रायपुर:ईडी की जांच एक कथित घोटाले से संबंधित है जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक कार्टेल की मदद से छत्तीसगढ़ में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले के लिए 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी. पूरक अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि सूर्यकांत तिवारी ने सौम्या चौरसिया से जिला स्तर के आईएएस/आईपीएस अधिकारियों को अनौपचारिक निर्देश दिए.यानी सूर्यकांत तिवारी जिले के अधिकारियों को नियंत्रित करने लगे थे. जिसके कारण कोयला परिवहन से 25 रुपए प्रतिटन और आयरन बॉल्स परिवहन से 100 रुपए प्रतिटन की अवैध उगाही की गई.इन सभी बातों का जिक्र 55 सौ पेज के चालान में है.
आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने इकट्ठा किया पैसा :ईडी की चार्जशीट में दावा किया गया है कि जबरन वसूली का सारा पैसा सूर्यकांत तिवारी के एक सिंडिकेट ने इकट्ठा किया था. लेकिन वह घोटाले का अंतिम लाभार्थी नहीं था. उसने बेनामी संपत्ति खरीदने के लिए बड़ी मात्रा में धन का उपयोग किया. धन का बड़ा हिस्सा चौरसिया को स्थानांतरित कर दिया गया.इस पैसे को राजनीतिक गतिविधियों और दूसरे कामों में खर्च किया गया.
कोल लेवी घोटाले में अफसर से व्यापारी तक सब लिप्त :चार्जशीट में चौरसिया, उनके भाई अनुराग चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी और मां कैलाश तिवारी, खनन अधिकारी एसएस नाग और संदीप कुमार नायक और एक राजेश चौधरी को आरोपी बनाया गया है. मामले में पहली अभियोजन शिकायत रायपुर में विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत में पिछले साल 9 दिसंबर को दायर की गई थी. जिसमें आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, व्यवसायी सुनील अग्रवाल, सूर्यकांत तिवारी और उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था.ये सभी इस मामले में पहले आरोपी बनाए गए थे.
डायरियों में दर्ज की गई लेन देन की जानकारी :सूर्यकांत तिवारी ने कथित तौर पर करोड़ों रुपए की काली कमाई इकट्ठा की सौम्या चौरसिया के करीबी मनीष उपाध्याय को नकद भुगतान के संबंध में डायरियों में भी उल्लेख है.जिसे ईडी ने जब्त किया है.सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार ने इस पूरे मामले में पैसों के ट्रांसपोर्टेशन का काम किया. सूर्यकांत के रिश्तेदार ही पैसों के लेन देन का पूरा हिसाब किताब रखते थे.