रायपुर: रायपुर में 7 से अधिक वृद्धाश्रम है, जहां पर बुजुर्ग चैन से रहकर अपना जीवन गुजार रहे हैं. कई बुजुर्ग अपने परिवार से अकेलेपन के कारण यहां पर रहने को मजबूर हैं. तो कुछ बुजुर्ग घरेलू विवाद के साथ ही घर परिवार से नाता तोड़ चुके हैं. रायपुर के वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्ग मौत के बाद अपना शरीर और नेत्र दान करना चाहते हैं, जो देश की सेवा में या फिर मेडिकल स्टूडेंट के रिसर्च के काम आ (Elders of Raipur old age home will donate eyes and bodies ) सके.
नेत्रदान और देहदान से देश को लाभ:रायपुर के अवंती विहार लाभांडी स्थित बढ़ते कदम के द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि "घर परिवार से लड़ाई-झगड़ा और वाद-विवाद के कारण अपना घर छोड़कर यहां पर आ गए हैं. कुछ बुजुर्गों ने बताया कि बेटी की शादी हो जाने के बाद घर में अकेले रहने के कारण उन्हें वृद्ध आश्रम आना पड़ा. कई बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्हें उनके परिवार ने घर से निकाल दिया है. तो कुछ बुजुर्ग अपनी मर्जी से घर छोड़कर वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं". देहदान और नेत्रदान को लेकर बुजुर्गों का कहना है कि "मौत के बाद उनका शरीर और नेत्र मेडिकल स्टूडेंट या फिर देश के काम आ सके. इसलिए उन्होंने नेत्रदान और देहदान का संकल्प लिया है."