रायपुर :आय से अधिक संपत्ति और राज द्रोह के मामले में घिरे निलंबित आईपीएस ऑफिसर (ips officer) जीपी सिंह सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद बुधवार दोपहर ईओडब्ल्यू (eow) के ऑफिस पहुंचे हैं. उनके साथ उनका वकील भी मौजूद है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) की उस ऑर्डर की कॉपी सौंपी, जिसमें उनकी गिरफ्तारी की रोक को लेकर ऑर्डर जारी किया गया है. बता दें कि 26 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने जीपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी. सर्वोच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर रोक लगने के बाद बुधवार को जीपी सिंह आदेश की कॉपी लेकर ईओडब्ल्यू दफ्तर पहुंचे हैं. जहां जीपी से बंद कमरे में पूछताछ की जा रही है. गौरतलब है कि आय से अधिक संपत्ति और अन्य मामले में ईओडब्ल्यू ने जीपी को तीन बार नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह नहीं पहुंचे थे. अब चौथी बार नोटिस मिलने के बाद निलंबित आईपीसी ईओडब्ल्यू के दफ्तर पहुंचे हैं. ताजा जानकारी के अनुसार उनसे ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने बंद कमरे में करीब 4 घंटे तक पूछताछ की. पूछताछ के बाद जीपी सिंह यहां से बाहर निकल गए. इस दौरान मीडिया ने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मीडिया कर्मियों से बात करने से इंकार कर दिया.
छापे के बाद दर्ज हुआ था जीपी पर मामला
ईओडब्ल्यू और एसीबी ने जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर 1 जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था. इस दौरान राजनांदगांव, उड़ीसा समेत 15 अन्य ठिकानों पर एक साथ एसीबी की टीम ने छापेमारी की थी. करीब 68 घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान 10 करोड़ से अधिक की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से कई अहम दस्तावेज भी मिले थे. इन्हीं को राजद्रोह का साक्ष्य माना गया था. छापे से मिली संपत्ति के आधार पर उन पर एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई. जिसके आधार पर शासन ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड किया. उसके बाद 8 जुलाई की रात जीपी सिंह के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ कोतवाली थाने में राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया.
पुलिस ने कोर्ट में जीपी के खिलाफ 400 पन्ने का पेश किया था चालान
आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस 19 अगस्त को बिना गिरफ्तारी के कोर्ट पहुंच गई थी. न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ओम प्रकाश साहू की अदालत में उस दिन पुलिस ने 400 पन्नों का चालान पेश किया था. कोर्ट में पेश किये गए चालान में पुलिस ने दावा किया था कि आईपीएस के रायपुर स्थित सरकारी बंगले में प्रदेश के सभी विधानसभाओं की सर्वे रिपोर्ट मिली है. जिसमें कौन से विधानसभा क्षेत्र में सरकार की क्या स्थिति और किस विधानसभा क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोगों में नफरत कैसे पैदा की जा सकती है, इसका पूरा ब्योरा था.
जीपी ने छापे के दौरान फाड़कर फेंक दिये थे 12 पन्ने
निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के घर एसीबी ने 1 जुलाई को छापेमारी की थी. चालान में पुलिस ने दावा किया है कि बंगले से 46 पन्ने और डायरी मिले हैं. जिसमें ज्यादार पन्नों में जाति और समुदाय का जिक्र किया गया है. जिसमें कैसे एक-दूसरे को आपस में उलझाया जाए, इसका पूरा ब्योरा था. इसके अलावा जीपी सिंह ने 12 पन्नों को छापे के दौरान दीवार के पार गटर में फेंक दिया था. जीपी को दस्तावेज फेंकते हुए एसीबी के दो कर्मचारियों ने देख लिया था. वे तुरंत पीछे गए और गटर से दस्तावेज निकाल लाये थे. सभी दस्तावेज फटे हुए मिले, जिसे पुलिस ने एक-एक टुकड़े को पढ़ने लायक बनाया. उसमें आम जनता को भड़काने के बारे में लिखा है.
विभिन्न धर्मों व जातियों में घृणा भड़काने का आरोप
पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश किए गए चालान में लिखा है कि जीपी सिंह के बंगले से मिले दस्तावेज और डायरियो में विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच घृणा व शत्रुता फैलाने के आरोप हैं. इसके साथ ही उन पर अपने करीबियों के माध्यम से शत्रुता, घृणा वैमनस्य और नफरत भी फैलाने के आरोप हैं. जिस पर पुलिस ने निलंबित अफसर जीपी सिंह के खिलाफ धारा 505 (2) को अतिरिक्त जोड़ा है. कहा जा रहा है कि इस मामले में भी जीपी सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
जीपी पर ऐसे हुई कार्रवाई
- 1 जुलाई की सुबह 6:00 बजे यूपी के सरकारी बंगले पर छापा.
- राजनांदगांव, भिलाई और उड़ीसा समेत 15 ठिकानों पर करीब 68 घंटे लगातार चली कार्रवाई.
- 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले से कई अहम दस्तावेज मिले.
- 5 जुलाई को ईओडब्ल्यू ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज कराई.
- एफआईआर के बाद देर रात शासन ने 5 जुलाई को जीपी को सस्पेंड किया.
- 8 जुलाई को जीपी के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया.
- 9 जुलाई को जीपी में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की, जिसमें सीबीआई जांच की मांग की थी.
- जीपी की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने पिछले दिनों कई ठिकानों में छापे मारे.
- इसके बाद पूछताछ के लिए थाने आकर बयान दर्ज कराने तीन बार नोटिस जारी किया.
- उसके बाद कोतवाली पुलिस ने रायपुर कोर्ट में 19 अगस्त को 400 पन्नों का चालान पेश किया.