रायपुर: देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह का पर्व 24 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन को अबूझ मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग बिना मुहूर्त के ही विवाह कराते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है.
पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि द्वादशी तिथि 23 नवंबर रात 9 बजकर 3 मिनट से अगले दिन यानी 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगी. इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है. भगवान शालिग्राम विष्णु जी के अवतार माने गए हैं. 24 नवंबर को शाम के समय गोधूलि बेला में 5 बजकर 25 मिनट से 7 बजकर 6 मिनट तक तुलसी विवाह का आयोजन किया जा सकता है. 24 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी पड़ रहा है.
तुलसी विवाह की कथा: पौराणिक कथा के अनुसार असुरों के राजा जालंधर की पत्नी वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी. जालंधर के वध के लिए भगवान विष्णु को वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करना पड़ा. जालंधर की मृत्यु के बाद वृंदा ने अपना शरीर त्याग दिया. वृंदा ने जहां अपना शरीर त्यागा वहां तुलसी का पौधा उग आया. भगवान विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया कि उसका उनके शालिग्राम रूप से विवाह होगा और तुलसी के बिना उसकी पूजा अधूरी रहेगी. इसलिए कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराया जाता है.
नवंबर 2023 से लेकर मार्च 2024 तक विवाह के 43 मुहूर्त