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अर्थशास्त्री हनुमंत यादव से जानिए 2021-22 के बजट से क्या हैं लोगों की उम्मीदें ?

हनुमंत यादव ने ETV भारत से खास बातचीत में बताया कि इस बार छत्तीसगढ़ का बजट कैसा हो सकता है? इस बजट में किस क्षेत्र में ज्यादा फोकस रहेगा, किन क्षेत्रों में कटौती की जा सकती है. इसके अलावा बजट का स्वरूप क्या हो सकता है, इस पर भी विस्तार से चर्चा की है.

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अर्थशास्त्री हनुमंत यादव

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Published : Feb 22, 2021, 2:03 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है. कोरोना संक्रमण दौर के बाद का यह पहला बजट होगा. प्रदेश की जनता की नजर बजट सत्र पर टिकी हुई है. ETV भारत ने प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर हनुमंत यादव से बात की. बजट से संबंधित अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानकारी ली है. हनुमंत यादव ने ETV भारत से खास बातचीत में बताया कि इस बार का बजट अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित हो सकता है. साथ ही कुछ विभागों में 5 से 10% की बढ़ोतरी की जा सकती है. उन्होंने बताया कि आर्थिक तंगी का बजट में असर नहीं दिखेगा. इसके अलावा बजट में सरकार इस बार लघु कुटीर और मझोले उद्योग को राहत दे सकती है.

अर्थशास्त्री हनुमंत यादव से जानिए कैसा रह सकता है छत्तीसगढ़ में 2021-22 का बजट ?


सवाल : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिटारे से प्रदेश की जनता के लिए क्या-क्या निकलने वाला है ?

जवाब : इस बार के बजट में लगभग 10 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हो सकती है. यह बढ़ोतरी की राशि नई योजना पर खर्च होगी. इसमें दो तरह की योजनाएं प्रमुख हैं. पहली विकास योजना और दूसरा लोक कल्याणकारी योजनाएं. बजट के दौरान नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी पर सरकार ज्यादा फोकस करेगी. उसे आगे बढ़ाएगी. पिछले बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि हमारी अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है. मेरा बजट अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी है. इस बार भी बजट में अर्थव्यवस्था की गति तेज हो और विकास हो, इस बात का ख्याल रखा जाएगा.

बजट के पहले पेश होगी आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट

हनुमंत यादव ने बताया कि बजट पेश होने के पहले वित्त मंत्री के द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की जाती है. आर्थिक सर्वेक्षण पढ़ने के बाद कहीं ज्यादा सटीक निश्चित अनुमान बताया जा सकता है कि किस क्षेत्र में कमी रही और किस क्षेत्र में बेहतर विकास हुआ.

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सवाल: केंद्र सरकार के बजट में स्वास्थ्य पर ज्यादा फोकस किया गया था. क्या छत्तीसगढ़ के बजट में भी यह देखने को मिलेगा ?
जवाब : कोरोना या इस तरह की राष्ट्रव्यापी बीमारी को लेकर केंद्र सरकार की ओर से धनराशि दी जाती है, जो राज्य सरकारों को व्यय नहीं करना पड़ता है. राज्य सरकार सिर्फ इतना करती है कि यदि केंद्र से इसके लिए राशि आने में समय लग रहा है, तो वह अपने स्तर पर इसकी व्यवस्था करती है. हालांकि स्थानीय स्तर पर जो बीमारी आती है, उसे लेकर राज्य सरकार हर साल बजट तैयार करती है. इसी तर्ज पर इस साल भी बजट तैयार किया जाएगा. इस बार के बजट में 5 से 10% की वृद्धि कई विभागों में की जा सकती, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य भी शामिल है.

सवाल:स्वास्थ्य कार्ड को लेकर बजट में क्या प्रावधान हो सकता है ?
जवाब :स्वास्थ्यको लेकर केंद्र सरकार की योजनाओं को ही राज्य सरकार नाम बदलकर या उसमें जोड़कर संचालित करती है.

सवाल: कृषि को लेकर भी बजट पेश किया गया था. इस बार कृषि के क्षेत्र में क्या उम्मीदें हैं ?
जवाब : कृषि के लिए कोई नई योजना आने की संभावना कम है. जो पुरानी योजनाएं हैं, वही संचालित होंगी. सिंचाई पर राज्य सरकार ज्यादा फोकस कर सकती है. सीएम के सलाहकार में कृषि और पत्रकार शामिल हैं. ऐसे में बजट को लेकर बेहतर सुझाव उनके द्वारा भी दिए गए होंगे. जिसे बजट में प्रमुखता से शामिल किया गया होगा, ऐसी उम्मीद की जा सकती है.


लोकलुभावन हो सकता है बजट
हनुमंत यादव ने कहा बजट लोकलुभावन हो सकता है. किसी भी तरह का कर नहीं बढ़ाने की संभावना है. जिस तरह पिछले बजट में देखा गया कि सरकार ने कोई नया कर नहीं लगाया है. इस बार भी ऐसा ही देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने किसानों को 2500 रुपए धान का समर्थन मूल्य देने को कहा था, उसे पूरा करने को लेकर बजट में प्रावधान किया जा सकता है.

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सवाल:क्या राज्य सरकार आर्थिक तंगी से गुजर रही है ?
जवाब : यह कहने की बातें होती हैं प्रदेश आर्थिक तंगी से गुजर रहा है, जबकि छत्तीसगढ़ में ऐसा नजर नहीं आने वाला है. सरकार जो भी योजना लाती है, उसका क्रियान्वयन अधिकारियों के द्वारा किया जाता है. उसके लिए पूरे खर्च की रूपरेखा अधिकारी वर्ग तैयार करता है. इस बार भी बजट में कुछ इसी तरह की तैयारी की गई होगी. बजट पर आर्थिक तंगी का असर देखने को नहीं मिलेगा. प्रदेश में निर्धारित सीमा के अंदर ही कर्ज लिया गया है. इस कारण से प्रदेश में आर्थिक दिक्कत या तंगी देखने को नहीं मिलेगी.


इस बार भी धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए देना होगा

उन्होंने कहा कि धान का समर्थन मूल्य देने में सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ सकता है. कांग्रेस ने गंगाजल हाथ में लेकर किसानों को धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए देने की बात कही थी और उसे पूरा करना पड़ेगा.

सवाल : विभिन्न विभागों में 20 से 30% कटौती किए जाने की बात मुख्यमंत्री द्वारा कही गई थी. उसका बजट पर क्या प्रभाव देखने को मिलेगा ?
जवाब :मुख्य विभाग कृषि, ग्राम विकास और सिंचाई है. इन तीनों में कटौती नहीं होगी. बाकी अन्य विभागों में कटौती हो सकती है. स्वास्थ्य शिक्षा में भी कटौती की गुंजाइश नहीं है.

सवाल: कोरोना के कारण उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. क्या उन्हें राहत देने के लिए भी बजट में सरकार कोई नई सौगात दे सकती है ?
जवाब:उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सहित राज्य सरकारों ने जीएसटी देरी से पेमेंट के तौर पर राहत दे दी है. लघु, कुटीर और मझोले उद्योग को रोजगार देने के लिए राज्य सरकार इस बजट के दौरान कोई सौगात दे सकती है. कोरोना काल में बड़े उद्योगों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है. जो भी प्रभावित हुए हैं, वह इसी क्षेत्र के हैं. इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार है. अब उद्योग भी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगे हैं. त्योहारों के सीजन में भी लोगों को थोड़ी-बहुत राहत मिली है. जिसकी वजह से मांग बढ़ी, उत्पादन बढ़ा और रोजगार का सृजन हुआ. टू व्हीलर और कार की ज्यादा बिक्री इसी का उदाहरण है.

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सवाल :पेश होने वाले बजट में यदि आपकी तरफ से कहा जाए कि सुझाव दें, तो क्या सुझाव देंगे?
जवाब : कोई भी सरकार चाहती है कि उसका बजट विकासोन्मुखी हो, तो रोजगार में वृद्धि होना चाहिए. इसके अलावा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेज खुल रहे हैं. उसमें से ग्रेजुएट लोग निकल रहे हैं. उनकी काफी अपेक्षाएं हैं, जिसे पूरा किया जाना चाहिए. सामान्य व्यक्ति को मनरेगा में रोजगार दिया जाता है, लेकिन पढ़े-लिखे युवाओं से यह काम नहीं लिया जा सकता. उनके क्वॉलिफिकेशन और अनुभव के आधार पर उन्हें रोजगार दिया जाना चाहिए.

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