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बजट से उम्मीदें: एजुकेशन सेक्टर को बजट में वृद्धि की उम्मीद

1 मार्च को छत्तीसगढ़ का बजट पेश होने वाला है. बजट को लेकर कई क्षेत्रों के लोगों को काफी उम्मीदें हैं. शिक्षा क्षेत्र को भी आगामी बजट से काफी उम्मीदें हैं.

Education sector hopes for increase in education budget
बजट से उम्मीदें

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Published : Feb 26, 2021, 10:50 PM IST

Updated : Feb 28, 2021, 10:35 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 1 मार्च को छत्तीसगढ़ का बजट पेश करेंगे. ऐसे में इस बजट को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को काफी उम्मीदें हैं. इसे लेकर ETV भारत ने शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों से बातचीत की और उनकी राय जानी.

बजट से उम्मीदें

वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद् शशांक शर्मा ने कहा कि कोविड-19 पैंडेमिक के कारण सबसे ज्यादा कोई समस्या फेस कर रहा है तो वह स्कूल और कॉलेज है. समय के साथ चीजें बदली है. अब ऑफलाइन क्लास की जगह ऑनलाइन क्लासेस का रोल बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि आगामी बजट में न्यू नॉर्म के हिसाब से एजुकेशन को कैसे ठीक किया जाए इसमें ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है. ऑनलाइन एजुकेशन में अभी भी बहुत से शिक्षक तैयार नहीं है. बच्चे भी तैयार नहीं है. इस नए बजट में किस तरह से क्या बदलाव लाए जा सकते है उसे ध्यान देने ही जरुरत है.

बजट में वृद्धि की उम्मीद

जेआर दानी कन्या हाई स्कूल के प्राचार्य विजय कुमार खंडेलवाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस बार सरकार एजुकेशन बजट में वृद्धि करेगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि स्कूल कॉलेजो की कक्षाओं को आधुनिक कक्षा में परिवर्तित किया जाएगा और उन्हें संसाधन युक्त करने की जरुरत है. आज के समय में संस्थाओं में इंटरनेट कनेक्शन बेहद जरूरी है. सभी लोग डिजिटल टैक्निक से वाकिफ हो और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बच्चों को पढ़ाया जाए, तो पढ़ाई ज्यादा उपयोगी होगी.

एजुकेशन सेक्टर को काफी उम्मीदें

दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय की डॉ. शीला श्रीधर का कहना है कि इस बजट से एजुकेशन सेक्टर को बहुत उम्मीदें है. स्कूली शिक्षा में बल देना बेहद जरूरी है. इसे और प्रचारित और प्रसारित करने की जरुरत है. हम कैसे अपने स्कूल शिक्षा को मजबूत बनाएं इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है.

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प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले बच्चों के लिए हो सुविधा

छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहर में प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले बच्चों के रहने और खाने पीने की बहुत समस्या होती है. इसे ध्यान में रखकर सरकार जनता आवास या जनता भोजन जैसी योजना बना सकती है. जिससे बच्चो को सुविधाएं मिल सके.

इंग्लिश मीडियम स्कूल की पहल अनुकरणीय: नरेंद्र दुबे

शिक्षाविद् नरेंद्र दुबे का कहना है कि जब से भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने और उन्होंने इंग्लिश मीडियम स्कूल की शुरुआत की वह अच्छा प्रयास है. इससे स्कूल एजुकेशन में सुधार होगा. लेकिन इसमें कुछ विसंगतियां हैं. इसमें कोई कैटेगरी नहीं बनाई गई है. जिसके चलते जरूरतमंद लोगों को इसकी सुविधा नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक है, जो पहले से अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं, उन बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही रहने दिया जाए. तब जाकर वंचित वर्ग के लोग और गरीब तबके के लोगों के बच्चे भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ पाएंगे.

बेस मजबूत करने की जरूरत

एजुकेशन में प्राइमरी स्कूल में ज्यादा फोकस नहीं है. बच्चों का बेस मजबूत बनाने के लिए एक मॉडल तैयार करने की जरूरत है. जिनमें बच्चों की भाषा, गणित, शैली, नैतिक शिक्षा जैसी चीजे होनी चाहिए. सरकार को प्राइमरी एजुकेशन के लिए भी सोचना चाहिए.

Last Updated : Feb 28, 2021, 10:35 PM IST

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