मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ''आखिरी सांस तक कांग्रेस के मूल्यों की रक्षा करुंगा. हम सभी बलिदान देकर देश के सामने आई हर चुनौतियों का सामना करुंगा. यह कांग्रेस में ही संभव है कि एक साधारण व्यक्ति जो कभी ब्लॉक कांग्रेस समिति का अध्यक्ष रहा है, वह आज अध्यक्ष निर्वाचित हो गया है. यह लोकतंत्र का सबूत है. यह कांग्रेस में ही संभव है. महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने अपने त्याग, बलिदान और समर्पण कांग्रेस पार्टी के लिए किया है.''
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ''देश में नफरत के माहौल के बीच राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिए संघर्ष की नई मशाल जलाई है. राहुल गांधी ने असंभव को संभव कर दिखाया है. ''
भारत की पीड़ा कांग्रेस जानती है. हमारा दिल तड़पता है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से युवाओं को प्रोत्साहन मिला है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1924 में मेरे गृह राज्य कर्नाटक के बेलगांव में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे. गांधी जी ने आजादी के लिए लोगों को नई दिशा दी. बेलगांव में कांग्रेस का स्वरुप बदला. कांग्रेस संविधान बदला. गांधी जी ने कांग्रेस को गरीबों, किसानों, वंचितों से जोड़ा. यहीं से कांग्रेस जनआंदोलन के रूप में जनता से जुड़ी. गांधी जी ने छुआछुत के खिलाफ रिजॉल्यूशन पास कराया.
आज देश सबसे कठिन चुनौतियों से गुजर रहा है. सत्ता में बैठे लोगों ने देश की जनता के अधिकारों और भारत के मूल्यों पर हमला बोल रखा है. इसलिए आज नए आंदोलन की शुरुआत की जरूरत है. हर कांग्रेसी, हर देशवासी को संकल्प लेकर यह कहना होगा सेवा, संघर्ष और बलिदान सबसे पहले हिंदुस्तान यह हमारा नारा होगा. आज देश को सेवा, संघर्ष और बलिदान की जरूरत है. आज भारत सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है.
भाजपा सत्ता के स्वार्थ के लिए संसद से लेकर सभी संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा तोड़ रही है. कमरतोड़ महंगाई से जनता का घर का बजट बिगड़ गया है. नोटबंदी और जीएसटी से छोटा कारोबार बर्बाद हो गया है. फसल की कीमत नहीं देकर किसानों की आमदनी को खत्म कर दिया है. देश का सामाजिक माहौल बिगाड़ दिया है. ईडी, सीबीआई को टूल बनाया जा रहा है.
कांग्रेस अधिवेशन को रोकने के लिए ईडी की छापेमारी की गई. कांग्रेस ने डटकर मुकाबला किया. यह कांग्रेस की बड़ी ताकत है. हमें मुकाबला करना सीखना चाहिए. देश जोड़ने का आंदोलन चलाना है. यही कांग्रेस का कर्तव्य है.
अमीर गरीब के बीच गहरी खाई है. ऐसा लगता है देश की सरकार की नजर में दलितों, पिछड़ों, किसानों, मध्यम वर्ग के लोगों के लिए कोई जगह नहीं है.
कोरोना के दौरान केवल चार घंटे के नोटिस और देश में लॉकडाउन ने करोडो़ं लोगों को बेघर कर दिया. न दवाई मिली, न खाना और अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं मिली.
आज हालत ये है कि गरीब और मध्यम वर्ग परेशान हो रहा है. मुट्ठी भर अमीरों की दौलत में इतनी बढ़ोतरी हो गई है कि वो दुनिया के दूसरे नंबर के अमीर बन बैठे हैं.
किसान की प्रतिदिन की आय 27 रुपए है. प्रधानमंत्री के एक दोस्त की आय एक हजार करोड़ रुपए दिन में है.70 साल में बनाई देश की संपत्ति को अपने मित्रों के हवाले कर रहे हैं. रेल, भेल, सेल, तेल सब बेच रहे हैं. देश के करोड़ों लोगों को चिंता है कि हमारी एलआईसी और स्टेट बैंक भी बच पाएगा या नहीं. मोदी सरकार एक एक कर सब बेच रही है. आर्थिक खाई, सामाजिक भेदभाव है. सत्ता के बुलडोजर से अधिकारों को कुचला जा रहा है. हर रोज 115 लोग आत्महत्या कर रहे हैं.