रायपुर: छत्तीसगढ़ में पुलिस चाहे कितने भी बार रायपुर को फ्री 'क्राइम कैपिटल' कहे. लेकिन रायपुर में बढ़ते क्राइम के आंकड़े चिंताजनक है. रायपुर कहने के लिए तो सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से प्रदेश का सबसे चाक-चौबंद शहर माना जाता है. लेकिन हकीकत उससे उलट है. आलम यह है कि रायपुर में लोग डर-डर कर जी रहे हैं. राजधानी की शांत हवाओं में अपराध का जहर इतना घुल गया है कि यहां कि हवाएं ही जहरीली हो गई है.
शहर में सक्रिय बदमाश वारदातों को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दे रहे है. हत्या, बलात्कार, अपहरण और चोरी जैसे संबंधित अपराध खुलेआम किए जा रहे हैं. ईटीवी भारत ने रायपुर में बढ़ते क्राइम ग्राफ की जब पड़ताल की तो पता चला कि, जुलाई महीने में ही 853 अपराध दर्ज हुए हैं. जो शहर की आपरधिक छवि को बताने के लिए काफी है.
जुलाई में 7 हत्या, 26 बलात्कार के मामले दर्ज
रायपुर में हत्या, लूट और चोरी की वारदात से शहरवासी खौफजदा जिंदगी बिताने को मजबूर हैं. शाम ढलते ही सूने इलाकों से गुजरना आम लोगों के लिए मुश्किल हो गया है. कब कौन लूट का शिकार हो जाए, कुछ कह नहीं जा सकता. जुलाई में ही रायपुर में 853 मामले दर्ज हुए हैं. इसमें हत्या के 7, बलात्कार के 26 और अपहरण के 56 मामले हैं. लगातार बढ़ती आपराधिक घटनाओं से राजधानी के डर के साए में रह रहे हैं. ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं.
अपराधियों के हौसले बुलंद
बढ़ते अपराध को लेकर स्थानीय निवासी दीपक बावनकर बताते हैं कि, कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. लगातार सुनने और पढ़ने मिल रहा है कि चोरी, रेप और अपहरण हो रहे हैं. लेकिन अभी तक अपराधियों को पकड़ा नहीं जा रहा है. समझ से परे है कि, पुलिस क्या रही हैं. ऐसा लग रहा है कि यह केवल नेताओं के आगे पीछे घूमकर अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं. जबकि इनको यह सब छोड़कर अपराधियों पर नकेल कसना चाहिए. उन्हें पकड़ना चाहिए, ताकि अपराधियों में पुलिस का भय हो और कोई भी अपराधी, क्राइम करने से पहले 10 बार सोचे. पुलिस का भय जब तक नहीं रहेगा तब तक अपराध कम नहीं होने वाला.