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किन्नरों को इंसान के रूप में सामाजिक स्वीकार्यता जरूरी: विद्या राजपूत

पुलिस भर्ती में इस बार किन्नर समाज की अभ्यर्थियों ने भी हिस्सा लिया. ETV भारत ने मितवा ग्रुप की संचालक विद्या राजपूत से बातचीत की है. उन्होंने कहा कि एक इंसान के रूप में सामाजिक स्वीकार्यता जरूरी है, हम इसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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Published : Jan 29, 2021, 11:02 PM IST

conversation with Mitwa Group Director Vidya Rajput
मितवा ग्रुप की संचालक विद्या राजपूत

रायपुर: छत्तीसगढ़ में चल रहे पुलिस भर्ती में इस बार किन्नर समाज की अभ्यर्थियों ने भी हिस्सा लिया. किन्नर समाज काफी उत्साहित है. ईटीवी भारत समाज के हक के लिए लगातार सक्रिय भी रहा है. ETV भारत ने मितवा ग्रुप की संचालक विद्या राजपूत से बातचीत की है.

मितवा ग्रुप की संचालक विद्या राजपूत

चर्चा के दौरान विद्या राजपूत काफी भावुक हो गई. उनका कहना है कि सरकारी नौकरी में जगह मिलने से समाज में सकारात्मक असर पड़ेगा. किन्नर समाज को लेकर एक गलत धारणा बन गई है, वह भी बदलेगी. आज ट्रांसजेंडर भिक्षा मांगने, घरों में बर्तन मांजने और बधाई नाच गाने का काम करते हैं. उनकी सोच में जल्द बदलाव आएगा.

सामाजिक स्वीकार्यता जरूरी

विद्या राजपूत का कहना है कि आज भी हमारे समाज की स्वीकृति नहीं मिल पाई है. हम आज भी नाचने गाने वाले लोगों गिने जाते हैं. एक इंसान के रूप में सामाजिक स्वीकार्यता जरूरी है, हम इसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

पढ़ें:छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल होने आए किन्नर

किन्नर समाज को ध्यान में रखकर बने स्कीम

विद्या के मुताबिक समाज में व्याप्त अशिक्षा, पिछड़ापन, गरीबी की स्थिति को देखते हुए सरकार को इस ओर गंभीर प्रयास करने की जरूरत है. खास तौर पर किन्नर समाज को ध्यान में रखते हुए योजना लाने की जरूरत है. समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आरक्षण बेहद जरूरी है. इसी से समाज में हम बराबरी ला सकते हैं. छत्तीसगढ़ में करीब 10 हजार किन्नर निवास कर रहे हैं. 2018 में इन्हें सरकारी नौकरी में शामिल होने की पात्रता मिली है. विद्या राजपूत छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के कई हिस्सों में किन्नर समाज के हक के लिए अपने संगठन के माध्यम से सक्रिय हैं.

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