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रायपुर: 26 वर्षीय महिला के पेट से डॉक्टर ने निकाला स्टोन बेबी

रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल में सर्जरी के माध्यम से 26 वर्षीय महिला के पेट से 7 महीने का दुर्लभ स्टोन बेबी को बाहर निकाला गया. लेकिन बच्चों को नहीं बचाया जा सका है.

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल

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Published : Jul 29, 2021, 10:54 PM IST

रायपुर:डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल में 26 वर्षीय महिला के पेट से 7 महीने का दुर्लभ स्टोन बेबी को बाहर निकाला गया. ऑपरेशन के माध्यम से महिला की जान बचाई गई. गरियाबंद निवासी 26 वर्षीय गर्भवती महिला कुछ दिनों पहले अचानक पेट में दर्द उत्पन्न हो गया. जिसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच में महिला के पेट में दुर्लभ लिथोपेंडियन का पता चला. जिसे स्टोन बेबी भी कहा जाता है. स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ज्योति जयसवाल के नेतृत्व में स्टोन बेबी को बाहर निकालने के लिए पेट की सर्जरी की गई. जिसमें करीब 7 महीने के विकसित मृत दुर्लभ स्टोन बेबी को बाहर निकाला गया.

गरियाबंद में महिला की 15 दिन पहले की नॉर्मल डिलीवरी हुई थी. जिसमें महिला ने लगभग 7 महीने की कम वजनी शिशु को जन्म दिया था. महिला के पेट में दो बेबी थे. डॉ भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल में सर्जरी के बाद महिला के पेट की परेशानी खत्म हो गई. इसलिए अब वह डिस्चार्ज लेकर घर जाने के लिए तैयार है.

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वहीं, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ज्योति जयसवाल ने बताया कि बच्चेदानी के बाहर पेट में भ्रूण का विकास होकर स्टोन बेबी में बदल जाने की स्थिति बहुत ही दुर्लभ है. इस तरह का केस कम देखने को मिलता है. लिथोपेंडियन यानी स्टोन बेबी तब बनता है जब गर्भावस्था गर्भाशय के बजाए पेट में होता है. जब विफल हो जाता है. भ्रूण के पास पर्याप्त खून की आपूर्ति नहीं होती है तो भ्रूण को बाहर निकालने का कोई तरीका नहीं होता है.

उन्होंने बताया कि शरीर अपनी स्वयं की प्रतिरक्षा प्रक्रिया का उपयोग करके भ्रूण को पत्थर में बदल देता है जो शरीर को किसी भी ऐसी बाहरी वस्तुओं से बचाती है, जिससे शरीर को कोई नुकसान ना हो. इस प्रकार कैलशिफिकेशन मां को संक्रमण से बचाता है. कई बार इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन कई बार पेट के अंदर रहने के कारण दूसरी समस्याएं भी मां को होती है.

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