रायपुर: क्या आपने कभी सोचा है कि हमें किस तरह के बर्तनों में भोजन करना चाहिए. ताकि उससे हमारी सेहत पर अच्छा प्रभाव पड़ सके. रसोई में रखे अलग-अलग धातु के बर्तनों के उपयोग का अलग-अलग महत्व होता, जिसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है.
कोरोना काल में लोग अपने सेहत को लेकर पहले से ज्यादा सजग हुए हैं. लोगों के खान-पान में भी बदलाव देखा गया है. साथ ही लोगों ने हेल्दी फूड को प्राथमिकता दी है. पौष्टिक खाने के साथ शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तरह-तरह बर्तनों की भी अपनी-अपनी भूमिका होती है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है. आइए आपको बताते है कि एक्सपर्ट इसे लेकर क्या कुछ कहते हैं.
गर्म तासीर वाले खाने के लिए सही बर्तन
एक अच्छे सेहत के लिए बर्तनों की क्या भूमिका है, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने रायपुर के आयुर्वेदिक महाविद्यालय के द्रव्यगुण विभाग के डॉक्टर राजेश सिंह से बातचीत की है. डॉक्टर राजेश सिंह ने बताया कि शरीर की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग तरह के पात्रों में और भोजन के गुणों के अनुसार अलग-अलग बर्तनों का उपयोग किया जाता है. उन्होंने कहा कि जिन पकवानों की तासीर गर्म होती हैं, उन्हें सोने, तांबे और पीतल से बने बर्तनों में खाना चाहिए, क्योंकि उनकी प्रकृति भी ऐसी ही होती है.
इम्यून बूस्टर बर्तन
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार ठंडे प्रकृति के पदार्थों के लिए चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके अलावा लोहे, मिट्टी और कांसे से बने बर्तन भी शीतल स्वभाव के होते हैं. हमें ऐसे बर्तनों का इस्तेमाल ठंडी तासीर वाले भोजन के लिए करना चाहिए. डॉक्टर राजेश के मुताबिक, सोने का पात्र सबसे ज्यादा इम्यून बूस्टर होता है. सोने के बर्तनों में खाना खाने और औषधी को लेने से किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस या फंगस को ठीक किया जा सकता है.
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सोने की जगह तांबे का करें इस्तेमाल
डॉक्टर के मुताबिक, सोने के बर्तन बहुत महंगे होते हैं. ऐसे में तांबे से बने पात्र का उपयोग किया जा सकता है, तांबा गर्म और आग्नेय स्वभाव का होता है. किसी भी गर्म तासीर वाले पात्र में भोजन करने से पाचन क्रिया सुधरती है और अग्नि की मंदता से होने वाले रोग जैसे कुष्ठ, प्रमेय, बुखार को इसके इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है. अगर हम तांबे से बने बर्तन में औषधि और भोजन का सेवन करें तो हमें लाभ मिलता है.
लोहे का बर्तन विष नाशक
डॉक्टर राजेश ने बताया कि लोहे से बना बर्तन विष नाशक होता है. लोहे से बने बर्तनों का उपयोग करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. अगर लोहे से बने पात्र में हम भोजन करें और जलपान करें तो वह भी अच्छा होता है.
मिट्टी के बर्तन टॉक्सिन ऑब्जर्वर
डॉक्टर राजेश के मुताबिक, मिट्टी के बर्तन टॉक्सिन ऑब्जर्वर होते हैं. खाने में जितने टॉक्सिंस होते है, मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल करने से वह हमारे शरीर में नहीं जा पाते. जिससे हम कई बिमारिओं से बच जाते हैं. कांच के बर्तन का इस्तेमाल भी फायदेमंद होता है. कांच से बने बर्तन में भोजन करने से कामला (पीलिया) रोग नष्ट होता है. सूजन खत्म होती हैं. चीनी मिट्टी और अन्य पदार्थों से मिलकर बर्तन बनाए जाते हैं जो हमारे लिए हानिकारक है, इनसे बचना चाहिए.
पत्तों में भोजन करना कितना लाभदायक
डॉक्टर राजेश सिंह ने बताया कि प्राचीन काल से पत्तों में भोजन करने का चलन है. अलग-अलग प्रकार के पत्तों से बने पत्तल का उपयोग करने के कई फायदे हैं.
- पलाश के पत्तों पर भोजन करने से उदर रोग खत्म होता है. इसके कारण भूख बढ़ती हैं और यह शरीर में वजन बढ़ाने में मददगार होता है.
- हस्तकर्णी के पत्तों से बने पत्तल पर खाना खाने से शरीर का तापमान संतुलित होता है. यह बुखार को ठीक करने में मदद करता है.
- अर्क के पत्तों से बने पत्तल में भोजन करने से पीलिया, कुष्ठ रोग और कृमि का नाश होता है.
- झीर वृक्ष जैसे उदुम्बर, वट या अश्वत पेड़ों के पत्तों से बने पत्तल पर भोजन करने से दमा रोग में फायदा होता है. यह पीलिया रोग और सूजन वाले रोग से भी राहत देता है.
- केतकी के पत्तों पर खाना खाने से सभी ग्रंथियों और गलैंड्स के रोगों में फायदा मिलता है.
- केले के पत्तों पर खाना खाने से सभी विदा रोग जिसमें जलन होती है. उनमें बहुत लाभ होता है.
नॉन स्टिक और एल्युमीनियम के बर्तनों का न करें इस्तेमाल
डॉक्टर राजेश सिंह ने बताया आजकल ज्यादातर बर्तनों में एल्युमीनियम का इस्तेमाल किया जाता है. एल्युमीनियम धातु हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है. जितने भी एल्युमीनियम से मिलकर बने हुए बर्तन हैं, उनके उपयोग करने से हमें बचना चाहिए. इसके अलावा नॉन स्टिक बर्तनों का भी हम इस्तेमाल करते हैं, जिनमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन होता है. वह हमारे लिए नुकसानदेह होता है. ऐसे बर्तनों में भोजन बनाने और खाने से बचना चाहिए.
प्रेशर कुकर में भोजन बनाना नुकसान दे
डॉक्टर ने बताया कि हम प्रेशर कुकर में जब खाना पकाते हैं तो हमें बहुत कम समय लगता है. आग और ताप का ज्यादा इस्तेमाल न होने के कारण ज्यादातर लोगों को उदर रोग या उनकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. यदि खाने को बाहर खुले बर्तनों में पकाया जाए तो उन्हें पकाने के लिए ज्यादा देर तक आग की जरुरत पड़ती है जो सेहत के लिए फायदेमंद है.
इन बातों का रखे ख्याल
डॉक्टर के मुताबिक, जिन लोगों को रक्तपित्त या ब्लीडिंग डिसऑर्डर की शिकायत है.उन्हें तांबे से बने पात्र और पीतल से बने पात्र में भोजन करना चाहिए. ऐसे व्यक्तियों को यदि इलाज के दौरान कांसे से बने बर्तन या मिट्टी, लोहे से बने बर्तनों से भोजन दिया जाए तो उन्हें इससे आराम मिलेगा.