रायपुर: देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई. गांधी राष्ट्र के कोने-कोने में याद किए गए. कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, रैलियां निकाली गईं, अभियान चलाए गए.
छत्तीसगढ़ में विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया और दो दिन महात्मा को समर्पित किए गए. इस दौरान सदन गांधी, गोडसे और सावरकर पर गरमाया रहा. ये बात अलग रही कि गांधी-गांधी जपने वाली सरकार होर्डिंग्स में उन्हीं की फोटो लगाना भूल गई.
सदन से लेकर सोशल मीडिया तक छत्तीसगढ़ में गांधी के साथ-साथ गोडसे का नाम गूंजता रहा, सत्र खत्म होते-होते राज्य के मुखिया सावरकर ने बड़ा बयान दे दिया. भूपेश बघेल ने कहा कि गांधी का नाम वो लोग ले रहे हैं, जो गोडसे को पूजते हैं और उनका इशारा भाजपा की तरफ था. बघेल ने कहा कि इस देश में उत्तेजक राष्ट्रवाद प्रचलित है, जिसका प्रतिनिधित्व गोडसे ने किया. बघेल बीजेपी पर जमकर बरसे.
'गोडसे जी' पर हुआ विवाद
गोडसे जैसे ही भाजपा के लिए गोडसे जी हुए. बघेल बिफर पड़े तो अजय चंद्राकर ने सफाई में कहा कि हम मृतात्मा को सम्मान देते हैं. इस पर बघेल ने ट्वीट कर निशाना साधा.
सावरकर के शिष्य थे गोडसे: बघेल
सदन में मुख्यमंत्री के एक और बयान पर जमकर हंगामा हुआ, जिसमें उन्होंने गोडसे को सावरकर का शिष्य बताया. बघेल ने कहा कि गांधी जी की हत्या की जो साजिश रची गई, उसमें सावरकर शामिल थे. सीएम ने अपना बयान वापस लेने से इनकार कर दिया, जिससे हंगामा और बढ़ गया.
सदन में भाजपा ने जमकर किया हंगामा
बघेल के इस बयान पर सदन में खूब हंगामा हुआ और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने वॉकऑउट कर दिया. विपक्ष ने अपने नाराजगी नारेबाजी के साथ जताई. साथ ही विधानसभा परिसर में गांधी मूर्ति के पास जाकर सत्ता पक्ष के खिलाफ बैठ गए. भाजपा ने गांधी जी के साथ-साथ सावरकर जिंदाबाद के नारे लगाए.
रमन ने कांग्रेस पर लगाए आरोप
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि विशेष सत्र का आयोजन मुद्दे से भटक गया है. उन्होंने कांग्रेस पर रास्ते से भटकने का आरोप लगाया तो नेता प्रतिपक्ष ने भी सावरकर पर दिए गए मुख्यमंत्री के बयान को घोर आपत्तिजनक बताया.
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विवाद में उलझा रहा सदन
छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया तो गया था गांधीजी के विचारों और उनके जीवन दर्शन पर चर्चा के लिए लेकिन इससे ज्यादा विवादों में उलझ कर रह गया. कांग्रेस और भाजपा ने महात्मा को याद करने से ज्यादा तवज्जो राजनीति और विवाद को दी. गांधी सिर्फ विधायकों द्वारा पहने खादी के कपड़ों में और आयोजनों में सिमटे से रह गए.