रायपुर: कोरोना के संक्रमण से रोकथाम और बेहतर जांच के लिए अब जांच का तरीका भी बदलता जा रहा है. खासतौर से गर्मी के मौसम में स्क्रीनिंग करने का तरीका बदल गया है. अब थर्मल गन के स्थान पर इंफ्रारेड थर्मामीटर की मदद ली जाएगी. ये जांच की दृष्टि से ज्यादा प्रमाणिक है. गर्मी का मौसम है और पारा बढ़ रहा है. ऐसे में धूप में आने वाले व्यक्ति का भी तापमान बढ़ा रहता है. थर्मल गन से स्क्रीनिंग करने पर यह काफी बढ़ा हुआ आ रहा है, इससे सटीक जांच नहीं हो रही है. जिसके कारण अब इंफ्रारेड थर्मामीटर की मदद ली जाएगी.
अब इंफ्रारेड थर्मामीटर से होगी कोरोना संदिग्धों की स्क्रीनिंग रायपुर उत्तर विधायक कुलदीप जुनेजा ने शुक्रवार को समीर दुबे, सुषमा दुबे और पल्लवी पटेल को कोरोना महामारी के प्रारंभिक जांच के लिए 150 इंफ्रारेड थर्मामीटर जिसकी, अनुमानित मूल्य 4 लाख रुपये के मेडिकल इक्विपमेंट रायपुर के प्रभारी कलेक्टर सौरभ सिंह, जिला पंचायत सीईओ गौरव कुमार सिंह एवं SP आरीफ शेख को कलेक्टर ऑफिस में सौंपा. विधायक जुनेजा के माध्यम से पहले भी क्रेशर उद्योग जगत के लोगों ने ये थर्मामीटर कलेक्टर को सौंपा था.
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कोरोना काल में प्राथमिक स्तर पर होने वाली स्क्रीनिंग के लिए इंफ्रारेड थर्मामीटर का प्रयोग होगा. इनके माध्यम से स्क्रीनिंग प्रमाणिक हो सकेगी. इसका गर्मी में बढ़े तापमान से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कहीं भी इसको चेक किया जा सकेगा. इंफ्रारेड किरणों के कारण इंफ्रारेड थर्मामीटर ज्यादा सेंसेटिव होता है. ये तत्काल तापमान को पढ़ लेता है, जबकि थर्मल गन से ये तत्काल संभव नहीं है. इसकी प्रमाणिकता भी ज्यादा नहीं होती है.
इंफ्रारेड थर्मामीटर की खासियत
- इंफ्रारेड थर्मामीटर एक मीटर दूर से मरीज के शरीर का तापमान डिग्री फॉरेन्हाइट और डिग्री सेल्सियस में पलक झपकते ही बता देता है.
- यह गैर-संपर्क दूरस्थ अवरक्त इलेक्ट्रॉनिक थर्मामीटर है.
- यह इंसान के माथे के तापमान को महज कुछ ही सेंकेंड में माप सकता है.
- इंफ्रारेड किरणों की सहायता से डिफरेंस तापमान को भी सेंसर के माध्यम से पढ़ लेता है.
- यह इस्तेमाल में भी आसान और सटीक परिणाम देता है.
- इसमें एलसीडी डिस्प्ले भी रहता है, जो अंधेरे में भी काम कर सकता है.
थर्मल गन में ये होता है
- थर्मल गन से शरीर के तापमान का पता चलता है.
- गर्मी के मौसम में बहुत कारगर नहीं है.
- बाहरी तापमान का कुछ हिस्सा शामिल कर लेता है.
- इसमें उस तरह की किरणें नहीं होती हैं, इसलिए तामपान ऊपर-नीचे होता रहता है.
- हर स्थान पर इसके माध्यम से जांच करने में सटीक परिणाम नहीं आते.
- गर्मी के दिनों में जांच के लिए ठंडा स्थान होना जरूरी है. प्रमाणिकता के हिसाब से कुछ कम है.