रायपुर: कोरोना संकट ने लोगों की जिंदगी बदल दी है. देश का कोई सेक्टर ऐसा नहीं है जिस पर इसका असर नहीं पड़ा हो. ETV भारत लगातार अलग-अलग क्षेत्रों की पड़ताल कर रहा है और यह सामने लाने की कोशिश कर रहा है कि किस क्षेत्र पर कोविड-19 की कितनी मार पड़ी है. इसी कड़ी में हमने यह जानने की कोशिश की नेत्र चिकित्सा भी इसके चलते कितना प्रभावित हुआ है
कोरोना के चलते अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या काफी कम हुई है. इसके पहले सामान्य दिनों में लोग आंखों के इलाज के लिए अस्पतालों में लाइन लगाकर खड़े रहते थे. लेकिन कोरोना काल के चलते अब गिने चुने लोग ही आंखों का इलाज कराने अस्पताल पहुंच रहे हैं. वर्तमान में कोरोना काल के दौरान किए गए नेत्रदान और कॉर्निया ट्रांसप्लांट के आंकड़ों की जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि इस बीच इसमें काफी कमी आई है.
नेत्रदान और कॉर्निया ट्रांसप्लांट में आई कमी
डॉक्टर्स ने बताया कि कॉर्निया ट्रांसप्लांट की बात की जाए तो इसकी संख्या में भी काफी कमी आई है. नेत्रदान करने वाले लोगों ने भी इस बीच काफी कम संख्या में नेत्रदान किया है. जबकि इससे पहले नेत्रदान करने वाले लोगों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही थी. डॉक्टर्स ने बताया कि कई बार जागरुकता अभियान से लोगों में नेत्रदान के लिए जागरूक हो जाते हैं, लेकिन हाल-फिलहाल में कोरोना संक्रमण के कारण दान में कमी आई है.
पढ़ें- SPECIAL: कोरोना ने बदली लोगों की जिंदगी, साफ-सफाई और पर्सनल हाईजीन को लेकर हुए सीरियस
नेत्रदान करने वालों की संख्या
जानकारी के मुताबिक अस्पतालों में पिछले साल 2019-20 में 362 नेत्रदान हुए थे. वहीं 2018-19 में 360, 2017-18 में 378 और 2015-16 में 282 नेत्रदान हुए. इस तरीके से नेत्रदान करने वालों की संख्या हर साल लगभग 5 फीसदी बढ़ी है. पिछले साल में 711 लोगों को नई रोशनी दी गई है. वहीं साल 2018-19 में करीब 1,069 लोगों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी, लेकिन सिर्फ 711 लोगों का ऑपरेशन हुआ.
लॉकडाउन के बाद फिर से मरीजों की संख्या बढ़ी