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राज्यपाल से मिला कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल,आरक्षण विधेयक पर जल्द हस्ताक्षर करने की मांग

छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर अब भी राज्यपाल अनुसुईया उइके ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. जिसके विरोध में कांग्रेस ने जनअधिकार महारैली का आयोजन किया. इस रैली में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं समेत प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने भी शिरकत की.वहीं रैली के दौरान कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल Congress delegation met governor Anusuiya Uikeyने राजभवन जाकर एक बार फिर governor Anusuiya Uikey से Reservation Amendment Bill पर हस्ताक्षर करने की गुजारिश की है.

Congress delegation met governor Anusuiya Uikey
आरक्षण संशोधन विधेयक पर घमासान

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Published : Jan 3, 2023, 7:49 PM IST

रायपुर:प्रदेश में आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर सियासी घमासान जारी है. विधानसभा में बिल पास होने के 30 दिन बाद भी राज्यपाल ने आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. मंगलवार को आरक्षण मुद्दे पर कांग्रेस ने महारैली का आयोजन किया. इस दौरान महारैली से निकलकर कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की और आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने का आग्रह Congress delegation met governor Anusuiya Uikey किया.

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने की अपील : governor Anusuiya Uikey से मुलाकात कर प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे PCC Chief Mohan Markam ने बताया कि " राज्यपाल से मुलाकात कर उनसे आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 पर हस्ताक्षर करने का निवेदन किया है. छत्तीसगढ़ के हित में आरक्षण विधायक जो छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित किया गया. उसमें त्वरित निर्णय लिया जाए. इस संबंध में हमने राज्यपाल से निवेदन किया है. राज्यपाल की ओर से हमें आश्वासन दिया गया है जरूर जल्द से जल्द हर पहलू में विचार कर निर्णय लेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि छत्तीसगढ़ के हित में राज्यपाल जल्द निर्णय लेंगी. हालांकि राज्यपाल ने कोई समय सीमा नहीं बताई है लेकिन उन्होंने आश्वासन जरूर दिया है कि वे जल्द निर्णय लेंगी."

विधेयक पर मंजूरी नहीं तो वापस भेजे :इस दौरानस्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdev) ने कहा कि " मेरी जानकारी के अनुसार राज्यपाल के पास तीन विकल्प है, विधेयक को वापस भेजना, विधेयक को मंजूर करना या विधेयक को लेकर बैठे रहना. सविधान में विधेयक पर हस्ताक्षर करने को लेकर समय सीमा निर्धारित नहीं है, उसका लाभ लेकर अगर हस्ताक्षर नहीं होगा तो यह सालों साल पड़ा रहेगा. इसलिए राज्यपाल से हमने जल्द से जल्द विधेयक पर हस्ताक्षर करने का निवेदन किया है. विधानसभा में जब विधेयक पारित कर दिया है तो सवाल जवाब की कोई बात नहीं रह जाती. यह विधानसभा की संपत्ति है और गवर्नर को लगता है कि सारे जवाब उन्हें नहीं मिल रहे तो उन्हें विधेयक को वापस कर देना चाहिए कि वे संतुष्ट नहीं है या उन्हें हस्ताक्षर कर देना चाहिए करना चाहिए. अनिश्चित समय के लिए विधेयक को रखना उचित नहीं है. आज के समय में विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने के कारण बच्चों की भर्तियां रुकी हुई हैं. इसके साथ ही नौकरी और सेवा उपलब्ध कराने पर भी सवाल है. लंबे समय तक विधेयक को रखकर राज्यपाल अनिर्णय की स्थिति नहीं बना सकती. उन्हें जल्द फैसला लेना चाहिए.''

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कानून मंत्री मोहम्मद अकबर ने दी राय :राज्यपाल मुलाकत कर Law Minister Mohammad Akbar ने कहा कि "राज्यपाल ने हमसे 10 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी, हमने उन्हें जानकारी उपलब्ध कराई. राज्यपाल के पास जो कानून के जानकर हैं वे उनके माध्यम से सरकार से जानकारी मांग रही हैं.मैने राज्यपाल से कहा कि हमारा विधि विभाग है ,उसमें लॉ सेक्रेटरी होते हैं. वे डिस्ट्रिक्ट जज स्तर के होते हैं. विधानसभा में जब विधेयक लाया गया, इन सभी विषयों को परिमार्जन करने के बाद , कानूनी अमलीजामा पहनाकर, कानूनी तौर पर प्रस्तुत किया गया है. इसलिए हमारा राज्यपाल से अनुरोध है कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर जल्द कीजिए. हस्ताक्षर करने के लिए क्वांटिफिएबल डाटा है या नहीं इसकी आवश्यकता थी. हमने डाटा के साथ विधेयक प्रस्तुत किया है. कानूनी तौर पर कहीं भी गड़बड़ी नहीं है, राज्यपाल ने बताया कि हमें 43 अलग-अलग संगठनों का मुझे आवेदन प्राप्त हुआ है सभी पहलुओं पर विचार कर मैं जल्द ही निर्णय लूंगी."

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