रायपुर: छत्तीसगढ़ में रिकार्ड तोड़ धान खरीदी सरकार ने किसानों से की है. प्रदेश में जब धान खरीदी किसानों से शुरु हुई उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. जाहिर है कांग्रेस की सरकार में हुई धान खरीदी को कांग्रेस अपनी उपलब्धी बताने से नहीं चूकेगी. हो भी कुछ ऐसा ही रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने इस भूपेश बघेल सरकार के दिए फायदे से जोड़ दिया है. कांग्रेस का कहना कि भूपेश बघेल सरकार की नीतियों के चलते छत्तीसगढ़ का किसान खुश है. बीजेपी ने कांग्रेस के श्रेय लेने पर जवाबी पलटवार करते हुए कहा कि अगर रमन सिंह नहीं होते और मोदी जी की नीति नहीं होती तो भूपेश कुछ नहीं कर पाते. रमन सरकार के वक्त से धान खरीदी को लेकर जो मानदंड बनाए गए उसी को फॉलो भूपेश बघेल सरकार ने किया.
धान पर सियासी घमासान:छत्तीसगढ़ का सौभाग्य है कि उसे धान के कटोरे के नाम से भी पुकारा जाता है. लेकिन सौभाग्य के साथ अब दुर्भाग्य भी जुड़ गया है कि बीजेपी और कांग्रेस के नेता इसी धान पर सियासी घमासन करने में जुट गए हैं. छत्तीसगढ़ के सियासी जानकार कहते हैं कि धान खरीदी को लेकर कोई कितना भी श्रेय अपना ले लेकिन जो असली काम किया वो भूपेश बघेल की सरकार ने किया. भूपेश बघेल ने जिस तरह से धान का भुगतान किया उससे किसानों ने बंपर धान बेचा. चुनावों के दौरान भी धान खरीदी और किसानों को धान का भुगतान बड़ा सियासी मुद्दा रहा. मोदी जी ने तो दो साल का धान बोनस देने की गारंटी ही चुनाव के दौरान दे दी थी. उसी का नतीजा है कि किसानों ने एकमुश्त वोट बीजेपी को दिया और कांग्रेस की सरकार चली गई.
किसानों ने बदली थी रमन सरकार:2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इसी धान के मुद्दे पर चुनाव हार गई थी. रमन सिंह को धान और किसान ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. वजह था कांग्रेस का किसानों के लिए बड़ा ऐलान. 2018 में कांग्रेस ने ऐलान किया था कि वो सरकार में आई तो 2500 प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी करेगी. किसानों को कांग्रेस का नारा रास आया और उसने बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया. कांग्रेस ने भी सरकार में आते ही अपना वादा पूरा किया और 2500 की दर से धान खरीदी शुरु कर दी. इसी बीच केंद्र सरकार ने धान खरीदी को लेकर बंदिशें भी लगाई. तब भूपेश बघेल सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरु की और इस मद से किसानों को चार किश्तों में पैसे का भुगतान शुरु किया.