भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयीने अपनी राजनीति और वाकपटुता से भारत ही नहीं पूरे विश्व में अपनी अमिटा छाप छोड़ी है. गंभीर से गंभीर समय में सरलता से उसका हल निकालने में अटल जी माहिर थे. 16 अगस्त साल 2018 को अटल जी ने इस दुनिया को अलविदा कहा.लेकिन इसके बाद भी उनके किए गए कार्य सदियों के लिए अमर हो गए हैं. भारतीय इतिहास में तीन बार के प्रधानमंत्री रहने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में 25 दिसंबर 1924 में मध्य प्रदेश जिले के ग्वालियर के एक गांव बटेश्वर में हुआ था. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक शिक्षक और एक कवि भी थे. उनकी माता का नाम कृष्णा देवी वाजपेयी और उनके 7 भाई बहन भी थे.
कहां से ली शिक्षा : वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने स्नातक की शिक्षा लक्ष्मीबाई कॉलेज से पूरी की और विधि स्नातक की डिग्री उन्होंने कानपुर में स्थित डीएवी (DAV) कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में ली. अटल जी छात्र जीवन से ही राजनीतिक तथ्यों से संबंधित वाद विवाद में हिस्सा लेना पसंद करते थे . वे हमेशा ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहते थे.आगे चलकर सन् 1939 अपने छात्र जीवन में उन्होंने स्वयंसेवक की भूमिका भी निभाई. उन्होंने हिंदी न्यूज पेपर में संपादक (Editor) का काम भी किया.
भारत के लिए बनें प्रेरणा : आपको बता दे की वाजपेयी जी ने कभी शादी नहीं की. उन्होंने दो बच्चियों को गोद लिया था. उनकी बेटियां नमीता और नंदिता थी. आजादी की लड़ाई में वे अनेक नेताओं के साथ मिलकर लड़े. फिर हमारे देश के लिए अत्यंत दुःख भरा दिन रहा, जब 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. यह दिन हमारे देश की सभी देशवासियों के लिए अत्यंत क्षति वाला दिन था. हमारे देश ने एक महान राजनेता को खो दिया. आज भी अटल जी के भाषण, लिखी गयी किताबें, कविताओं और प्रधानमंत्री के तौर पर किये गए कामों को सम्मान के साथ याद किया जाता है.
छत्तीसगढ़ के निर्माण में भूमिका :पृथक राज्य की मांग को केंद्र में रखकर आचार्य नरेंद्र दुबे ने 1965 में ‘छत्तीसगढ़ समाज’ की स्थापना की. इसके करीब दो साल बाद यानी 1967 में डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ी महासभा को विसर्जित कर ‘छत्तीसगढ़ी भ्रातृ संघ’ बनाया और राज्य की मांग को पुनर्जीवित किया. लेकिन अटलजी की वो हुंकार यादगार तारीख बन गई. 2 जनवरी 1995 को रायपुर में सर्वदलीय मंच की रैली हुई. जिसमें छत्तीसगढ़ के 7 सांसद, 23 विधायक और दो मंत्री शामिल हुए. चंदूलाल चंद्राकर के निधन के बाद मंच बिखर सा गया. लेकिन तब तक राज्य की मांग राजनीतिक दलों के लिए अनिवार्यता बन चुकी थी. हालांकि आंदोलन में शिथिलता आ रही थी. तभी राजनीति की सभी संभावनाओं को समेटकर विद्याचरण शुक्ल इस आंदोलन में कूद पड़े. उन्होंने राज्य संघर्ष मोर्चा का गठन (Contribution of Atal Bihari in the formation of Chhattisgarh) किया.
अटल ने निभाया अपना वादा :उनके आंदोलन का असर दिल्ली तक होने लगा. इन्हीं कारणों से चुनाव (98-99) के दौरान बीजेपी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने रायपुर की सप्रेशाला मैदान की सभा में जनता से वादा किया था ‘आप मुझे 11 सांसद दो मैं छत्तीसगढ़ दूंगा’. और कुछ समय बाद .. वह घड़ी आ गई.. जब सपना साकार हुआ.केंद्र में अटल सरकार बनी. लगभग एक साल बाद यानी 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी. 4 सितंबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और पुरखों का सपना साकार हुआ.
अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक जीवन :सन् 1942 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी राजनीतिक जीवन के सफर शुरू किया था. उस समय भारत छोड़ो आंदोलन जोर शोर से चल रहा था और इसी दौरान उनके भाई को इस आंदोलन में गिरफ्तार कर लिया गया था. इनके भाई को 23 दिनों के लिए जेल कारावास में रहना पड़ा था, उसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया . उसी समय उनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई और उनके आग्रह करने पर उन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी को ज्वाइन कर लिया. भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन सन् 1951 में हुआ था.