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विश्व सिकल सेल दिवस: 'जैसे कुंडली मिलाते हैं, वैसे करें सिकल कुंडली का मिलान, तभी बच सकेगी जान' - sickle cell

विश्व सिकल सेल दिवस के मौके पर राज्य सिकल सेल संस्थान के महानिदेशक डॉक्टर अरविंद नेरल ने ETV भारत से बातचीत की. उन्होंने सिकल सेल को लेकर प्रदेश की स्थिति, लक्षण और बचाव के उपायों सहित इसे रोकने के लिए किए जा रहे सरकार के कार्यों की जानकारी दी.

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विश्व सिकल सेल दिवस पर डॉक्टर अरविंद नेरल से खास बातचीत

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Published : Jun 19, 2020, 5:06 PM IST

Updated : Jun 20, 2020, 2:06 PM IST

रायपुर: विश्व सिकल सेल दिवस हर साल 19 जून को मनाया जाता है. इस अवसर पर सिकल सेल को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से इन कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया गया है. फिर भी कुछ जगहों पर कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का पालन करते हुए लोगों को सिकल सेल के प्रति जागरूक किया गया.

सिकल सेल से जुड़ी जानकारियां


विश्व सिकल सेल दिवस के मौके पर राज्य सिकल सेल संस्थान के महानिदेशक डॉक्टर अरविंद नेरल ने ETV भारत से बातचीत की. डॉक्टर अरविंद पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभाग के HOD भी हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने सिकल सेल को लेकर प्रदेश की स्थिति, लक्षण और बचाव के उपायों सहित इसे रोकने के लिए किए जा रहे सरकार के कार्यों की जानकारी दी.

सिकल सेल को लेकर छत्तीसगढ़ की स्थिति

डॉक्टर अरविंद ने बताया कि भारत में सिकल सेल मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्य में पाया जाता है. छत्तीसगढ़ में 9.6 प्रतिशत लोगों में सिकल सेल के जींस पाए जाते हैं, जबकि 0.98 प्रतिशत से 1 प्रतिशत लोग इससे ग्रसित हैं. प्रदेश में करीब सवा दो लाख से ढाई लाख लोग सिकल सेल से ग्रसित हैं, जो कि काफी बड़ी संख्या है.

सिकल सेल के लक्षण

डॉक्टर अरविंद नेरल ने बताया कि सिकल सेल इतने ज्यादा लोगों में पाया जाता है, फिर भी अधिकांश लोग माता-पिता से प्राप्त इस अनुवांशिक रोग के वैज्ञानिक आधार से अपरिचित हैं. सिकल सेल अनुवांशिक रोग है, जो माता-पिता से बच्चों को मिलता है. अगर दोनों सिकल सेल रोग से ग्रसित हैं, तो नई पीढ़ी में इस रोग के पहुंचने की संभावना ज्यादा होती है. बीमारी के चलते बच्चों में खून की कमी हो जाती है. इसकी वजह से बच्चे में चिड़चिड़ापन आ जाता है. बच्चा कमजोर हो जाता है. उसे सांस लेने में तकलीफ होती है. उसे थकान महसूस होने लगती है. ऐसे लक्षण दिखे तो तत्काल इसकी जांच कराना चाहिए क्योंकि बिना जांच के सिकल सेल की पहचान करना मुश्किल है.

सिकल सेल मरीज को बरतने वाली सावधानियां

डॉक्टर अरविंद नेरल का कहना है कि आज के जमाने में सिकल सेल के काफी अच्छे उपचार मौजूद है. उनकी संस्था या किसी भी अस्पताल में इसका उपचार कराया जा सकता है. नियमित रूप से बच्चों को दवाई दिया जाना चाहिए और जितनी हो सके सावधानी बरतनी चाहिए. सही समय पर सही उपचार किया जाए, तो बच्चा सामान्य जिंदगी जी सकता है.

शादी के दौरान सिकल सेल को लेकर बरतने वाली सावधानियां

डॉक्टर अरविंद ने बताया कि आने वाली जनरेशन में यह बीमारी आगे न फैले उसके लिए शादी के पहले लड़के और लड़की का सिकल सेल टेस्ट कराना जरूरी है. जिस तरह से लोग कुंडली मिलाते हैं, उसी तरह लोगों को सिकल कुंडली का मिलान करना चाहिए. शादी के पहले इन लोगों की काउंसलिंग होनी चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी में किसी को ऐसी बीमारी ना हो. यदि यह बीमारी दोनों में हुई, तो उनकी आने वाली पीढ़ी में भी यह बीमारी जाने की संभावना काफी बढ़ जाती है. यही कारण है कि आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा. आने वाली पीढ़ियों को किस तरह से सिकल सेल की बीमारी से बचाया जा सकता है, इसके लिए लगातार वो और उनकी टीम प्रयास करती है.

सिकल सेल पीड़ित व्यक्ति को सामान्य से शादी करनी चाहिए या नहीं इस सवाल पर डॉक्टर ने कहा कि सिकल सेल से पीड़ित को सामान्य से ही शादी करनी चाहिए, जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी को इस बीमारी से बचाया जा सके.

सिकल सेल से निपटने राज्य सरकार की तैयारी

राज्य सरकार की तरफ से सिकल सेल संस्था बनाई गई है, जिसके माध्यम से इस बीमारी से लोगों को बचाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाता है. इस बीमारी से बचने के उपायों को लेकर कई कैंप लगाए जाते हैं. स्कूलों में जाकर सिकल सेल के लक्षण बताए जाते हैं, जिससे इस बीमारी से बचा जा सके.

सिकल सेल के प्रकार
1. सिकल वाहक कैरियर (ए-एस)
सिकल सेल केरियर या सिकल सेल ट्रेट (हेटेरोजायगोटस) भी कहते हैं. लेकिन इसमें रोग के कोई लक्षण नहीं होते हैं. इन्हें किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती है. यह सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं. इन्हें खुद भी मालूम नहीं होता है कि उनके रक्त में सिकल का जींस है. सिकल सेल रोग की रोकथाम के अभियान में इनका विशेष महत्व है, लेकिन ऐसे लोग जब दूसरे सिकल रोगी या वाहक से विवाह करते हैं, तो सिकल पीड़ित संतान होने की संभावना बढ़ जाती है.

2. सिकल पीड़ित रोगी (एस-एस)
सिकल सेल सफर, इसे (होमोजाएगोटस) भी कहते हैं. जब दोनों अभिभावकों के असामान्य जींस मिलते हैं, तो संतान सिकल रोगी या सफर होती है. इसे सिकल सेल एनीमिया रोग भी कहा जाता है. ऐसी स्थिति में रोग के सभी लक्षण मिलते हैं. सिकल सेल में लाल रक्त कण की आयु बहुत कम हो जाती है. सामान्य तौर पर लाल रक्त कण की आयु 100 से 120 दिन की होती है. वहीं सिकलसेल से ग्रसित रोगी के लाल रक्त कणों की आयु मात्र 10 से 12 दिन तक रह जाती है, जिससे रोगी की असमय मृत्यु हो जाती है.

सिकल सेल संस्थान की स्थापना

बता दें कि इस रोग से जुड़ी पीड़ा और कठिनाइयों को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2013 में सिकल सेल रोग के निदान के लिए समर्पित सिकल सेल संस्थान छत्तीसगढ़ की स्थापना रायपुर में की. यह संस्थान रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए विशेष उपचार और परामर्श की सुविधा निःशुल्क प्रदान करता है. साथ ही यह संस्थान सिकल सेल रोगियों के उपचार और चिकित्सा के लिए आवश्यक प्रशिक्षित चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण भी प्रदान करता है.

Last Updated : Jun 20, 2020, 2:06 PM IST

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