रायपुर:अंतिम संस्कार या अंत्येष्टि क्रिया हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है. यह हिंदू धर्म का आखिरी संस्कार है. इस संस्कार को व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके परिजनों के द्वारा किया जाता है. हिंदू धर्म में व्यक्ति को मृत्यु के बाद अग्नि की चिता पर जलाने के साथ मुखाग्नि दी जाती है. अंतिम संस्कार में लगने वाले सामान बांस, धोती, पीतल और कांसे के पात्र के साथ ही पूजन सामग्री के दाम पर भी महंगाई का असर पड़ा (Effect of inflation on funeral) है. इन सामानों के दाम में 15 से 20 फीसद तक की वृद्धि हुई (funeral supplies expensive) है.
अंतिम संस्कार पर महंगाई का असर अंतिम संस्कार में लगने वाले सामानों में महंगाई का असर: अंतिम संस्कार में लगने वाले सामानों में पूजन सामग्री के साथ ही कई तरह की सामग्री आवश्यक होती है. अंतिम संस्कार के सामान बेचने वाले दुकानदार मनोज खंडेलवाल बताते हैं, "महंगाई का असर अंतिम संस्कार में लगने वाले सामानों पर भी पड़ा है. इन सामानों पर लगभग 15 से 20 फीसद की वृद्धि हुई है. बांस का सेट (शव को रखा जाता है) पहले 350 रुपए में बेचा जाता था. लेकिन महंगाई के कारण अब एक सेट की कीमत 500 रुपए हो गई है. राजधानी में अंतिम संस्कार (काठी) का सामान बेचने वाले लगभग 20 दुकानदार हैं, जो पिछले कई सालों से अंतिम संस्कार के सामान बेचते आ रहे हैं."
अंतिम संस्कार में लगने वाले सामानों की सूची: काली तिल, जौ, देसी कपूर, गुलाल, चंदन की लकड़ी, राल, धूप, मौली, धागा, शुद्ध घी, कुशा, जनेऊ, गोपी चंदन, गंगाजल, जौ का आटा, नारियल, पंचरत्न, चावल, मसूर दाल, लाइ, सफेद कपड़ा, पितांबरी, साल, काली मटकी, लाल मटकी, पान, फूल, माला, पीतल का लोटा, कांसे की थाली, बाल्टी, टोकनी, धोती, गमछा, बनियान, इत्यादि सामान अंतिम संस्कार में लगते हैं.
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16 संस्कारों में अंतिम संस्कार महत्वपूर्ण संस्कार: इस विषय में ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा बताते हैं, "अंतिम संस्कार 16 वें संस्कारों में अंतिम संस्कार के रूप में माना गया है. यह संस्कार अंत्येष्टि संस्कार भी कहलाता है. इसके पश्चात शरीर की सत्ता समाप्त हो जाती है. अंतिम संस्कार में अच्छी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अंतिम संस्कार के क्षेत्र को शुद्ध जल गंगाजल निर्मल जल आदि से अच्छी तरह साफ और स्वच्छ करके अच्छी तरह साफ और स्वच्छ करके क्षेत्र को रखना चाहिए. क्षेत्र विशेष में कामधेनु गाय के गोबर से सुंदर विलेपन करना चाहिए. यह क्षेत्र पूरी तरह से निर्मलता और पवित्रता के दायरे में रहे.
अंतिम संस्कार को नरमेध यज्ञ या पुरुष यज्ञ भी कहा जाता है:इस प्रक्रिया में शुद्ध लकड़ियों और शुद्ध घी का बुद्धिमानी पूर्वक उपयोग किया जाना चाहिए. ज्यादातर लोग अंतिम संस्कार में घी का उपयोग बहुत ही कम मात्रा में करते हैं. इसे इसकी मात्रा कुछ बढ़ाकर रखनी चाहिए. शास्त्र कहता है कि शरीर के वजन के बराबर घी की मात्रा होनी चाहिए. या कम से कम 5 किलो शुद्ध घी का उपयोग होना चाहिए. यह विधि नरमेध यज्ञ या पुरुष यज्ञ कहलाती है. अंतिम संस्कार एक वैज्ञानिक यज्ञ है. उसमें लकड़ियां, घी आदि का अच्छी तरह उपयोग किया जाता है. विभिन्न मंत्रों के माध्यम से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है. दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति को ध्यान पूर्वक स्नान करके इस अंतिम संस्कार को पूर्ण करना होता है. अग्नि दहन करने के पूर्व ही अग्नि देने वाले जातक को शुद्ध जल से स्नान आदि करना चाहिए. इसके उपरांत विभिन्न मंत्रों के माध्यम से अग्नि संस्कार किया जाता है.विशिष्ट लोग इस नरमेध यज्ञ में आहुतियां प्रदान करते हैं.
अंतिम संस्कार से मृत आत्मा को सद्गति मिलती है:अग्नि देते समय निश्चित तौर पर जड़ी-बूटियों शुद्ध वन औषधियों और प्राकृतिक तत्वों के माध्यम से दी जानी चाहिए. इनके विशिष्ट मंत्र माने गए हैं. यजुर्वेद और वेदों में अंतिम संस्कार के विशिष्ट मंत्रों का उल्लेख मिलता है. इनके माध्यम से मृत आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है. अंतिम संस्कार वास्तव में एक यज्ञ है, इसमें लकड़ियां अग्नि घी आदि का समुचित प्रयोग किया जाता है. यज्ञ की लपटें वातावरण को शुद्ध करती है. जिससे शरीर की समस्त गंदगी भस्माभूत हो जाती है. शव को जमीन में रखते समय यह ध्यान रखने वाली योग्य बात है कि मृत आत्मा का पैर दक्षिण दिशा में रहे और सिर उत्तर दिशा की ओर रहना चाहिए. मृत आत्मा के शरीर से सभी अवयवों जैसे सोने चांदी लॉकेट अंगूठी विधानपूर्वक और घरवालों की उपस्थिति में समुचित रीति रिवाज से निकाले जाने चाहिए. मृत शरीर में कोई भी वस्तु नहीं रहनी चाहिए.