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Diwali 2021: मां लक्ष्मी की पूजा में आरती की थाली में इन वस्तुओं को करें शामिल

दिवाली (Diwali) में मां लक्ष्मी की पूजा (Worship of maa laxmi) में आरती की थाली (Arti ki thali) में स्वच्छता के साथ कई वस्तुओं का ध्यान रखना पड़ता है. आईए जानते हैं आरती की थाली सजाने से पहले इन खास बातों को...

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Published : Oct 28, 2021, 6:13 PM IST

Updated : Nov 4, 2021, 6:55 AM IST

Aarti plate in worship
पूजा में आरती की थाली

रायपुर: मां लक्ष्मी (Maa laxmi) को धन की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. माता लक्ष्मी को स्वच्छता काफी प्रिय है. कहते हैं कि मां लक्ष्मी का वहीं बास होता है, जहां साफ-सफाई होती है. वहीं, जहां मलीनता हो, वहां गरीबी का निवास होता है.

आरती की थाली में इन वस्तुओं को करें शामिल

आरती की थाली इन धातुओं की हो

कहा जाता है कि माता लक्ष्मी की आरती (Arti) करने पर वह बहुत प्रसन्न होती है. सत्य लक्ष्मी के पूजन हेतु सजाई जाने वाली आरती में निम्न बातों का बहुत सावधानी पूर्वक ध्यान रखना चाहिए. सजाई जाने वाली थाली (Arti ki thali) तांबा, पीतल या कांसे की होनी चाहिए. स्टील की थाली का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. यह थाली पूरी तरह से पूजा पाठ धर्म-कर्म के कार्यों में उपयोग में लाई जानी चाहिए. यानी कि इस पर कोई भी सदस्य भोजन आदि ना करता हो. वरना वो दूषित मानी जाती है.

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थाली को साफ जरूर रखें

इस थाली को साफ कर साफ-सुथरे कपड़े से साफ करके सूर्यनारायण अर्थात धूप में रख देना चाहिए, जिससे कोई भी सूक्ष्मजीव भी इस पर ना प्रवेश कर सके. इस थाली के चारों ओर शुद्ध जल का प्रवाह किया जाना चाहिए. इसके बाद शुद्ध चंदन से थाली में स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाना चाहिए. फिर इस शुभ थाली में दीपक को स्थान देना चाहिए. ध्यान रहे कि यह दीपक शुद्ध घी से उपयोग में लाया जाने वाला हो. यदि तेल से दीपक जलाते हैं, तो वह दीपक लाल रंग का होना चाहिए.

इन वस्तुओं को करें थाली में शामिल

वहीं, योग लक्ष्मी माता के पूजन हेतु सजाई हुई आरती में परिमल हल्दी, रोली, सिंदूर, कुमकुम, अबीर आदि को स्थान देना चाहिए. इसके साथ ही धुला हुआ पान का पत्ता, जिसमें साबुत सुपारी और लौंग आदि हो रखना चाहिए. पूजा की थाली में अक्षत को भी स्थान देने का विधान है. इस थाली में अखंडित अक्षत रखनी चाहिए. यह अक्षत धवल सफेद हो तो और श्रेष्ठ है. साथ ही कमल के फूल को भी पूजन में उपयोग में लाया जाना चाहिए. महालक्ष्मी माता कमल के आसन में विराजमान रहती है. छोटे से तांबे के पात्र में निर्मल जल को भी स्थान देना चाहिए. जिस पर गंगाजल छिडका हुआ हो. इस थाली को भलीभांति सजा कर पुनः जल से कमल के फूल के द्वारा शुद्ध करना चाहिए.

पूजा की थाली को सफाई वाले स्थान पर रखें

बता दें कि पूजा की थाली को आज के दिन बगैर आसन के नहीं रखना चाहिए. इस खाली को बहुत ही श्रद्धा के साथ निर्मल स्थान पर स्थापित करनी चाहिए. आरती के पश्चात कपूर के माध्यम से कर्पूर गौरम.... मंत्र द्वारा कपूर को जलाना चाहिए. यह कपूर प्राकृतिक व शुद्ध कोटि का हो. जिससे स्थान विशेष में अधिक धुंआ न हो. महालक्ष्मी की आरती की थाली में शुद्धता को बहुत अधिक महत्व दिया गया है. यथासंभव नये थाली का भी उपयोग किया जा सकता है. पूजा के उपरांत थाली को आस्था और भक्ति के साथ भगवान के समीप अच्छे स्थान पर रखना चाहिए. दूसरे दिन विधान पूर्वक चीजों को अलग-अलग रखकर इस थाली को अच्छी तरह से साफ करके अनुकूल स्थान पर रख देना चाहिए.

Last Updated : Nov 4, 2021, 6:55 AM IST

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