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भ्रष्ट अधिकारियों एसीबी और ईओडब्ल्यू का खौफ कम, 22 साल के आंकड़े बता रहे हकीकत

छत्तीसगढ़ में लगातार अधिकारी और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. इन पर एंटी करप्शन ब्यूरो Anti Corruption Bureau और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो Economic Offenses Investigation Bureau के द्वारा कार्रवाई की जाती रही है. लेकिन पिछले कुछ सालों में इनकी कार्रवाई की गति काफी धीमी पड़ गई है. कार्रवाई धीमी होने की वजह से अधिकारियों कर्मचारियों पर एसीबी और ईओडब्ल्यू का भय कमोवेश कम हो गया है. आइए एक नजर डालते हैं छत्तीसगढ़ में 22 सालों में एसीबी और ईओडब्ल्यू में दर्ज मामलों पर...

ACB EOW Office
एसीबी और ईओडब्ल्यू कार्यालय

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Published : Dec 23, 2022, 8:40 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार रोकने के लिए लगातार एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) काम कर रही है. अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ छापेमारी कार्रवाई की गई है. कोई रिश्वत के मामले में धरा गया है तो किसी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया है.

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ बनने के बाद पिछले 22 सालों में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) के द्वारा करीब 350 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें ज्यादातर कार्रवाई रिश्वतखोरी के खिलाफ की गई है. करीब 175 से ज्यादा रिश्वतखोरी के मामले दर्ज किए हैं. 75 से ज्यादा मामले आय से अधिक संपत्ति के दर्ज हैं. इसके अलावा भी कई अनियमितताओं के मामले भी दर्ज किए गए हैं. इन सभी से करीब 200 मामलों की जांच चल रही है.

एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की गिरफ्त में आने वाले ज्यादातर पटवारी, लिपिक, शिक्षक, सहित अन्य वर्ग के कर्मचारी भी हैं. इसके अलावा आईएएस, आईपीएस, आईएफएस सहित अन्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी शामिल हैं. जानकारी के अनुसार 3 आईएएस, 3 आईपीएस, एक आईएफएस सहित राज्य 4 प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

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मध्यप्रदेश के समय के भी कई मामले हैं लंबित:विभागीय सूत्रों की मानें तो इसमें से अधिकांश के खिलाफ जांच पूरी करने के बाद चालान पेश किया जा चुका है. संबंधित कोर्ट में उनके खिलाफ सुनवाई चल रही है. हालांकि इसमें मध्यप्रदेश के समय के कई मामले लंबित है, जिनकी अब तक अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल पाई है.



साल 2014 से 2018 के बीच हुई थी ताबड़तोड़ कार्रवाई:मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा प्रकरण 2014 से 2018 के बीच दर्ज किए गए. इस बीच प्रदेश में 217 प्रकरण दर्ज किए गए. इस दौरान तलाशी में 2 अरब 7 करोड़ 47 लाख 72 हजार रुपए की चल अचल संपत्तियां बरामद की गई. इसमें रिश्वत लेने के प्रकरणों की संख्या ज्यादा है. इन मामलों में अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है.



शिकायत के लिए जारी किया गया है टोल फ्री और व्हाट्सएप नंबर: समय समय पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए शासन प्रशासन द्वारा अभियान चलाया जाता रहा है. इसके लिए कई व्यवस्थाएं भी की गई है. जिसके तहत लोग भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों की जानकारी दे सकते हैं. जानकारी मिलने के बाद विभाग उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई करता है.

इसी कड़ी में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ शिकायत करने के लिए दिसंबर 2020 में टोल फ्री नंबर 1064, वाट्सऐप नंबर 8839345960 और ऑनलाइन व्यवस्था की गई है. इसमें शिकायत करने पर एसीबी और ईओडब्लू की टीम जांच करने के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करेगी.

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ऑनलाइन शिकायतों का लगा अंबार :सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऑनलाइन व्यवस्था करने के बाद गोपनीय शिकायतों का मानो अंबार लग गया है. जांच एजेंसी की टीम इसके परीक्षण के साथ ही इसके वास्तविकता की तलाशी कर रही है. इन शिकायतों में रिश्वत मांगने और आय से अधिक संपत्तियों के मामले कहीं ज्यादा है. एक अनुमान के मुताबिक विभाग के पास हर महीने 500 से ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं.



कार्रवाई ना होने से अधिकारियों और कर्मचारियों में खौफ हुआ कम:पहले एसीबी और ईओडब्ल्यू के द्वारा आए दिन भ्रष्ट कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ कारवाई की जाती थी, फिर चाहे वह रिश्ताखोरी के मामले हो या आय से अधिक संपत्ति का. लगतार यह विभाग भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों पर नकेल कसता रहा, लेकिन पिछले कुछ सालों में विभाग की कार्रवाई नाम मात्र की रह गई है.

गिने चुने शिकायतों पर कार्रवाई होती दिख रही है, जांच एजेंसियों द्वारा सख्त कार्रवाई नहीं करने से भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों में इन संस्थाओं का खौफ नहीं रहा. ऐसे मामलों में जांच की प्रक्रिया लंबी चलने, कानूनी दांव पेच में उलझने के चलते उन्हें संदेह का लाभ भी मिल रहा है. अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण भी जांच प्रभावित हो रही है.

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