बैंड (Sona-Sara Sisters Band), जो आज पूरे मध्य भारत में धूम मचा रहा है.

The Sarah Sisters Band made gold in the age of playing jump
खेलने कूदने की उम्र में बना दिया सोना-सारा सिस्टर्स बैंड

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Published : Nov 12, 2021, 9:30 PM IST

छिंदवाड़ा/रायपुर:ईटीवी भारत बालवीर (ETV Bharat Baalveer) श्रृंखला के तहत आपको मिलवाते हैं छिंदवाड़ा (Chindwada) केसोना-सारा सिस्टर्स बैंड की सोना और सारा से जिनके मुंह से भले ही तोतली भाषा निकलती हो लेकिन हाथ इनके सुरों की जादूगरी बिखेरते हैं. चार साल की ड्रमर और सात साल की पियानो प्लेयर की जुगलबंदी देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.

सोना सारा ने किया पिता के सपने को साकार


3 साल की उम्र में पापा ने दिया उपहार, बेटियों ने सपना कर दिया साकार

छिंदवाड़ा में पुलिस की नौकरी कर रहे अनिल विश्वकर्मा ने बड़ी बेटी सोना विश्वकर्मा के तीसरे जन्मदिन पर उसे पियानो गिफ्ट में दिया था. दरअसल, अनिल विश्वकर्मा को संगीत का शौक है, लेकिन उन्होंने कभी संगीत नहीं सीखा इसलिए वे अपनी बेटियों को संगीत सिखाना चाहते थे. पिता के मोटीवेशन पर बेटी ने भी उनका सपना साकार करना शुरू कर दिया और महज कुछ ही महीनों में बड़ी बेटी ने पियानो बजाना सीख लिया. बाद में जब दूसरी बेटी सारा 3 साल की हुई पापा अनिल ने उसे ड्रम उपहार में दिया और सारा ने भी महज 6 महीने में ही ड्रम पर हाथ आजमाना शुरू किया दिया.

महज 3 साल की उम्र से शुरू किया गाना-बजाना

सोना और सारा दोनों बहनों ने महज 3 साल की उम्र से ही गाना-बजाना शुरू कर दिया था. सोना फिलहाल 7 साल की है और दूसरी कक्षा में पढ़ती है. वहीं उनकी छोटी बहन सारा 4 साल की है जो, यूकेजी में पढ़ती है. दोनों बहनें हर दिन घर में 3 घंटे संगीत का रियाज करते हैं.

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बना दिया खुद का सोना-सारा सिस्टर्स बैंड

दोनों बहनों की जुगलबंदी बनी रहे इसके लिए अब उन्होंने अपने बैंड का नाम सोना-सारा सिस्टर्स बैंड (Sona-Sara Sisters Band ) रखा है. बच्चियों की संगीत के प्रति लगन को देखते हुए पिता ने भी उनके लिए एक संगीत शिक्षक नियुक्त किया है जो उन्हें लगातार संगीत सिखा रहे हैं.

लॉक डाउन का किया उपयोग, दोनों बहनों की जुगलबंदी हुई कामयाब

सारा-सोना के परिवार वाले बताते हैं कि लॉकडाउन में दोनों बहन लगातार रियाज करती थीं. लॉकडाउन का सही उपयोग इन्होंने ही किया. अपने रोज के कामों के बाद दिन में वे अकसर रियाज करतीं और घरवालों का मनोरंजन भी करती रहती थीं. इसी के चलते उन्होंने गायकी और संगीत में अपनी अलग पहचान बना ली.

शुरुआत सोशल मीडिया से की, अब ट्रेनिंग ले रही हैं सोना-सारा

शुरुआती तौर पर दोनों बेटियों ने सोशल मीडिया से पियानो और ड्रम बजाने शुरू किया. धीरे-धीरे जब बेटियों को वाद्य यंत्रों की समझ हो गई, तो बाद में संगीत शिक्षक लगा दिए गए जो अब घर पर ही सारा और सोना को संगीत की शिक्षा देते हैं. सोना-सारा बताती हैं कि संगीत शिक्षक सप्ताह में एक बार आते हैं और उन्हें असाइनमेंट देकर चले जाते हैं उसी पर लगातार रियाज करती हैं. संगीत की दुनिया में नाम कमाने के साथ-साथ आगे एक अच्छा इंसान भी बनना चाहती हैं.

कई स्टेज शो कर चुकी हैं, कई संस्थाएं कर चुकी हैं सम्मानित

बड़ी बहन सोना विश्वकर्मा पियानो बजाने के साथ ही अच्छी गायक भी हैं. सोना मध्य प्रदेश स्थापना दिवस (MP Formation Day) पर आयोजित समारोह कॉर्न फेस्टिवल सहित कई आयोजनों में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं कई संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है. वहीं, छोटी बहन सारा भी 15 अगस्त के दौरान स्टेज शो कर चुकी हैं.

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