रायपुर:पितृपक्ष (Pitru paksh) में किया गया पितरों का दान (pitaron ka daan) किसी न किसी रूप में पितरों को प्राप्त (Pitron ko prapt) हो ही जाता है. उसी से तृप्त हो पितर (Tript hokar pitar) अपने परिजनों को आशिर्वाद देते हैं. शास्त्रों की माने तो पितृपक्ष (Pitru paksh) में हर दिन खास होता है. हर दिन किया गया दान हमें लाभ पहुंचाता है.
रविवार को द्वादशी श्राद्ध
रविवार को द्वादशी श्राद्ध (Dwadhi sradh)है. शास्त्रों के अनुसार जिनकी मृत्यु कृष्ण या शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है, उनका श्राद्ध (Sradh) पितृपक्ष (Pitrupaksh)के द्वादशी (Dwadshi) को होती है. इसके साथ ही जिन्होंने सन्यास ले लिया हो, उस मृत व्यक्ति का भी खास तौर पर द्वादशी के दिन श्राद्ध किया जाता है. कहते हैं कि ऐसा करने से पितर तृप्त होकर आशिर्वाद देते हैं.
मछलियों को अन्न देने से लाभ
कहते हैं कि श्रद्धा पूर्वक तर्पण और पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म अर्थात देव, पीपल, गाय, कुत्ते और कौवे को अन्न जल देने से पितृदेव प्रसन्न होते हैं. इसी के साथ ही चीटीं और मछलियों को भी अन्न देना चाहिए.
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श्राद्ध पक्ष के 10 दान
श्राद्ध पक्ष में 10 तरह के दान दिए जाते हैं. जिनमें जूते-चप्पल, वस्त्र, छाता, काला तिल, घी, गुड़, धान्य, नमक, चांदी-स्वर्ण और गौ-भूमि शामिल है. आप चाहे तो सिर्फ आटा, गुड़, घी, नमक और शक्कर का दान कर सकते हैं.इस पक्ष में ब्राह्मण भोज कराना चाहिए. इस दिन सभी को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है. ब्राह्मण का निर्वसनी होना जरूरी है और ब्राह्मण नहीं हो तो अपने ही रिश्तों के निर्वसनी और शाकाहार लोगों को भोजन कराएं. खासकर जमाई, भांजा, मामा, गुरु और नाती को भोजन करूर कराएं.
श्राद्ध का महत्व
कहा जाता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और साथ ही आशीर्वाद प्रदान करते हैं. उनके इस आशीर्वाद से जीवन में आने वाली कई प्रकार की रुकावटें दूर होने के साथ ही व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों से भी मुक्ति मिलती है. वहीं हिंदू धर्म के अनुसार श्राद्ध न होने स्थिति में आत्मा को पूर्ण मुक्ति नहीं मिलती, जिसके कारण वह भटकती रहती है. ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है और इससे वे प्रसन्न होते हैं.