रायपुर: विभिन्न सेक्टर में किए जा रहे विनिवेश और निजीकरण के विरोध में कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस नेता, देश के विभिन्न राज्यों में जाकर इसके खिलाफ अपनी बात रख रहे हैं. इसी कड़ी में रायपुर पहुंचे कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने अपनी राय बेबाक रखी. उन्होंने केंद्र सरकार के एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन सहित अन्य शासकीय उपक्रमों के विनिवेश और निजीकरण किये जाने का विरोध किया.
अजय माकन का आरोप है कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे देश की संपत्ति को बेच रही है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस विनिवेश और निजीकरण से केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से राय मशवरा तक नहीं किया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि इससे आखिर राज्य को क्या लाभ मिलेगा?
इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत (ETV Bharat) ने भाजपा सहित राजनीतिक एक्सपर्ट से बात की है. अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस इसका विरोध कर रही है या फिर कांग्रेस से राय मशवरा नहीं लिया गया. राज्यों को उसमें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. इसलिए विरोध कर रही है. जो खुद निवेश के लिए इन्वेस्टर मीट बुला रहे हैं. उनके विनिवेश के विरोध का कोई मतलब नहीं है.
कांग्रेस द्वारा विनिवेश और निजीकरण के किए जा रहे विरोध पर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर (Former Minister Ajay Chandrakar) ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि निवेश विनिवेश राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय (Investment disinvestment National international) स्तर पर हो रहा है, उससे इनका कोई मतलब नहीं है. जो राज्य सरकार खुद ग्लोबल इन्वेस्टर मीट करने जा रहे हो, उसे विनिवेश की क्या जरूरत है. नीति बनाने की जरूरत नहीं है. नगरनार खरीदने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार तैयार है लेकिन अभी सुनने में आ रहा है कि जनवरी में राज्य सरकार निवेश के लिए इन्वेस्टर मीट (Investor meet) बुला रही है. जो सरकार खुद निवेश कर सकती है उसे बाकी चीज की जरूरत नहीं है. इनके विरोध समर्थन का कोई मतलब नहीं है. उनके पास कोई नीति कार्यक्रम नहीं है.
इस दौरान अजय चंद्राकर (Ajay Chandrakar) ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को अस्पष्ट सरकार बताया है. संघीय व्यवस्था के तहत दोनों सरकारों के आपसी सामंजस्य और सहयोग से नीतियां बननी चाहिए. इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि जहां एक और केंद्र सरकार के द्वारा विनिवेश या निजीकरण के माध्यम से देश के विकास के लिए फंड जुटाने की बात कह रही है.