रायपुर: कोरोना वायरस का दंश पूरा विश्व झेल रहा है, जिसके मद्देनजर स्कूल, कॉलेज सब बंद हैं, उनमें से सरकारी स्कूल भी शामिल हैं. सरकारी स्कूल में बढ़ने वाले छात्रों को भूपेश सरकार मध्याह्न भोजन के बजाय सूखा राशन देने का वादा की थी, लेकिन वे वादे अब केवल वादे ही बन कर ही रह गई है. गरीब बच्चों को मध्याह्न भोजन तो दूर की बात है, पिछले दो महीने से सूखा राशन भी नहीं मिला है, जिससे लगता है सरकार कहीं वाहवाही बटोरने के लिए तो बच्चों को राशन नहीं बांटी थी.
सरकार पर वाहवाही बटोरने का आरोप बता दें कि प्रदेश के तकरीबन 39 लाख बच्चे मध्याह्न भोजन से आश्रित हैं, लेकिन लॉकडाउन लगा, तो स्कूलों को बंद कर दिया गया. बच्चों के मध्याह्न भोजन की समस्या को लेकर सरकार ने सूखा राशन देने का फैसला किया, जिसे पहली किस्त में तो दिया गया, लेकिन उसके बाद सरकार उन गरीब बच्चों को भूल गई. जब ETV भारत की टीम भूपेश सरकार के किए वादों की हकीकत जानने के लिए सरकारी स्कूलों में पहुंची, तो जो बच्चों ने जवाब दिया, उससे सरकार के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं.
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सिर्फ एक बार मिला है बच्चों को राशन
वहीं बच्चों के परिजनों से बात की गई, तो पता चला कि शुरुआत के 1 महीने राशन दिया गया, लेकिन उसके बाद से बच्चों को राशन नहीं दिया गया है. वहीं डकनिया में रहने वाली पदमा साहू अपने परिवार और दो बच्चों के साथ रहता हैं. उनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं, वे बताती हैं कि शुरुआत के 1 महीने में राशन दिया गया, लेकिन उसके बाद से कोई राशन नहीं आया है, जिससे उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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बच्चों तक मिड-डे-मील लगातार पहुंचाया जा रहा
स्कूली बच्चों ने भी बताया उन्हें पहले महीने में तो राशन मिला, यानी कि मार्च और अप्रैल के बीच राशन मिला, लेकिन उसके बाद राशन नहीं मिला. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली पल्लवी बताती है कि मुझे स्कूल से एक बार बुला कर राशन दिया गया था, उसके बाद से कोई राशन नहीं दिया गया है. वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम का कहना है कि हमारी ओर से पूरी तैयारियां की गई है. हम लगातार मिड-डे-मील बच्चों तक पहुंचा रहे हैं. सभी अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. सभी अधिकारी यह काम कर रहे हैं.
वाहवाही बटोरने के लिए बांटा गया राशन
बहरहाल, बच्चे कह रहे हैं उनको 2 महीने से राशन नहीं मिला, परिजन कह रहे पहले महीना राशन मिला, वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि मिड-डे-मील बच्चों तक पहुंचाया जा रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि सरकार बच्चों तक 2 महीने से राशन भेजी ही नहीं है, सरकार के सारे दावे खोखले साबित हुए हैं, जिसे वाहवाही बटोरने के लिए एक महीने बच्चों को राशन बांट दिया गया, लेकिन दूसरा किस्त देना भूल गए.