रायपुर:17 दिसंबर को तेलीबांधा थाना क्षेत्र में एक साइबर ठगी का अपराध दर्ज किया गया, रिपोर्ट में था कि सीआरपीएफ में पदस्थ एक ASI के साथ 81000 रुपये की ऑनलाइन ठगी हुई है.
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फेल होने के बाद न करें ये गलती दरअसल ASI छुट्टी पर अपने गांव राजस्थान जा रहा था. रास्ते में उसने अपनी गाड़ी में पेट्रोल भरवाया. इस दौरान उसने अपने कार्ड से 2900 का ट्रांजेक्शन किया. पैसा कट जाने के बाद ट्रांजेक्शन फेल आया. दूसरी बार भी 2900 का ट्रांजेक्शन सीआरपीएफ के जवान ने किया, लेकिन इस बार भी ट्रांजेक्शन फेल बताया गया. किसी तरह जवान ने दूसरे से पैसे मांग कर पेट्रोल पंप वाले को दिया.
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत कैसे हुई 81000 की ऑनलाइन ठगी
पेट्रोल पंप में दो बार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के बाद भी जब ट्रांजेक्शन फेल बताया गया और पैसे एकाउंट से कट तो परेशान जवान ने गूगल सर्च इंजन पर कस्टमर केयर का नंबर ढूंढा और फोन लगाया. फोन एक युवक ने रिसीव किया. जिसके बाद शुरू हुआ ठगी का खेल. परेशान ASI ने अपनी शिकायत युवक को बताई. युवक ने ऑनलाइन पैसा वापस करने का झांसा दिया और धीरे-धीरे उसके अकाउंट में पड़े 81000 रुपये ठग लिए.
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ठगी के बाद भी पैसे वापस देने का दिया भरोसा
पुलिस ने बताया कि 17 दिसंबर को पीड़ित ने गूगल पर नंबर सर्च कर कस्टमर केयर पर फोन लगाया. ठग ने उन्हें 24 घंटे में पैसा वापस करने का झांसा दिया और जानकारी देने के बाद ओटीपी नंबर पूछा.एएसआई ने अपना ओटीपी नंबर शेयर किया. इसके बाद उसके खाते से अलग-अलग किस्तों में 81000 रुपए कट गए. संपर्क करने पर शातिर ठग पैसा वापस दिलाने का भरोसा देता रहा और फोन काट दिया. ASI ने दोबारा उसे कॉल लगाया लेकिन उससे संपर्क नहीं हो सका. पीड़ित ने तेलीबांधा थाने में इसकी शिकायत की. साइबर सेल की टीम ने ASI के नंबर को ब्लॉक कर दिया.
साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा ने बताया कि
कई बार ऐसा देखा गया है कि किसी को ऑनलाइन शिकायत करनी रहती है या किसी प्रकार की शिकायत करनी रहती है तो गूगल पर कस्टमर केयर का नंबर सर्च करते हैं और यही आदत साइबर अपराधियों को पता होती है. इसीलिए साइबर अपराधी ऐसा लिंक बनाते हैं जहां से साइबर अपराधियों के नंबर रजिस्टर रहते हैं. कस्टमर केयर के नाम से वे कई बार लोगों को फोन करते हैं और अपने आप को कस्टमर केयर ऑफिसर या बैंक के अधिकारी बताकर लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं.
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'साइबर ठग को डेटा का होता है पूरा नॉलेज'
एक्सपर्ट ने बताया कि वे काफी ट्रेन्ड ठग होते है. उन्हें पहले से ट्रेनिंग दी जाती है.उन्हें कंप्यूटर का सारा नॉलेज होता है. जैसे ही कोई उन्हें फोन करता है वे संबंधित की पूरी डिटेल निकाल लेते है. जैसे कहां के रहने वाले है, कौन सा नंबर इस्तेमाल करते हैं. ये ठग लोगों को लिंक डाउनलोड करने या एप्लीकेशन डाउनलोड करने का झांसा देते हैं और ठगी का शिकार बनाते हैं.
कस्टमर केयर के नाम से ठगी से रहे सतर्क
- जिस एप्लीकेशन से शॉपिंग करें, उस एप्लीकेशन में कस्टमर केयर के नंबर पर कॉल करके बात करें.
- एप्लीकेशन में कस्टमर केयर का नंबर नहीं मिलने पर चैट करने का भी ऑप्शन रहता है. उस पर क्लिक करने पर एप्लीकेशन से जुड़े लोगों से बात कर समस्या का हल किया जा सकता है.
- किसी भी एप्लीकेशन में ईमेल एड्रेस के थ्रू भी जुड़ा जा सकता हैं.