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सिलगेर में ग्रामीणों के विरोध के बीच विकास के लिए तैनात हैं CRPF के जवान

बीजापुर के सिलगेर (silger bijapur) में चल रहे पुलिस कैंप (Silger Camp of Bijapur) को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अधिकारियों से लेकर दोनों ही पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने भी इस मामले की जांच के लिए टीम गठित की है. सभी टीम ग्रामीणों को समझा पाने में नाकाम साबित हुई हैं. अर्धसैनिक बल लगातार मौके पर तैनात है.

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सिलगेर में विवाद

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Published : Jun 4, 2021, 1:41 PM IST

Updated : Jun 4, 2021, 3:36 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से लोहा लेने के लिए बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बल तैनात हैं, इनमें से ज्यादातर बस्तर संभाग में हैं. खास बात ये है कि नक्सली हिंसा (Naxali Violence) को लंबे समय से झेल रहे इस इलाके में शांति की स्थापना में इन जवानों का बेहद अहम रोल तो है ही, साथ ही अंदरूनी इलाकों में हो रहे विकास कार्यों को पूर्ण करने में भी अब इनकी महती भूमिका रहती है. यानी सीआरपीएफ के जवान नक्सलवाद को बंदूक और विकास दोनों मोर्चों पर धूल चटाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि नक्सली सीआरपीएफ कैंप का (protest against crpf camp) क्यों विरोध करते हैं. दरअसल नक्सलवाद के पनपने के पीछे सबसे मूल कारकों में से एक है विकास के नजरिए से पिछड़ापन. जहां सड़कें नहीं होती हैं, अस्पताल और स्कूल नहीं होते हैं, वहां नक्सली अपना प्रभाव बेहद तेजी से बना लेते हैं. अब जहां-जहां सीआरपीएफ कैंप बनाए जा रहे हैं, उन इलाकों में सड़कें, पुल वगैरह जल्द तैयार करा लिए जाते हैं.

सिलगेर में विवाद

बस्तर में तो कई सड़कें सीआरपीएफ और पुलिस की पूरी सुरक्षा में बनी हैं, तो कुछ जगह पर इन जवानों ने श्रमदान देकर और अपनी जान की बाजी लगाकर सड़क का निर्माण कराया है. कहीं न कहीं इन्हीं कारणों के चलते जवानों और ग्रामीणों के बीच अच्छे संबंध भी बनने लगे हैं. यही बात अब नक्सली लीडरशिप को बहुत ज्यादा चुभने लगी है. इसी का नतीजा है कि पिछले कुछ महीनों में अर्धसैनिक बलों का नक्सली दबाव के चलते ग्रामीण विरोध कर रहे हैं.


बस्तर में सीआरपीएफ की बड़ी भूमिका

नक्सलियों को जड़ से उखाड़ने के लिए केन्द्र सरकार ने बस्तर में अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ, आईटीबीपी और बीएसएफ की तैनाती की, इनमें सबसे ज्यादा जवान सीआरपीएफ के हैं. तकरीबन 30 से 35 बटालियन (सीआरपीएफ) के जवान यहां तैनात हैं. यहां 100 से ज्यादा कैंप बनाए गए हैं. इसके जोन का मुख्यालय रायपुर में स्थित है. बस्तर के अंदरूनी इलाकों में पैठ जमाने में इन जवानों की अहम भूमिका रही है. बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में पिछले 22 दिनों से चल रहा सीआरपीएफ कैंप का विरोध कोई पहला विरोध या आंदोलन नहीं है. इससे पहले भी कुछ इलाकों में इस तरह की खिलाफत होती रही है, लेकिन इन्हें इतना बढ़ने से पहले ही काबू में कर लिया जाता रहा है, लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर नजर आ रहा है. इस कोरोना काल में भी सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण अपना घर-बार छोड़कर यहां जमे हुए हैं. आखिर ये सीआरपीएफ के खिलाफ गुस्सा है या फिर नक्सलियों का दबाव, जिसके चलते लोग अपना घर-बार छोड़कर आंदोलन करने पर मजबूर हैं ये बड़ा सवाल है.

ग्रामीण कैंप का कर रहे विरोध

बीजापुर के सिलगेर कैंप में 16 मई को हुई फायरिंग में 3 लोग मारे गए थे. घटना उस वक्त हुई, जब लगभग 3 हजार ग्रामीण सिलगेर में स्थापित किए जा रहे CRPF कैंप का विरोध करने पहुंचे थे. गोलीकांड के बाद भी ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे हैं. पुलिस ने तीनों मृतकों की शिनाख्त नक्सलियों के DKMS सदस्य के रूप में की है. बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया था कि ग्रामीण तार की बैरिकेडिंग को तोड़कर कैंप में घुसने का प्रयास कर रहे थे, तभी ग्रामीणों की आड़ में खड़े नक्सलियों ने गोली चलाई थी. इस दौरान सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की थी.

तहसीलदार और राजस्व अमला तर्रेम में डटा

सिलगेर में लगी भीड़ और तर्रेम में उमड़ रही ग्रामीणों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भोपालपट्टनम तहसीलदार शिवनाथ बघेल समेत राजस्व अमला वहीं पर डटे हुए थे. किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए पुलिसकर्मी भी तैनात हैं. हालांकि शुरुआत में कैंप के विरोध में हजारों की तादाद में ग्रामीण जुट रहे थे.

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तर्रेम तक ही पहुंच पाए अधिकारी

सुकमा कलेक्टर विनीत नंदनवार ने जगरगुंडा थाना क्षेत्र सिलगेर गोलीकांड घटना की जांच के निर्देश दिए हैं. डिप्टी कलेक्टर रूपेंद्र पटेल को नियुक्त किया गया था. उन्होंने घटना स्थल तक जाने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण वे वहां तक नहीं पहुंच पाए. जिसके कारण जांच प्रभावित हो गई.

बीजेपी जांच दल को आधे रास्ते से लौटना पड़ा वापस

जांच के लिए भाजपा ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया था. इस टीम में दिनेश कश्यप, किरणदेव, महेश गागड़ा, लता उसेंडी, सुभाऊ कश्यप और राजाराम तोड़ेम शामिल हैं. बीजेपी का 6 सदस्यीय जांच दल सिलगेर के लिए रवाना हुआ था. जो तर्रेम तक पहुंचा, लेकिन तर्रेम थाना के सामने से बीजेपी नेताओं को वापस लौटना पड़ा. कंटेनमेंट जोने होने के चलते बीजेपी जांच दल की टीम आगे नहीं जा सकी.

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प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से बस्तर सांसद के नेतृत्व में गठित 9 सदस्यों का जांच दल ग्रामीणों से मिलने बीजापुर पहुंचा था.जांच दल में मंत्री कवासी लखमा को छोड़कर बस्तर संभाग के सभी आदिवासी विधायक शामिल हैं. बस्तर सांसद दीपक बैज (Bastar MP Deepak Baij) की अध्यक्षता में जनप्रतिनिधियों की जांच समिति में बस्तर विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण (Bastar Development Authority) के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, केशकाल विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संतराम नेताम, दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा, कांकेर विधायक एवं संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी, अंतागढ़ विधायक अनूप नाग, बीजापुर विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, नारायणपुर विधायक और छत्तीसगढ़ हस्त शिल्प विकास बोर्ड (Chhattisgarh Hand Crafts Development Board) के अध्यक्ष चंदन कश्यप शामिल हैं. इसके साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन के प्रतिनिधि भी इस टीम में शामिल हैं.

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सिलगेत तक नहीं पहुंची पाया कांग्रेस का जांच दल

बस्तर सांसद के साथ 9 सदस्यों वाली टीम मौके के लिए तो निकले, लेकिन वे सिलेगर तक नहीं पहुंच पाए. खराब सड़क, तेज बारिश और सुरक्षा कारण से सभी सिलगेर और तर्रेम के बीच घटना स्थल से 5 किलोमीटर दूर ही सभी ने ग्रामीणों को बुलाकर उनसे करीब 3 घंटे तक बात की. ग्रामीणों से बात कर जांच टीम वहीं से वापस बीजापुर लौट आई.

एक नजर में पूरा मामला समझें-

  • सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं.
  • करीब 20 दिन पहले शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन में सिलगेर गांव के साथ ही आसपास के कई गांव के ग्रामीण जुटे हुए हैं.
  • फायरिंग में पुलिस के मुताबिक तीन नक्सलियों की मौत हुई है. एक गर्भवती महिला की मौत भी भगदड़ मचने से हुई.
  • सुरक्षा बल के दबाव के बावजूद यहां से ग्रामीण हटने का नाम नहीं ले रहे हैं. पुलिस महकमे के अधिकारियों का दावा है कि नक्सलियों के उकसावे में ये ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे हैं.
  • इस मामले में भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी समिति गठित की थी. अब इस मामले में सरकार द्वारा अलग कमेटी बनाई गई है. फिलहाल मौके पर सैकड़ों की तादाद में ग्रामीण डटे हुए हैं.
Last Updated : Jun 4, 2021, 3:36 PM IST

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