छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Electricity price hiked in Chhattisgarh :क्या छत्तीसगढ़ में दाम बढ़ाकर घाटा कम करेगी कंपनियां ?

छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनियों (Chhattisgarh State Power Distribution Company Limited) ने अपने टैरिफ में इजाफा किया है. जिसके बाद ये बात सामने आ रही है कि घाटे में चल रही कंपनियां आम जनता की जेब से पैसा निकालकर मुनाफे में आएंगी.

Etv BharatElectricity price hiked in Chhattisgarh
Etv Bharatक्या छत्तीसगढ़ में दाम बढ़ाकर घाटा कम करेगी कंपनियां ?

By

Published : Aug 5, 2022, 2:23 PM IST

Updated : Aug 5, 2022, 5:58 PM IST

रायपुर : प्रदेश में बिजली टैरिफ में बड़ा बदलाव किया गया है, बिजली के दाम बढ़ाए गए (Electricity price hiked in Chhattisgarh) हैं.इसका सीधा असर जनता पर पड़ने वाला है. लेकिन इन बढ़े हुए बिजली दामों को लेकर अब कई सवाल भी खड़े हो गए हैं. जैसे क्या इस बढ़े दाम से सरकार बिजली घाटे को कम करने की कोशिश कर रही है. क्या बिजली बिल हाफ (Electricity Bill Half Scheme in Chhattisgarh) का सरकार की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है. बिजली बिल हाफ का कितना लोगों को लाभ मिला है इसके लिए कितनी राशि भुगतान की गई है. इन सारे सवालों के जवाब के लिए ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड (Chhattisgarh State Power Distribution Company Limited) के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज खरे से बात की. मनोज खरे ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी.

क्या छत्तीसगढ़ में दाम बढ़ाकर घाटा कम करेगी कंपनियां ?
बिजली दर बढ़ने से किसे फायदा और किसे नुकसान : बिजली की दरों में हाल ही में की गई बढ़ोतरी को लेकर छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज खरे ने बताया कि '' छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में मामूली वृद्धि हुई है. लगभग 2 से 3% की वृद्धि की गई है . जो सामान्य घरेलू उपभोक्ता हैं. वैसे भी उन्हें कम दर पर बिजली मिलती है और सरकार के द्वारा भी हाफ बिजली बिल योजना चलाई जा रही है. जिसके तहत 400 यूनिट तक बिजली बिल हाफ हो जाता है. इन दिनों छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में शामिल है. जहां सबसे कम बिजली की दर हैं. वही विद्युत उत्पादन लागत को लेकर मनोज खरे ने कहा कि उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है । इसके बावजूद सरकार सब्सिडी देती है. उसके कारण कम दर पर बिजली उपलब्ध करा पा रहे हैं. क्यों किया गया कंपनियों का विलय : वही दो कंपनियों का विलय कर 5 की जगह 3 कंपनी बनाए जाने पर मनोज खरे ने बताया कि '' छत्तीसगढ़ में शुरुआत में पांच कंपनी बनाई गई थी. क्योंकि विद्युत मंडल का जो विखंडन हुआ था. उस समय विद्युत मंडल की बहुत सी लाइबिलिटीज को कवर करने के लिए होल्डिंग कंपनी बनाई गई थी. फिर सरकार के देखने में आया कि ज्यादा कंपनी रखने से खर्चे बढ़ गए हैं. इसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए अब पांच की जगह तीन कंपनियां कर दी गई हैं.


कंपनी मर्ज करने से क्या हुआ फायदा : क्या कंपनी को मर्ज करने के बाद खर्चे में कुछ कमी आई है, इस सवाल में जवाब में मनोज खरे ने कहा कि '' अभी कंपनियों को मर्ज किया गया है इसकी प्रक्रिया चल रही है. अभी यह प्रक्रिया जारी है, इसका असर आने वाले कुछ समय बाद पता चल सकेगा. वर्तमान में तीन कंपनियां ही काम कर रही हैं.''


कोयले के बढ़े दामों से कितनी दिक्कत : वहीं कोयले के बढ़े दाम और आपूर्ति के बाद क्या बिजली उत्पादन में किसी तरह की कोई परेशानी आई है. इसके जवाब में मनोज खरे ने कहा कि कुछ राज्यों में दिक्कतें जरूर है. लेकिन छत्तीसगढ़ में इसका असर नहीं हुआ है. क्योंकि कोयला छत्तीसगढ़ में उपलब्ध है. इसलिए इसका ज्यादा असर छत्तीसगढ़ में नहीं पड़ सकता है.

बकायादारों को लेकर क्या है कंपनी की सोच : बकायेदारों से बिजली बिल वसूली बिजली विभाग के लिए एक बड़ी समस्या है. इसके जवाब में मनोज खरे ने कहा कि '' विद्युत मंडल की यह एक सतत प्रक्रिया है , सरकार के द्वारा बकाये राशि का काफी हद तक भुगतान कर दिया गया है. जिस वजह से बकायादारों को लेकर प्रदेश में कोई समस्या नहीं है.'' वहीं उद्योगों के बकाया राशि की स्थिति को लेकर मनोज खरे ने कहा कि '' उद्योगों से इतनी ज्यादा परेशानी नहीं होती है. जब कोई कंपनी दिवालिया हो जाती है तभी राशि वसूली में दिक्कत आती है.कोरोना काल में प्रभाव जरूर पड़ा था, लेकिन अब धीरे-धीरे सब रिकवर हो रहा है.''

कितने उपभोक्ताओं का बिल है बकाया :प्रदेश में मई 2022 तक लगभग 60 लाख 40 हजार उपभोक्ताओं से 2310 करोड़ की राशि वसूलना बाकी है. जिसमें घरेलू उपभोक्ताओं सहित व्यापारी उद्योगपति और शासकीय उपक्रम शामिल हैं. छत्तीसगढ़ में घरेलू उपभोक्ताओं पर भी ऊर्जा प्रभारों में वृद्धि हो गयी है. ऊर्जा प्रभार अब 8 प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत हो गया है. वहीं 3% की बढ़ोत्तरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए की गयी है. वहीं गैर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 12% प्रतिशत से बढ़ाकर 17% किया गया है. सीमेंट उद्योग के लिए ऊर्जा भार को 15% से बढ़ाकर 21% किया गया है. वहीं 25 हॉर्सपावर तक के एलटी उद्योगों के लिए 3% से बढ़ाकर 4% किया गया है. मिनी स्टील प्लांट और फेरो एलॉयज इकाईयों के लिए ऊर्जा प्रभार 6% से बढ़ाकर 8% प्रतिशत किया गया, वहीं आटा चक्की, आईल, थ्रेसर, , एक्सपेलर के लिए 3% से बढ़ाकर 4% किया गया. कोयला और ईंधन की दरों में वृद्धि के कारण ऊर्जा प्रभार में बढोत्तरी की जा रही है.

घरेलू सहित सभी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा अतिरिक्त भार :छत्तीसगढ़ बिजली नियामक आयोग ने बिजली की नई दरें घोषित कर दी हैं. घरेलू बिजली की दरों में 10 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है, वहीं उद्योगों के लिए बिजली की दर में 15 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है. वहीं, पोहा और मुरमुरा के लिए 5 प्रतिशत की छूट दी गई है. वहीं प्रदेश सरकार की हाफ बिजली बिल योजना से 42 लाख उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिला है. उन्हें 2447 करोड़ रुपए की बिजली बिल में छूट प्रदान की जा चुकी है. राज्य सरकार इस योजना में 400 यूनिट तक की बिजली बिल में आधी राशि की छूट दे रही है.

बिजली बिल हाफ योजना की विशेषताएं

अधिक बिजली बिल से छुटकारा:- इस योजना के शुरू होने से जिन घरेलू उपभोक्ताओं का बिजली बिल अधिक आता था, उन्हें अब इससे छुटकारा मिल गया है. अब उन्हें इसके लिए ज्यादा पैसे नहीं देने होते हैं.

50% बिजली बिल में छूट:- इस योजना की मुख्य विशेषता यह है कि इस योजना में राज्य के नागरिकों को बिजली के बिल में 50% की छूट प्रदान की गई है. यानि अब लोगों को जहां 1000 रूपये देने होते थे, अब उन्हें केवल 500 रूपये देने होते हैं.

400 यूनिट बिजली की खपत पर छूट :- इस योजना में 50% बिजली की छूट उन लोगों को दी गई हैं, जो 400 यूनिट बिजली की खपत करते हैं. इससे ज्यादा बिजली की खपत करने वालों को कोई भी छूट नहीं दी गई है.

अधिक बिजली की खपत करने वालों के लिए :- यदि कोई व्यक्ति 401 से 1000 यूनिट तक की बिजली की खपत करता है, तो उसे भी इस योजना में कुछ छूट दी गई है जोकि 25% है.

योजना का उद्देश्य :- इस योजना को शुरू कर इसमें बकाया बिजली बिल का भुगतान नहीं करने वालों को योजना का लाभ नहीं देने का निर्णय, सरकार ने समय पर बिजली बिल का भुगतान करने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए लिया है. और यही इस योजना का मुख्य उद्देश्य भी है..

नियमित भुगतान :-इस योजना का लाभ लेने के बाद यदि उपभोक्ता नियमित रूप से बिजली का भुगतान नहीं करता हैं. तो फिर उसे आगे योजना का लाभ मिलना बंद हो जायेगा.

उपभोक्ताओं को आर्थिक तौर पर राहत :- इस योजना से ऐसे घरेलू उपभोक्ता जिनकी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है, उन्हें विशेष रूप से राहत मिल रही हैं.

छत्तीसगढ़ में कितनी बिजली कंपनियां :छत्तीसगढ़ में पहले बिजली क्षेत्र में 5 सरकारी कंपनियां (power companies in chhattisgarh) थी. जिसमें से घाटे में चल रही 2 कंपनियों के विलय किया गया. 1 मई 2022 को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. इस योजना के मुताबिक स्टेट पॉवर होल्डिंग कंपनी का विलय स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी में कर दिया जाएगा. वहीं पॉवर ट्रेडिंग कंपनी का विलय स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में किया जाएगा. विलय के बाद प्रदेश में 3 सरकारी बिजली कंपनियां रह गईं.

रोलिंग मिलों को ऊर्जा प्रभार में 24 प्रतिशत की छूट :छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य की स्टेंड एलोन रोलिंग मिलों को ऊर्जा प्रभार में 9 माह तक के लिए 24 प्रतिशत की विशेष छूट दिए जाने का निर्णय लिया है. छत्तीसगढ़ शासन के ऊर्जा विभाग मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के तहत रोलिंग मिलों को 01 जुलाई 2022 से 31 मार्च 2023 तक की कालावधि में खपत की गई बिजली की मात्रा पर देय ऊर्जा प्रभार में 24 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई है. छत्तीसगढ़ में 175 रोलिंग मिलें हैं. रायपुर में 125 मिलें संचालित हैं. कोयला के दामों में लगातार वृद्धि और महंगी बिजली के कारण रोलिंग मिलों का संचालन प्रभावित हुआ है.

आयोग ने कितना घाटा किया है मान्य :छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी ने विगत वर्षों के 248 करोड़ राजस्व घाटे की मांग की है. जिसे आयोग ने मंजूरी दे दी है. छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत पारेषण कंपनी ने विगत वर्षों के 136 करोड़ के राजस्व घाटे की मांग की थी. लेकिन आयोग ने इसके स्थान पर 96 करोड़ राजस्व आधिक्य का अनुमोदन किया है. पूर्व वर्षों के घाटे और वर्ष 2022-23 के लिए बिजली की अनुमानित बिक्री पर प्रचलित टैरिफ से अनुमानित राजस्व के आधार पर, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी (सीएसपीडीसीएल) ने 725 करोड़ राजस्व घाटे का दावा किया है. संपूर्ण विश्लेषण के बाद आयोग ने 725 करोड़ के घाटे के स्थान पर 108 करोड़ को ही मान्य किया है.

कितने घाटे में चल रहीं हैं बिजली कंपनियां :राज्य के स्वामित्व वाली तीनों विद्युत कंपनियों द्वारा अपने टैरिफ याचिका में प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2022-23 के लिए 1004 करोड़ के राजस्व घाटे की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया था. जिसके स्थान पर आयोग ने 386 करोड़ राजस्व घाटे का अनुमोदन किया है. विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा मांग की गई वार्षिक राजस्व आवश्यकता रूपए 19336.76 करोड़ को घटाकर रूपए 17115.85 करोड़ मान्य किया गया है.

औसत विद्युत लागत दर 6.22 रुपये है निर्धारित :उपरोक्तानुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए आयोग द्वारा आकलित औसत विद्युत लागत दर रूपये 6.22/- निर्धारित होती है. वर्ष 2021-22 की प्रचलित दर से औसत विद्युत बिलिंग दर रू6.08/- आती है. जो कि आकलित औसत विद्युत लागत दर रूपये 6.22/- से 14 पैसे कम है. अतः इस कमी की भरपाई के लिए औसत 14 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की आवश्यकता है.

घाटे से कैसे उबरेंगी बिजली कंपनियां :राज्य को विद्युत कंपनियों द्वारा प्रस्तावित कुल राजस्व घाटे रू.1004 करोड़ की भरपाई की जाती तो टैरिफ में औसतन 5.39 प्रतिशत की वृद्धि करने की आवश्यकता पड़ती. आयोग ने विद्युत दरों में औसत 2.31 प्रतिशत की वृद्धि अनुमोदित की है. लेकिन राज्य की विद्युत कंपनियों ने प्रस्तावित राजस्व घाटे रूपये 1004 करोड़ के स्थान पर आयोग द्वारा राजस्व घाटा रूपये 386 करोड़ ही मान्य किया है. जिसके बाद वर्तमान प्रचलित दर से विद्युत दरों में औसत 2.31 प्रतिशत की वृद्धि अनुमोदित की गई है.

अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में बिजली की दर है कम : विधायक एवं संसदीय सचिव विकास उपाध्याय कहना है कि '' प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल हाफ योजना का लाभ दिया जा रहा है. यह सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. बिजली के दाम बढ़ने को लेकर विकास ने कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में बिजली की दर काफी कम है.''

बिजली बिल जगह बिजली हो गया हॉफ :वहीं भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास कहना है कि '' कांग्रेस की कथनी और करनी में कितना बड़ा अंतर है, इस बात को प्रदेश की जनता पिछले साढे 3 साल से भलीभांति महसूस कर रहे हैं. कर्जा माफ बिजली बिल हाफ, इस नाम से इन्होंने चुनाव जीता, बंपर वोट पाया और अब हाल यह है कि अब बिजली की दरों में टैरिफ में लगातार इजाफा हो रहा है. विधानसभा के सत्र में संशोधित करके बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई है ,और कहीं ना कहीं इसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा. छत्तीसगढ़ सर प्लस बिजली उत्पादन वाला राज्य है. यहां से 5 राज्यों को बिजली बेचते थे और अब दिया तले अंधेरा हो गया है. ऐसे हालात नहीं थे कि बिजली के दाम बढ़ाए जाए.''

बिजली कंपनियों को घाटा काम करने सरकार की है कवायद ? : वहीं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि ''हाल ही में बढ़ाए गए बिजली के दाम कहीं ना कहीं विद्युत कंपनियों को हो रहे घाटे को कम करने के लिए हैं. सरकार खुद कह रही है कि उसे करोड़ों रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है. इस बात का जिक्र विधानसभा में भी किया गया है. जिसके बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा में विद्युत शुल्क संशोधन विधेयक 2022 सदन में पास किया गया. कयास लगाए जा रहे हैं कि बिजली दर में की गई इस बढ़ोतरी से विद्युत कंपनियों को हो रहे घाटे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है.''

Last Updated : Aug 5, 2022, 5:58 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details