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पंजाब में चौंकानेवाले चुनाव परिणाम के बाद छत्तीसगढ़ में सीएम बदलाव की अटकलों पर अब पूर्ण विराम...!

कांग्रेस को लेकर राजनीति के जानकार मानते हैं कि जिस तरह से चुनाव के चंद माह पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री को बदला गया था, उसका खामियाजा कहीं न कहीं कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा. यही वजह रही कि सत्ता पर काबिज होने के बावजूद कांग्रेस पंजाब में भारी हार का सामना करना पड़ा. लेकिन छत्तीसगढ़ में अब सीएम बदलाव की (Discussion of CM change ends in Chhattisgarh) अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया है...

Discussion of CM change ends in Chhattisgarh
पंजाब में चौंकानेवाले चुनाव परिणाम के बाद छत्तीसगढ़ में सीएम बदलाव की अटकलों पर अब पूर्ण विराम

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Published : Mar 13, 2022, 4:04 PM IST

Updated : Mar 13, 2022, 6:43 PM IST

रायपुर :हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव संपन्न हुए. इनमें से 4 राज्यों में बीजेपी ने अपना परचम लहराया. पांचवें राज्य के परिणाम चौंकाने वाले रहे. इसकी उम्मीद शायद किसी भी राजनीतिक दल को नहीं थी. जी हां पंजाब विधानसभा चुनाव में "आप" ने कांग्रेस और बीजेपी को पछाड़ते हुए एकतरफा जीत हासिल की और पंजाब की सत्ता पर काबिज हुई.

पंजाब में मुख्यमंत्री बदले जाने का कांग्रेस ने भुगता खामियाजा...
पंजाब में इस स्थिति को लेकर कई तरह की चर्चा राजनीतिक गलियारों में है. खासकर कांग्रेस को लेकर राजनीति के (Discussion of CM change ends in Chhattisgarh) जानकार मानते हैं कि जिस तरह से चुनाव के चंद माह पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री को बदला गया था, उसका खामियाजा कहीं न कहीं कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा. यही वजह रही कि सत्ता पर काबिज होने के बावजूद कांग्रेस पंजाब में भारी हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस भी मानती है कि चुनाव के कुछ माह पूर्व पंजाब का मुख्यमंत्री बदलना कहीं न कहीं उनके लिए हानिकारक साबित हुआ है. क्योंकि कांग्रेस के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल बना हुआ था, जिसे दूर करने में नए मुख्यमंत्री सफल नहीं हो सके. इस वजह से पंजाब में कांग्रेस की हार हुई.

हमारी सरकार के लिए वहां एंटी इनकंबेंसी का माहौल था : सुशील
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि वहां दो बार हमारी सरकार थी. साढ़े 4 साल तक अमरिंदर सिंह की सरकार थी. हमारी सरकार के लिए वहां पर एंटी इनकंबेंसी थी. 5 महीने पहले वहां पर एक दलित और सौम्य चेहरा चन्नी के रूप में कांग्रेस ने प्रस्तुत किया. एंटी इनकंबेंसी को समाप्त करने में हमारी नई सरकार सफल नहीं हो सकी. उसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में हमें भुगतना पड़ा.

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अब बदली-बदली नजर आ रही छत्तीसगढ़ की परिस्थिति
इस चुनाव परिणाम ने छत्तीसगढ़ में उस संभावनाओं पर विराम लगा दिया है, जिसमें यह कयास लगाए जा रहे थे कि हो न हो विधानसभा चुनाव के पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को बदला जा सकता है. यानी कि ढाई-ढाई साल का फार्मूला न सही फिर भी छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री जरूर बदला जाएगा. लेकिन जो परिणाम पंजाब में देखने को मिले, उसके बाद अब यहां की परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं. राजनीति के जानकार भी इस चुनाव परिणामों को देखते हुए आगामी दिनों में छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलाव की संभावनाओं पर पूरी तरह से खारिज करते नजर आ रहे हैं.

अकाली दल और कांग्रेस से ऊब चुकी थी जनता : राम अवतार
वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस यह दो पार्टियां ही बदल बदल कर आती थी. इससे जनता ऊब गई थी. नए विकल्प के रूप में आप पार्टी सामने आई और वह जीत गई. इस दौरान कांग्रेस की यह काफी बुरी हार है. कांग्रेस की हार की मुख्य वजह पार्टी का आंतरिक झगड़ा और चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री का बदला जाना है. चुनाव के पहले मुख्यमंत्री बदलना कांग्रेस के लिए मजबूरी थी, क्योंकि अमरिंदर सिंह निरंकुश हो गए थे. उनकी जगह जो दलित चेहरा लाया गया, क्या वह दलित चेहरा कांग्रेस को मजबूती दे पाया या नहीं, दलित वर्ग का वोट मिला या नहीं मिला या कांग्रेस के भीतर समन्वय कर पाए या फिर कुछ लोगों के बीच ही वे सीमित रह गए. कई ऐसे सवाल इस परिणाम के बाद सामने आए हैं.

तिवारी ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने की संभावना नहीं दिख रही है. भूपेश बघेल के साथ इस समय सारे विधायक खड़े हुए हैं. सरकार की योजनाएं लोगों के लिए लाभदायक हो रही हैं. ऐसे समय में मुख्यमंत्री बदलने का जोखिम लेना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकता है. कांग्रेस ने यह प्रयोग पंजाब में किया, जिससे उन्हें नुकसान हुआ है. यही वजह है कि अब आगामी दिनों में प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलाव की संभावना समाप्त हो जाएगी.

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सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस में शुरू थी जद्दोजहद
बता दें कि साल 2018 में कांग्रेस के सत्ता पर काबिज होते ही मुख्यमंत्री बनाने को लेकर पार्टी में जद्दोजहद शुरू हो गई थी. बाद में पार्टी हाईकमान ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी. इसके बाद छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के फॉर्मूला की चर्चा रही. लेकिन छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलाव नहीं हुआ. मुख्यमंत्री बदलाव को लेकर आएदिन पार्टी के अंदर और बाहर घमासान मचा रहा. इस बीच सितंबर 2021 में राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा होना था. इसकी तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बैठक की. बस्तर में कार्यक्रम की तैयारियों का जिम्मा आबकारी मंत्री कवासी लखमा को सौंपा गया. कवासी लखमा बस्तर में सक्रिय हो गए थे, लेकिन बाद में यह दौरा रद्द हो गया. क्योंकि उसी दौरान ढाई-ढाई साल के बाद मुख्यमंत्री बदलाव की चर्चा जोरों पर थी.

हालांकि कई मंत्री और विधायकों तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने मुख्यमंत्री के बदलाव के पक्ष और विपक्ष में दिल्ली में डेरा डाल रखा था. बाद में भूपेश बघेल ने दिल्ली में बयान दिया था कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ आ रहे हैं, जिसके बाद सभी छत्तीसगढ़ लौटे थे. उसके बाद न तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बदले और न ही मुख्यमंत्री बदलाव को लेकर किसी तरह का कोई बयान पार्टी की ओर से आया है. हालांकि इस बीच राहुल गांधी फरवरी में छत्तीसगढ़ आकर लौट भी गए. उस दौरान ही राजनीति के जानकारों साफ कर दिया था कि अब प्रदेश में मुख्यमंत्री का बदलाव नहीं होगा.

Last Updated : Mar 13, 2022, 6:43 PM IST

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