रायपुर :पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग ने हार्ट की एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी एब्सटीन एनोमली का ऑपरेशन (Ebstein anomaly operation for the first time in Chhattisgarh) कर 26 वर्षीय महिला की जान बचाई है. यह ऑपरेशन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रदेश में पहली बार हृदय के ऑपरेशन में बोवाइन टिश्यु वाल्व का प्रयोग किया गया. फिर ऑपरेशन में मरीज को उसका ही खून चढ़ाया गया, जिसको ऑटोलॉगस ब्लड ट्रांसफ्युजन कहा जाता है. इस मेडिकल टीम का नेतृत्व हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू ने किया. यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ में संभवतः किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में पहला ऑपरेशन है. अब महिला पूर्णतः स्वस्थ है और उसे अस्पताल ने घर जाने की परमिशन भी दे दी है.
क्या है एब्सटीन एनोमली बीमारी
यह हृदय की जन्मजात बीमारी है. जब बच्चा मां के पेट के अंदर होता है, उसी समय गर्भ के 6 हफ्तों में बच्चे के हृदय का विकास होता है. इसी हृदय के विकास में बाधा आने पर बच्चे का हृदय असामान्य हो जाता है. इसमें मरीज के हृदय का ट्राइकस्पिड वाल्व ठीक से नहीं बन पाता एवं दायां निलय (Right Ventricle) ठीक से विकसित नहीं हो पाता है. हृदय के उपर वाले चैम्बर में छेद (ASD) रहता है, जिसके कारण मरीज के फेफड़े में शुद्ध होने के लिये पर्याप्त मात्रा में खून नहीं जाता. इससे मरीज का शरीर नीला पड़ जाता है. इस बीमारी को क्रिटिकल कॉम्पलेक्स जन्मजात हृदय रोग (critical complex cyanotic congenital heart disease) कहा जाता है.
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दो लाख जन्म लिये बच्चों में से किसी एक को होती है यह बीमारी
यह बीमारी करीब 2 लाख जन्म लिये बच्चों में किसी एक को होती है. इन मामलों में 13 प्रतिशत बच्चे जन्म लेते ही मर जाते हैं और 18 प्रतिशत बच्चे 10 साल की उम्र होते-होते तक मर जाते हैं. 20 साल की उम्र तक इस बीमारी से ग्रस्त करीब सारे मरीजों की मृत्यु हो जाती है. इस बीमारी में बच्चों के मरने का कारण हार्ट फेल्योर एवं धड़कनों का अनियंत्रित होना होता है. जबकि बीमारी का कारण गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा लीथियम एवं बेंजो डाइजेपाम का उपयोग हो सकता है. इसके अलावा आनुवंशिकी भी एक कारण हो सकता है.