रायपुर:छत्तीसगढ़ में बलात्कार की वारदात लगातार बढ़ती जा रही है. हर दिन बलात्कार के केस दर्ज हो रहे हैं. बढ़ते बलात्कार के मामलों पर अब सवाल उठने लगे हैं. कुछ जानकारों के मुताबिक ज्यादातर ऐसे केस में पहले आपसी सहमती की बात सामने आ रही है. इसमें लड़के शादी का झांसा देकर या किसी तरह के प्रलोभन में संबंध बनाते हैं, जो बाद में रेप केस में तब्दील हो जाता है. हालांकि ऐसे मामलों का अलग से कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन जानकारों का कहना है कि 90 से 95 फीसदी मामले प्रेम संबंध, शादी का झांसा या किसी अन्य प्रलोभन जैसे, नौकरी में प्रमोशन या नौकरी, गिफ्ट का लालच देकर संबंध बनाने का होता है.
साल दर साल बढ़ रहे बलात्कार की वारदात को लेकर ईटीवी भारत ने महिला उत्थान के लिए काम कर रहे निजी और सरकारी संस्थान के सदस्यों, कानून के जानकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात की, जिसमें उन लोगों का कहना है कि बलात्कार के लगभग केस आपसी सहमति के ही होते हैं. इसमें, सबसे ज्यादा शादी का झांसा, लिव इन रिलेशन के होते हैं. इसके अलावा नौकरी, प्रमोशन या किसी गिफ्ट की लालच में भी युवतियां या महिलाएं पहले शारीरिक संबंध स्थापित करती हैं, बाद में वो वादा पूरा नहीं होने पर केस बलात्कार में बदल जाते हैं. ज्यादातर मामलों में लड़कियां और महिलाएं आपसी सहमति से लड़कों ओर पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करती हैं और बाद में किसी बात को लेकर हुए लड़ाई-झगड़े या मनमुटाव पर मामला बलात्कार का बन जाता है.
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग
लिव-इन-रिलेशन
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक कहती हैं, समय के साथ इस तरह की वारदातें बढ़ी हैं. इसके पीछे कई कारण हैं, जो अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है, लेकिन जब ऐसे मामले न्यायालय में जाते हैं तो वहां परिस्थिति और साक्ष्यों के आधार पर मामलों का निराकरण किया जाता है. किरणमयी नायक इसके पीछे समाज में हो रहे बदलाव को भी जिम्मेदार बताती हैं. दरअसल, आधुनिकता की दौड़ में लोग समाज की व्यवस्थाओं को बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समाज को इतनी तेजी से बदला नहीं जा सकता है. आज लोग बिना शादी के लिव-इन-रिलेशन में रह रहे हैं. शारीरिक संबंध स्थापित कर रहे हैं, जिसका भारतीय समाज अनुमति नहीं देता है और जब इनकी शादी की बात आती है तो यह समाज और परिवार की ओर आते हैं, लेकिन परिवार इन दोनों की शादी के लिए सहमति नहीं देता है, जिसके बाद यहां से अपराध शुरू होता है.
डॉ किरणमयी नायक,अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग कानून में संशोधन
किरणमयी नायक कहती हैं, कानून अब 16 साल की लड़की से भी शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दे सकती है. बाद में ऐसे सहमति के मामले न्यायालय में जाते हैं तो वहां भी परिस्थितियां साक्ष्यों के आधार पर सजा की संभावना कम ही होती है. वर्तमान में जितनी तेजी से समाज बदल रहा है उतनी तेजी से कानून में बदलाव संभव नहीं है. यहीं वजह है कि समय के साथ-साथ कानून में भी संशोधन किया गया है. आईपीसी 498 (दहेज प्रताड़ना) मामले का भी महिलाओं की ओर से गलत इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आने लगी थी, जिसके बाद उसमें कुछ बदलाव किए गए हैं. इसी तरह बलात्कार के मामलों में भी समय-समय पर कुछ संशोधन किए गए हैं.
झूठी रिपोर्ट पर FIR
कानून के जानकार और हाईकोर्ट के वकील रमाकांत मिश्रा कहते हैं, किसी महिला की ओर से बलात्कार की शिकायत की जाती है तो ऐसे मामले में पुलिस को तत्काल FIR दर्ज करना होता है. इसके बाद प्रकरण से संबंधित लोगों के बयान मेडिकल रिपोर्ट आदि एकत्रित कर मामले की विवेचना की जाती है. इसके बाद स्पष्ट हो जाता है कि यह बलात्कार का मामला है. फिर आपसी सहमति के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करती है. रमाकांत मिश्रा मानते हैं कि पिछले कुछ सालों में इस तरह की वारदातें काफी बढ़ी हैं. रमाकांत मिश्रा कहते हैं, महिलाओं की ओर से इस तरह के मामले दर्ज कराए जाते हैं, तो कानून में पुरुषों को भी अधिकार प्राप्त है कि महिलाओं की झूठी रिपोर्ट पर उनके खिलाफ FIR दर्ज करा सके. इसमें भी महिलाओं को झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने पर सजा का प्रावधान है.
6 महीने बाद भी दर्ज कराया जाता है केस छत्तीसगढ़ में काम कर रही समाज सेविका ममता शर्मा के मुताबिक, लड़कियां अपनी मर्जी से लड़कों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करती हैं और बाद में किसी बात को लेकर विवाद या मनमुटाव की स्थिति में उसके खिलाफ FIR दर्ज करा देती हैं. ममता शर्मा के मुताबिक नाबालिग बच्चियों को छोड़ दिया जाए तो बलात्कार के 94 से 95 फीसदी केस आपसी सहमति से संबंध बनाने के बाद के होते हैं. ममता शर्मा कहती हैं, लड़कियां भी अपने आपको सीमाओं में नहीं बांध पा रही हैं. कुछ अपनी शौक को पूरा करने तो कुछ अपने इसी निहित स्वार्थ के लिए शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति दे देती हैं. बाद में जब स्वार्थ सिद्ध नहीं होता, तो लड़कों के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करा दिया जाता है. जिन बलात्कार के मामलों में तत्काल रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है, वह समझ में आते हैं, लेकिन जिन मामलों में 6 महीने बाद या उससे अधिक समय बाद रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है, ऐसे केस कहीं न कहीं स्वार्थ सिद्ध न होने की वजह का होता है.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक बीते 6 साल में ऐसी वारदातों में लगातार इजाफा हुआ है. विधानसभा के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 2014 में 1502 रेप के केस दर्ज दिए गए थे, जो 1 जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2020 तक बढ़कर 2575 हो गया है. यानी 6 साल में रेप की वारदातों में लगभग दो गुना वृद्धि हुई है.
छत्तीसगढ़ में बलात्कार केस
- 2014 में 1502 बलात्कार के केस दर्ज हुए
- 2015 में 1629 बलात्कार के केस दर्ज हुए
- 2016 में 1700 बलात्कार केस दर्ज हुए
- 2017 में 1776 बलात्कार केस दर्ज हुए
2014 से 2017 तक छत्तीसगढ़ में 257 सामूहिक बलात्कार के केस दर्ज किए गए हैं.
2018 में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दी गई जानकारी
1 जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2020 तक की रिपोर्ट
- छत्तीसगढ़ में 2575 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- रायपुर में सबसे ज्यादा 301 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- रायगढ़ में 196 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- बिलासपुर में 144 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- सरगुजा में 139 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- सूरजपुर में 132 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- जशपुर में 123 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- बलौदा बाजार में 123 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- बस्तर में 115 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- कोरिया में 114 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- बलरामपुर में 112 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
- कोरबा में 102 बलात्कार के केस दर्ज किए गए
बाइज्जत बरी भी होते हैं रेप के आरोपी
इस तरह के मामलों में कोर्ट भी परिस्थिति, साक्ष्य और समय को देखते हुए अपना फैसला सुनाता है. यहीं वजह है कि शादी का झांसा देकर बलात्कार के कुछ मामलों में न्यायालयों ने आरोपियों को सजा सुनाई है, तो कई मामलों में आरोपियों को बाइज्जत बरी भी किया गया है.