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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामला: जुर्माने के साथ वक्फ बोर्ड का प्रार्थना पत्र मंजूर, 13 को सुनवाई

काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में जिला जज उमेश चंद्र शर्मा की अदालत ने वक्फ बोर्ड पर 3 हजार रुपये का हर्जाना लगाया हैं.

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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामला

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Published : Oct 7, 2020, 9:28 AM IST

वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में जिला जज उमेश चंद्र शर्मा की अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड पर तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. मामले में अगली सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी.

काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामला: जुर्माने के साथ वक्फ बोर्ड का प्रार्थना पत्र मंजूर

सुन्नी वक्फ बोर्ड की अपील स्वीकार

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की अपील को स्वीकार किया है. वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में अपील की थी कि इस मामले को वक्फ टिब्यूनल लखनऊ में चलाया जाए. इस अपील को कोर्ट के टाइम बॉन्ड के बाद अपील करने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड पर तीन हजार रुपये का हर्जाना लगाया है.

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) के निर्णय के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने में हुई देरी के लिए क्षमा मांगते हुए जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था. इस प्रार्थना पत्र पर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र ने निर्धारित समयावधि के बाद याचिका दायर करने पर आपत्ति जताई थी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने निर्णय के लिए 6 अक्टूबर की तिथि तय की थी.

मामले में भगवान विश्वेश्वरनाथ की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी. सिविल जज ने 25 फरवरी 2020 को पक्षकारों की बहस सुनने और नजीरों के अवलोकन के बाद सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था.

13 अक्टूबर को अगली सुनवाई

सिविल जज के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एक जुलाई को तो वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 18 सितंबर को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई थी. अब 13 अक्टूबर को इस अपील को एडमिट किया जाएगा और कोर्ट वाद संख्या देगी और इसके बाद इस पर बहस शुरू होगी कि इस मसले को वक्फ टिब्यूनल लखनऊ जाना चाहिए या नहीं.

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