रायपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने संक्रमित मरीजों को होटलों में आइसोलेट करने की व्यवस्था की है. मरीजों को क्वॉरेंटाइन करते समय स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय पुलिस की एक टीम संक्रमित मरीजों के घरों में होम क्वॉरेंटाइन के स्टीकर भी लगा रही है. जिससे मोहल्ले वालों या आसपास के लोगों को पता चल सके कि यह परिवार आइसोलेट या होम क्वॉरेंटाइन में है. स्थानीय पुलिस लगातार होम क्वॉरेंटाइन रह रहे लोगों पर निगरानी भी रख रही है. ताकि वह घरों से बाहर ना निकलें. ऐसे हालातों में भी सफाईकर्मी अपना काम बखूबी कर रहे हैं. वे होम क्वॉरेंटाइन और होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों के घर जाकर कचरा, दस्ताने, मास्क जैसे मेडिकल वेस्ट इकट्ठा कर रहे हैं.
कोरोना संकट में मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल इस वक्त शहर में सैकड़ों लोग होम क्वॉरेंटाइन में रह रहे हैं. ऐसे हालात में भी सफाईकर्मी किस तरह उनके घरों से कचरा इकट्ठा कर रहे हैं. किस तरह उन कचरों को अलग रखा जा रहा है और उसका डिस्पोजल किया जा रहा है.
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वेस्ट को किया जाता है दफ्न
सफाईकर्मियों ने बताया कि कोविड-19 के दौर में भी वे मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के काम में लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि होम क्वॉरेंटाइन और होम आइसोलेशन से निकलने वाले कचरे को अलग से रखा जाता है. जिसे नगर निगम के स्वास्थ्यकर्मी ले जाकर डिस्पोज करते हैं. होम क्वॉरेंटाइन और होम आइसोलेशन से ग्लब्स, मास्क निकलने पर उसे दफना दिया जाता है, जिससे की संक्रमण न फैले.
कचरे को अलग करते सफाईकर्मी पीपीई किट पहनकर खाना देते हैं वेटर
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष तरनजीत सिंह होरा ने बताया कि प्राइवेट होटलों को आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. जिसमें एसिंप्टोमेटिक मरीजों को रखा जा रहा है. यानी जिनको सर्दी खांसी जैसे आम लक्ष्ण हैं. इन मरीजों के जितने भी मेडिकल वेस्ट निकलते हैं, उनको हॉस्पिटल के सफाईकर्मी ले जाते हैं और हॉस्पिटल ही उन वेस्ट को डिस्पोज भी करता है. होटलों से निकलने वाले कचरे पर पूरी निगरानी हॉस्पिटल रखता है. जो वेटर आइसोलेशन में रह रहे लोगों को खाना भी पहुंचाते हैं वो भी पीपीई किट पहन कर उन्हें खाना देते हैं. उसके बाद पीपीई किट को खोलकर उसे अलग से होटल में रख दिया जाता है. बाद में अस्पताल की सफाईकर्मियों की टीम आकर उस कचरे को ले जाती है.