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जन गण मन : संविधान निर्माण में छत्तीसगढ़ के माटीपुत्रों का योगदान - संविधान निर्माण में छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र

भारत के संविधान निर्माण में देशभर की महान विभूतियों ने योगदान दिया. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के माटीपुत्रों ने भी संविधान निर्माण में अपना योगदान दिया था.

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छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र

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Published : Jan 23, 2020, 9:53 PM IST

रायपुर:26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ था. संविधान निर्माण में देशभर की महान विभूतियों ने योगदान दिया. छत्तीसगढ़ के भी दिग्गजों ने संविधान देश को समर्पित करने में खास भूमिका निभाई है. छत्तीसगढ़ के इन माटीपुत्रों का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया है.

संविधान निर्माण परिषद में छत्तीसगढ़ से पंडित रविशंकर शुक्ल, डॉक्टर छेदीलाल बैरिस्टर और घनश्याम गुप्त निर्वाचित हुए. भारतीय संविधान सभा के लिए छत्तीसगढ़ के सामंतीय नरेशों की ओर से सरगुजा के दीवान रारूताब रघुराज सिंह नामजद हुए. छत्तीसगढ़ की रियासती जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी, रायगढ़ और कांकेर के रामप्रसाद पोटाई निर्वाचित किए गए.

पंडित रविशंकर शुक्ल

पंडित रविशंकर शुक्ल

⦁ संविधान सभा के सदस्य मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल का जन्म सागर में हुआ था.
⦁ छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित बूढ़ापारा में उनका घर आज भी है. इनके नाम से प्रदेश में विश्वविद्यालय भी है.
⦁ माध्यमिक शिक्षा पूरी करके रविशंकर शुक्ल राजनांदगांव चले गए थे. रायपुर में शुक्ल ने विद्या मंदिर योजना चलाकर कई पाठशालाओं की स्थापना की थी.

घनश्याम गुप्त

घनश्याम गुप्त

⦁ दुर्ग में जन्मे संविधान सभा के सदस्य घनश्याम गुप्त ने राष्ट्रीय आंदोलन में राजनीतिक सेवाओं के साथ-साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में भी योगदान दिया.
⦁ जंगल सत्याग्रह के दौरान उन्होंने 50 रुपये जुर्माना देकर छह महीने की सजा काटकर जेल से मुक्त हुए थे.
⦁ नवंबर 1933 में गांधी जी के दुर्ग आए तो घनश्याम गुप्त उनके निवास में गए थे.
⦁ संविधान सभा के सदस्य के तौर पर उन्होंने संविधान की हिन्दी शब्दावली पर अहम योगदान दिया था.
⦁ संविधान को हिन्दी में लोगों तक पहुंचाने का श्रेय घनश्याम गुप्त को जाता है.

बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल

बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल

⦁ 1946 में संविधान सभा के सदस्य रहे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बैरिस्टर छेदीलाल का जन्म बिलासपुर के अकलतरा के प्रतिष्ठित जमींदार परिवार में 1886 को हुआ था.
⦁ संविधान सभा के सदस्य के तौर पर इनकी अहम भूमिका की वजह हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत पर इनका पूरा अधिकार होना बताया जाता है.
⦁ बैरिस्टर छेदीलाल ने ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई पूरी की.
⦁ 1932 में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण 2500 रुपये अर्थदण्ड पटाना पड़ा था.

रामप्रसाद पोटाई

रामप्रसाद पोटाई

⦁ कांकेर के गांव कन्हारपुरी निवासी रामप्रसाद पोटाई संविधान सभा के सदस्य थे. उन्हें रियासत के प्रतिनिधि के तौर पर चुना गया था.
⦁ उन्होंने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए संविधान में आवाज उठाई.
⦁ 1950 में वे कांग्रेस की ओर से सांसद मनोनीत हुए थे. बाद में भानुप्रतापपुर के विधायक भी रहे. कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत भारतीय समस्या के निराकरण के लिए चुने गए थे।
⦁ रामप्रसाद पोटाई के साथ किशोरी मोहन त्रिपाठी ने मध्य प्रांत की रियासतों के विलीनीकरण की मांग 'मेमोरेंडम' सरदार पटेल को सौंपा था.

पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी

पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी

⦁ रायगढ़ निवासी पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी भी भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे. वे संविधान सभा की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के भी सदस्य थे.
⦁ बालश्रम को रोकने तथा गांधी जी के ग्राम स्वराज के अनुरूप पंचायती राज स्थापना जैसे विषयों को शामिल करने में पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी की अहम भूमिका रही है.
⦁ संविधान की मूल प्रति में संविधान सभा के अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ पं. किशोरी मोहन त्रिपाठी के भी हस्ताक्षर हैं.
⦁ 8 नवंबर 1912 को तत्कालीन सारंगढ़ रियासत के एक छोटे से गांव सरिया में पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी का जन्म हुआ था.

महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव

महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव

⦁ महाराजा रामानुज प्रताप सिंह सिंहदेव का जन्म वर्ष 1901 में हुआ था. उनके पिता का नाम शिवमंगल सिंहदेव और मां का नाम रानी नेपाल कुंवर था.

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