रायपुर: कांग्रेस (Congress) ने पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly elections)के दौरान एक ऐसी घोषणा की, जिसने विधानसभा चुनाव के परिणाम को ही पलट कर रख दिया है. यह घोषणा थी किसानों का धान का 2500 प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य दिया जाना. वहीं, इस घोषणा के बाद मानों पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बन गया और अधिकतर किसानों (farmers) ने कांग्रेस का समर्थन करते हुए उनके पक्ष में मतदान किया. नतीजा यह हुआ कि प्रदेश में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. हालांकि इस दौरान किसानों से संबंधित कर्ज माफी सहित अन्य कई घोषणाएं भी थी. लेकिन 2500 रुपए धान का समर्थन मूल्य की घोषणा किया जाना कांग्रेस के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं था. यही वजह थी कि विधानसभा की 90 सीटों में से 70 सीटों पर कांग्रेस काबिज रही.
आगामी विधानसभा में पड़ सकता है भाजपा पर भारी कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र
वहीं, अब एक बार फिर कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए नई रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. जिसके मुताबिक उस समय तक धान का समर्थन मूल्य या यूं कहें कि धान की खरीदी लगभग 2800 रुपये प्रति क्विंटल की जाएगी. कांग्रेस का यह ब्रह्मास्त्र आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा (BJP) के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है.
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केंद्र सरकार धान का समर्थन मूल्य बढ़ाएगी
वहीं, इस विषय में कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला (Congress spokesperson Sushil Anand Shukla) का कहना है कि यह राशि क्रमशः बढ़ेगी. जिस अनुपात में केंद्र सरकार (Central government) धान का समर्थन मूल्य बढ़ाएगी. उसके अनुसार यह राशि बढ़ती जाएगी. साथ ही किसानों को योजना के तहत प्रति एकड़ राशि का भुगतान किया जा रहा है, उन्हें मिलता रहेगा और इस तरह चुनावी साल में यह राशि लगभग 2800 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच जाएगी.
कांग्रेस सरकार किसानों के हित में काम कर रहा
शुक्ला का कहना है कि कांग्रेस सरकार किसानों के हित में काम कर रहे हैं. वह कोई भी निर्णय या घोषणा चुनाव को देखते हुए नहीं करती है. उन्होंने संभावना जताई है कि जिस तरह से कांग्रेस सरकार ने किसानों के हित में काम किया है. उसका लाभ उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि भाजपा अपने आप में खुद मुसीबत बनी हुई है. राज्य सरकार किसानों को ₹2500 धान का समर्थन मूल्य देना चाहती है, तो केंद्र सरकार उस में अड़ंगा डालती है. राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से मदद करना चाहती है तो बोनस के नाम पर भाजापा अड़ंगा लगाती है. हमारी सरकार किसानों से पूरा चावल खरीदना चाहती है तो उसमें भी यह अड़ंगा लगाते हैं. भाजपा अपने लिए खुद कांटा बनी हुई है.
भाजपा भुगत सकती है खामियाजा
वहीं, इस बात को भाजपा खुद भी बखूबी समझ रही है. उसे पता है कि सत्ता में रहते हुए 2100 रुपये समर्थन मूल्य करने के बाद भी भाजपा सरकार ने किसानों को 2 साल बोनस की राशि नहीं दी, जो कि सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस सरकार ने भुगतान किया. यही वजह है कि यह परेशानी भाजपा को सता रही है.हालांकि भाजपा इस बात से इंकार कर रही है इसका चुनाव पर कोई खास असर देखने को मिलेगा. इस विषय पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि कांग्रेस के द्वारा धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपये प्रति क्विंटल दिए जाने की बात कही गई थी. जो कि एक मुश्त दी नहीं गई. किस्तों में राशि का भुगतान किया जा रहा है. पूरे किसानों की कर्ज माफी नहीं की गई, किसानों को अन्य किए गए वादों को अब तक कांग्रेस सरकार ने पूरा नहीं किया है. श्रीवास का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने किसानों को धोखा दिया है.
राजनीतिक जानकार की राय
वहीं, राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि यदि कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान 2800 रुपये प्रति क्विंटल के अनुसार धान खरीदने का ऐलान किया तो इससे निपटना भाजपा के लिए किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं होगी. क्योंकि भाजपा पहले ही किसानों के गुस्से का शिकार हो चुकी है. किसान भी जानते हैं कि भाजपा धान के मामले में कहीं न कहीं केंद्र सरकार के द्वारा लगाए जा रहे हैं. अडंगो की वजह से कुछ भी नहीं कर सकती है. यही वजह है कि यदि कांग्रेस के द्वारा 2800 प्रति क्विंटल धान खरीदी का ऐलान किया जाता है तो स्वाभाविक है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को काफी लाभ मिलेगा. ऐसे में विधानसभा चुनाव होने में होने वाले इस नुकसान से निपटने भाजपा ठोस रणनीति बनानी होगी.
धान पर सियासत गर्म
बहरहाल कांग्रेस और भाजपा के बीच में धान के कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान को लेकर ही सियासत गरमाई हुई है. यह सियासत आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान क्या उबाल मारती है. यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन भाजपा ने जल्द धान के मुद्दे को लेकर किसानों को साधने की कोशिश नहीं की तो हो सकता है कि इसका खामियाजा बड़े स्तर पर आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को उठाना पड़े.