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SPECIAL: कोरोना काल में सिर्फ भक्तों की नहीं भगवान की 'कमाई' भी हुई कम

लॉकडाउन का असर प्रदेश के प्रमुख शक्तिपीठों में देखने को मिल रहा है. मां बम्लेश्वरी मंदिर, रतनपुर महामाया मंदिर, चंद्रपुर के चंद्रहासिनी मंदिर, रायपुर के महामाई मंदिर और काली मंदिर के प्रांगण में सन्नाटा पसरा है. इस वजह से न सिर्फ देवालयों से जुड़े पुजारियों और कर्मचारियों के सामने जीवनयापन की परेशानी खड़ी हो गई है बल्कि दानपेटियां भी खाली हो गई हैं.

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मंदिरों के प्रांगण सूने

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Published : May 13, 2020, 9:16 PM IST

Updated : May 13, 2020, 11:40 PM IST

रायपुर: न पूजा की थाली है, न आरतियों के स्वर..न मंदिरों के प्रांगण में जयकारे हैं और न ही भक्तों की कतार. कभी किसी ने सोचा नहीं होगा कि जिस दर पर अपने भगवान की एक झलक पाने वालों का मेला लगा रहता हो वो चौखट सूनी पड़ी है. छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद हैं.

कोरोना काल में मंदिरों के प्रांगण सूने

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठों में शामिल मां बमलेश्वरी मंदिर, रतनपुर महामाया मंदिर, चंद्रपुर के चंद्रहासिनी मंदिर, रायपुर के महामाई मंदिर, दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर जैसे तमाम शक्तिपीठों के प्रांगण में सन्नाटा पसरा है. इस वजह से न सिर्फ देवालयों से जुड़े पुजारियों और कर्मचारियों के सामने जीवनयापन की परेशानी खड़ी हो गई है बल्कि दानपेटियां भी खाली हो गई हैं.

ETV भारत की टीम ने प्रदेश के प्रमुख मंदिर देवालयों की पड़ताल की है और ये जानने की कोशिश की है कि मंदिरों के खजाने पर इस लॉकडाउन ने क्या असर डाला है.

मां बम्लेश्वरी

सबसे पहले चलिए मां बम्लेश्वरी के दर. संस्कारधानी राजनांदगांव के डोंगरगढ़ स्थिति मां बम्लेश्वरी मंदिर की आय का प्रमुख स्त्रोत शारदीय और चैत्र नवरात्रि हैं. इस बार चैत्र नवरात्रि में मंदिर में मनोकामना ज्योति ही जलाई गईं. सिर्फ मां के नाम की एक अखंड ज्योति जलती रही.

इस मंदिर में कुल 150 कर्मचारी काम करते हैं. मंदिर समिति की ओर से इन सभी का वेतन भुगतान किया जाता है. पिछले 45 दिनों से मंदिर में कोई आवाजाही नहीं है इसलिए दान से आने वाली राशि नहीं आई है. मंदिर समिति को 1 करोड़ 35 लाख का नुकसान हुआ है.

मां महामाया का दरबार

वहीं आपने रतनपुर महामाया मंदिर के बारे में तो जरूर सुना होगा. महामाया मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने हमें बताया कि समिति की ओर से करीब 65 कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है. कोरोना के चलते फिलहाल यहां 20 कर्मचारी ही कार्यरत हैं.

राजधानी रायपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक मां महामाया मंदिर के दर्शन तो आपने जरूर किए होंगे. इस मंदिर में 25 कर्मचारी काम करते हैं. लॉकडाउन की वजह से नवरात्र, रामनवमी, हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहारों में भी मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा. इसके अलावा शादियों के प्रमुख सीजन में भी शादियां नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में मंदिर समिति को करीब 70 लाख रुपए का नुकसान हुआ है.

इसके अलावा मंदिर पर निर्भर रहने वाले फूल-माला, अगरबत्ती और अन्य पूजन सामग्री के दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन दुकानदारों के सामने भी रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

भव्य काली मंदिर के दर्शन

अब आपको रायपुर के आकाशवाणी चौक स्थित भव्य काली मंदिर के दर्शन कराते हैं. इसे शहर का सबसे प्रतिष्ठित और वीआईपी मंदिर माना जाता है. राजनेता, मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत तमाम मंत्रियों की आवाजाही इस मंदिर में होती है. इसी बीच मंदिर ट्रस्ट समिति के ट्रस्टी पूर्व मंत्री विधान मिश्रा ने पुजारियों तक काफी मदद पहुंचाने की कोशिश की है.

क्या भगवान क्या इंसान, इस लॉकडाउन के प्रकोप से कोई नहीं बच सका है. हर वर्ग रोजी-रोटी की समस्या से जूझ रहा है. अब तो बस यही उम्मीद है जल्द से जल्द कोरोनावायरस खत्म हो और फिर से लोगों की जिंदगी में खुशियां लौट आए.

Last Updated : May 13, 2020, 11:40 PM IST

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