रायपुर:छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर, कोरबा, रायगढ़ और महासमुंद जैसे जिले में हाथियों के आतंक से लोग काफी परेशान हैं. बीते सालों में कई लोग हाथी की चपेट में आकर जान गवां चुके हैं. वहीं फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है.
सत्ता बदली, लेकिन समस्या आज भी जस की तस है. वन विभाग के हथकंडे भी हाथियों को खदेड़ने में नाकाम साबित हुए हैं.
'वन विभाग हाथी को बता रहा है विलन'
वाइल्ड लाइफ के जानकार और पशु प्रेमी नितिन सिंघवी मानते हैं कि 'वन क्षेत्र के लगातार घटने और खनन होने के कारण हाथी रिहायशी इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं. हाथी की समस्या के लिए कहीं न कहीं हम सभी जिम्मेदार हैं.' साथ ही उन्होंने बताया कि 'हाल ही में सामने आए गणेश हाथी के मसले में वन विभाग का जो रुख था. इससे साफ लगता है कि प्रदेश का वन अमला इस समस्या के लिए हाथी को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है.'
'कई साल में नहीं हुई इतनी बड़ी कार्रवाई'
वहीं वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि 'पिछले सालों में हाथियों के लिए इतना काम नहीं हुआ था जितना कांग्रेस सरकार ने किया है.' उन्होंने कहा कि 'मुआवजा देना कोई स्थायी हल नहीं है और वन विभाग लगातार हाथियों पर नियंत्रण का प्रयास कर रहा है.'
'कांग्रेस सरकार बताएं 1 साल में क्या कदम उठाए ?'
इधर, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि 'हाथियों को लेकर बीजेपी सरकार ने कई काम किए हैं.' उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस सरकार बताएं कि उन्होंने पिछले 1 साल में हाथियों की समस्या को लेकर क्या कदम उठाए हैं.'