खतरे में जेसीसीजे का अस्तित्व रायपुर:जेसीसीजे प्रवक्ता भगवानू नायक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा" पार्टी के अस्तित्व संकट की कोई बात ही नहीं है. पार्टी में लगातार लोगों का आना-जाना लगा रहता है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जाकर दौरा किया और लोगों का मनोबल बढ़ाया. बस्तर, बीजापुर और जगदलपुर में बड़े-बड़े आयोजन हुए. कलेक्ट्रेट घेराव में हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि हमारी पार्टी की स्वीकार्यता जनता के बीच है.''
जेसीसीजे प्रवक्ता भगवानू नायक के मुताबिक ''जेसीसीजे छत्तीसगढ़ का एकमात्र मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल है. साल 2018 चुनाव में गठबंधन के साथ हमने 7 सीटें हासिल की और तीसरे विकल्प के रूप में हमारी पार्टी उभर कर सामने आई थी. हां, पार्टी सुप्रीमो अजीत जोगी के निधन के बाद हमारी पार्टी थोड़ी कमजोर जरूर हुई है लेकिन अजीत जोगी कण-कण में बसे हुए हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. लगातार वो राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और क्षेत्रीय दल के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. पार्टी में सभी मोर्चा शासन के जन विरोधी नीतियों के खिलाफ काम काम कर रहे हैं. आने वाले समय में बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. आगामी 2023 विधानसभा चुनाव में हम पूरे जोश के साथ लड़ेंगे."
वक्त बताएगा कि कौन कहां जाएगा: पार्टी में विधायकों की नाराजगी को लेकर भगवानू नायक ने कहा "बलौदाबाजार विधायक प्रमोद शर्मा और लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह आज भी हमारे पार्टी के विधायक हैं. हम उन्हें पार्टी का ही मान कर चल रहे हैं. आने वाले समय में परिस्थितियां बताएगी कि कौन किसके साथ जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस की छत्तीसगढ़ में बड़ी भूमिका रहेगी."
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क्या कहते हैं जानकार: जोगी कांग्रेस के अस्तित्व के विषय में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे से बातचीत की. उन्होंने कहा "मैं जोगी कांग्रेस को दो भागों में बांटूंगा. जब अजीत जोगी जीवित थे, उस समय की जोगी कांग्रेस और आज उनके निधन के बाद की जोगी कांग्रेस. साल 2016 में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर अजीत जोगी ने नई पार्टी जेसीसीजे का बीज रखा था. उस समय लगता था कि छत्तीसगढ़ में ये एक पार्टी खड़ी हो रही है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी से 5 विधायक जीत कर आए, अजीत जोगी के देहांत के बाद पार्टी के खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह का देहांत हो गया. धर्मजीत सिंह किन्ही कारणों से अलग हैं. बलौदा बाजार विधायक प्रमोद शर्मा जोगी कांग्रेस के होकर भी भाजपा के साथ खड़े नजर आते हैं. विधानसभा सदन की तस्वीर पर अगर गौर करें तो सिर्फ रेणु जोगी इकलौती पार्टी की विधायक नजर आ रही हैं."
अजीत जोगी के निधन के बाद पार्टी को हुआ नुकसान: वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने कहा "अप्रैल 2020 में अजीत जोगी का जाना इस पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ. ऐसा नहीं है कि उनके बेटे अमित जोगी में क्वालिटी नहीं है. उनके अंदर क्वालिटी है. उन्हें सारी चीजें विरासत में मिली है, लेकिन राजनीति एक त्याग और तपस्या मांगती है. बहुत लंबा सफर तय करना पड़ता है. बहुत सोच समझकर चलना और साधना पड़ता है. अब यह देखना होगा कि क्या अमित जोगी आगामी विधानसभा की परिस्थितियों से लड़ कर खुद को साबित कर पाते हैं या नहीं."
केवल दो पार्टियों के बीच ही दिख रहा मुकाबला: वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने कहा, "इस साल दिसंबर माह में विधानसभा चुनाव होने हैं. साल 2023 विधानसभा चुनाव में सिर्फ कांग्रेस और भाजपा ही आमने-सामने नजर आ रही है. 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस के अलावा जेसीसीजे भी नजर आती थी. हालांकि आप के बढ़ते कदम सियासी रूख बदलती नजर आ रही है. आप के पांव 2013 विधानसभा चुनाव में ही छत्तीसगढ़ में पड़ गए थे. धीरे-धीरे आप पार्टी मजबूत हो रही है. अरविंद केजरीवाल छत्तीसगढ़ का दौरा करके गए हैं. आगामी दिनों में भी वो छत्तीसगढ़ आएंगे. अगर आगामी विधानसभा चुनाव में अमित जोगी और उनके साथी ताकत लगाएं तो अच्छी बात है. हालांकि मुकाबला दो पार्टियों के बीच ही दिख रहा है."
2018 विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस की स्थिति: अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर साल 2016 में जेसीसीजे का गठन किया था. 2 साल बाद साल 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान जेसीसीजे ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर विधानसभा का चुनाव लड़ा. अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस के 5 विधायक जीत कर आए. साल 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी का वोट प्रतिशत 7.6 फीसद था. ऐसे में आगामी दिनों में पार्टी के अस्तित्व की बात की जाए तो पार्टी के नेता और अमित जोगी की मेहनत ही पार्टी के अस्तित्व को जिंदा रख सकती है.