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SPECIAL : काल के गाल में समा रहे ग्रामीण, कब थमेगा हाथियों का आतंक - हाथियों का उत्पात

छत्तीसगढ़ में हाथियों का उत्पात एक बड़ा मुद्दा है. सत्ता बदली, लेकिन पिछले तीन दशकों से हाथी की समस्या का हल नहीं निकल पाया है. नेता केवल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

Elephant problem becomes a challenge in Chhattisgarh
कब निकलेगा हाथी की समस्या का हल ?

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Published : Jan 19, 2020, 8:08 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर, कोरबा, रायगढ़ और महासमुंद जैसे जिले में हाथियों के आतंक से लोग काफी परेशान हैं. बीते सालों में कई लोग हाथी की चपेट में आकर जान गवां चुके हैं. वहीं फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है.

हाथी की समस्या बनी चुनौती

सत्ता बदली, लेकिन समस्या आज भी जस की तस है. वन विभाग के हथकंडे भी हाथियों को खदेड़ने में नाकाम साबित हुए हैं.

'वन विभाग हाथी को बता रहा है विलन'
वाइल्ड लाइफ के जानकार और पशु प्रेमी नितिन सिंघवी मानते हैं कि 'वन क्षेत्र के लगातार घटने और खनन होने के कारण हाथी रिहायशी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं. हाथी की समस्या के लिए कहीं न कहीं हम सभी जिम्मेदार हैं.' साथ ही उन्होंने बताया कि 'हाल ही में सामने आए गणेश हाथी के मसले में वन विभाग का जो रुख था. इससे साफ लगता है कि प्रदेश का वन अमला इस समस्या के लिए हाथी को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है.'

'कई साल में नहीं हुई इतनी बड़ी कार्रवाई'
वहीं वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि 'पिछले सालों में हाथियों के लिए इतना काम नहीं हुआ था जितना कांग्रेस सरकार ने किया है.' उन्होंने कहा कि 'मुआवजा देना कोई स्थायी हल नहीं है और वन विभाग लगातार हाथियों पर नियंत्रण का प्रयास कर रहा है.'

'कांग्रेस सरकार बताएं 1 साल में क्या कदम उठाए ?'
इधर, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि 'हाथियों को लेकर बीजेपी सरकार ने कई काम किए हैं.' उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस सरकार बताएं कि उन्होंने पिछले 1 साल में हाथियों की समस्या को लेकर क्या कदम उठाए हैं.'

फसलों को चट करते हाथी

फैक्ट फाइल

  • लोकसभा में अगस्त 2019 में प्रस्तुत एक आंकड़े के मुताबिक पिछले 3 सालों में छत्तीसगढ़ में 204 से अधिक लोगों की मौत हाथियों के कुचलने से हुई है.
  • छत्तीसगढ़ में 2016-17 में 74 मौत, 2017-18 में 74 मौत और 2018 से 31 मार्च 2019 तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है.
  • छत्तीसगढ़ हाथियों की वजह से होने वाली मौत के मामले में देश में चौथे स्थान पर है.
  • 10 साल में 64 करोड़ खर्च करने के बाद भी मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है.
  • साल 2018 में 1307 करोड़ खर्च किए गए, लेकिन इसके बाद भी मौतों की संख्या में कमी नहीं आई.

लिहाजा, छत्तीसगढ़ में हाथी की समस्या एक बड़ी चुनौती है.

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