रायपुर :बिजली विभाग का एक बड़ा मामला सामने आया है. आम लोग यदि 1000-2000 रुपए का बिजली बिल जमा न करें तो उनका कनेक्शन काटने विभाग के कर्मचारी घर, दफ्तर और दुकान पहुंच जाते हैं. लेकिन बड़े कारोबारी और बकायेदारों का कनेक्शन काटने की हिम्मत विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों में नहीं है. यही कारण है कि प्रदेश के कई बड़े उद्योगपति, व्यवसायी, बिल्डर और होटल संचालकों का लाखों-करोड़ों का बिल बकाया होने के बाद भी न तो उनसे राशि की वसूली की गई न ही अब तक उनका कनेक्शन काटा गया.
विधानसभा में भी जानकारी से हुआ मामले का खुलासा
इस बात का खुलासा विधानसभा से मिली जानकारी में हुआ है. विधानसभा सत्र के दौरान विधायक डमरूधर पुजारी ने सवाल उठाया था, जिसमें उन्होंने बकाया बिल से संबंधित जानकारी मांगी थी. डमरूधर के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह जानकारी लिखित रूप में दी है. जानकारी के मुताबिक साल 1975 से अब तक ऐसे 141 बड़े बकायेदार शामिल हैं, जिन्होंने 407 करोड़ 42 लाख 46 हजार रुपये के बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है. इन उपभोक्ताओं में कई बड़े उद्योगपति-बिल्डर और होटल संचालक भी शामिल हैं. इन सभी ने साल 1975, 1986, 1990, 1991 और 1992 से लेकर 2021 तक 46 वर्ष में भी बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है.
दर्जनों बड़े-बड़े उद्योग संचालकों ने करोड़ों का बिल नहीं किया भुगतान
ईटीवी भारत को ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिसके मुताबिक कई ऐसी कंपनियां और संस्थान हैं जिन्होंने 10 लाख से करोड़ों रुपये के बिजली का भुगतान नहीं किया है. इसमें जून 1975 से मैसर्स महाकौशल री-रोलिंग उरला का बकाया बिजली बिल 12 लाख 65 हजार, मई 1986 से मैसर्स एमपी एलाय कास्टिंग बिलासपुर का 28 लाख 48 हजार, 1990 से मैसर्स बालको स्मेल्टर प्लांट कोरबा का 1 करोड़ 8 लाख 43 हजार, मई 1992 में मैसर्स एलायाड स्टील लिमिटेड रायपुर का 85 लाख 32 हजार एवं मैसर्स रायपुर स्टील मोल्डिंग उरला का 32 लाख 64 हजार और 1986 से मैसर्स सिंघानिया स्टील लिमिटेड उरला रायपुर का 32 लाख 28 हजार रुपए के बिल का भुगतान अब तक नहीं हुआ है.