छत्तीसगढ़ में भी कई 'आयशा', हर महीने दहेज के सैकड़ों केस होते हैं दर्ज - 400 dowry cases every month
छत्तीसगढ़ जैसे शांति और महिला प्रधान समाज माने जाने वाले प्रदेश में भी दहेज के मामलों में वृद्धि हुई है. ऐसे में महिला सम्मान और सुरक्षा की बात महज दिखावा साबित होने लगी है.
छत्तीसगढ़ में भी कई आयशा
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Published : Mar 7, 2021, 10:46 PM IST
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Updated : Mar 8, 2021, 1:37 AM IST
रायपुर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पूरी दुनिया उत्सव मना रही है. जगह-जगह कई तरह के उत्सव, गोष्ठियों, सम्मान कार्यक्रम का आयोजन हफ्ते भर से जारी है. ऐसे में एक सवाल मन में उठता है कि जब तक हमारे समाज में दहेज रूपी दानव जीवित है. तबतक सही मायनें में महिलाओं को सम्मान नहीं मिल सकता.
सुर्खियों में आयशा आत्महत्या मामला
हाल ही में आयशा आत्महत्या मामला देश में सुर्खियों में बना हुआ है. अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट से नदी में कूदकर जान देने वाली आयशा की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है. आयशा का शौहर दहेज के लिए उसे अक्सर परेशान किया करता था. न जाने कितनी आयशा रोज दहेज को लेकर प्रताड़ित की जाती हैं. न जाने कितनी मौत को गले लगा लेती हैं.
छत्तीसगढ़ में बढ़े दहेज से मौत के आंकड़े
पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ जैसे शांति और महिला प्रधान समाज माने जाने वाले प्रदेश में भी दहेज के मामलों में वृद्धि हुई है. ऐसे में महिला सम्मान और सुरक्षा की बात महज दिखावा साबित होने लगा है.
आंकड़ों से साफ है कि हर साल कई बेटियों की जिंदगी दहेज के दानव निगल रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता प्रीती उपाध्याय कहती हैं कि दहेज के लालच में सैकड़ों बेटियां हर साल प्रताड़ित होती हैं. कई अदालतों का सहारा लेती हैं तो कई लोक-लाज में घुट-घुट कर जिंदगी जीने पर मजबूर हैं.
वैसे तो कानून ने बेटियों को काफी अधिकार दे रखे हैं. एडवोकेट प्रियंका शुक्ला ने बताया कि दहेज लेना अपराध है ये सभी जानते हैं, लेकिन झूठे शान का विषय बनाकर लोग खुलकर इसकी डिमांड करते हैं. इसी लालच और सामाजिक बुराई पर रोक लगाने के लिए कानून भी बना है. ये कानून 498-ए की धारा जिसे 'दहेज के लिए प्रताड़ना' के नाम से भी जाना जाता है.
छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे दहेज के मामले
छत्तीसगढ़ में हर महीने दहेज के 400 केस
एडवोकेट और मेडिएटर दिवाकर सिन्हा बताते हैं कि प्रदेश में लगातार दहेज के मामले बढ़ते जा रहे हैं. प्रदेश के सभी जिलों में महिला थाना स्थापित है. उन थानों में आए दिन दहेज के मामले आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक पूरे छत्तीसगढ़ में हर महीने दहेज के करीब 400 मामले सामने रहे हैं. हालांकि अब कानून में संशोधन के बाद दहेज के मामलों में तत्काल FIR नहीं की जाती. ना ही गिरफ्तारी की जाती है. जांच के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करती है. जिससे कहीं ना कहीं उन लोगों को राहत मिली है जिनके खिलाफ महिलाओं की ओर से झूठे दहेज प्रताड़ना के मामले दर्ज कराए जाते हैं.
छत्तीसगढ़ में दहेज के चलते मौत (NCRB के आंकड़ों के आधार पर)
2017
2018
2019
84
79
76
कारण जो भी हो लेकिन आज भी दहेज प्रताड़ना के मामले का बढ़ना कहीं ना कहीं चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में लगातार दहेज के बढ़ रहे मामलों को लेकर शासन प्रशासन स्तर पर उचित कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही समाज को भी जागरूक होना होगा जिससे इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या को रोका जा सके.