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हरेली के रंग में रंगे बच्चे, पारंपरिक खेलों के साथ छत्तीसगढ़ व्यंजन का लिया आनंद - हरेली पर कार्यक्रम का आयोजन

हरेली के मौके पर प्रदेशभर में अलग-अलग आयोजन किये गए. इसी कड़ी में राजधानी के बूढ़ापारा क्षेत्र के सप्रे शाला में पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया. इसमें स्कूली बच्चों के साथ-साथ अन्य बच्चों ने भी हिस्सा लिया.

हरेली के मौके पर प्रदेश भर में अलग-अलग आयोजन किये गए. इसी कड़ी में राजधानी के बुढ़ापारा क्षेत्र के सप्रे शाला में पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया.

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Published : Aug 2, 2019, 4:41 PM IST

रायपुर:राजधानी समेत पूरे प्रदेश में इस बार हरेली त्यौहार के मौके पर सरकार ने अवकाश घोषित किया था. हरेली के मौके पर राजधानी के सप्रे शाला मैदान में छत्तीसगढ़ के विलुप्त होते पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गय, जिसमें स्कूली बच्चों सहित आस-पास के वार्डों के बच्चों ने भी हिस्सा लिया.

हरेली के मौके पर प्रदेश भर में अलग-अलग आयोजन किये गए. इसी कड़ी में राजधानी के बुढ़ापारा क्षेत्र के सप्रे शाला में पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया.

बच्चों ने उठाया पारंपरिक खेलों का लुत्फ
आयोजन में शामिल बच्चों ने सभी खेलों का लुत्फ उठाया. मौके पर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल जैसे बिल्लस, कबड्डी, खो-खो, पिट्ठूल, गेड़ी का आयोजन किया गया था. आज के आधुनिक युग में ज्यादातर बच्चे अपना समय मोबाइल और वीडियो गेम में बिताते हैं, जिससे न तो उनका शारीरीक विकास हो पाता है और न ही वे अपनी संस्कृति को जान पाते हैं. ऐसे में इन खेलों का आयोजन से बच्चों को अपनी परंपरा को जानने में मदद मिलेगी.

खेलों को कैलेंडर में शामिल करने की मांग
छत्तीसगढ़ के विलुप्त होते इन पारंपरिक खेलों को स्कूल के कैलेंडर में भी शामिल करने की मांग की गई है, जिससे इन खेलों का महत्व बढ़ सके और लोग इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकेंगे. मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इन पारंपरिक खेलों को खेलने से बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास भी होगा. ऐसे में जरूरत है सरकार को इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए दशा और दिशा का निर्धारण करे.

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