रायपुर:निगम मंडल में नियुक्ति का मामला अब लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस को सत्ता पर काबिज हुए लगभग पौने 2 साल का समय बीत चुका है.बावजूद इसके कांग्रेस ने अब तक निगम मंडलों की सूची जारी नहीं की है.
बीजेपी-कांग्रेस में शुरू हुआ 'कोड वर्ड' वॉर निगम मंडल की सूची को लेकर बीजेपी का हमला
जिसे लेकर बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमलावर हो रही है. बीजेपी का आरोप है कि इस सूची में नाम शामिल करने के एवज में बड़े स्तर पर लेनदेन चल रहा है. और यही कारण है कि सूची जारी नहीं हो पा रही है. यहां तक कि बीजेपी ने सूची में शामिल कुछ लोगों के नाम 'कोड वर्ड' में जारी किए हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कांग्रेस पर निगम मंडलों में सूची में नाम जुड़वाने बड़े लेन-देन का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने हेलीकॉप्टर वाले नेताओं को सूची में जगह मिलने की बात कही है. उपासने ने पहली लिस्ट जारी होने पर कोड वर्ड के जरिए 5 नामों के शामिल होने का दावा किया है. उपासने ने कहा कि SNT, RT, RGA, युवा नेता SA और VS का नाम निगम मंडल की सूची में है.
बीजेपी-कांग्रेस में शुरू हुआ 'कोड वर्ड' वॉर रायपुर: BJP प्रवक्ता ने निगम मंडलों की नियुक्ति में लेन-देन के लगाए आरोप
'बीजेपी में पैसे देकर निगम मंडल का मिलता है पद'
वहीं कांग्रेस का कहना है कि इस तरह की प्रथा बीजेपी में पिछले 15 सालों में चली आ रही है. कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि बीजेपी में पैसे देकर निगम मंडल का पद पाने की परंपरा है. लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं है. वहीं बीजेपी के कोड जारी करने पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए 'नान' डायरी में लिखे गए कोड को बीजेपी के द्वारा डीकोड करने की बात कही है.सुशील आनंद शुक्ला ने उपासने से सवाल किया कि उन्होंने बेवरेज कॉरपोरेशन के लिए डॉ रमन सिंह को कितने पैसे दिए थे. साथ ही उपासने द्वारा कोडवर्ड जारी किए जाने पर सुशील आनंद शुक्ला ने उपासने को घेरते हुए कहा कि पहले वो नान घोटाला डायरी में मिले नामों के कोड को डीकोड करें. उपासने को बताना चाहिए कि नान डायरी में सीएम मैडम का कोड किसके लिए इस्तेमाल किया गया है. साथ ही पनामा कांड वाले अभिषेक सिंह कौन है. इसके अलावा कई और कोड का खुलासा सुशील आनंद शुक्ला ने उपासने से करने के लिए कहा है.
बीजेपी-कांग्रेस में शुरू हुआ 'कोड वर्ड' वॉर
बहरहाल निगम मंडल की सूची कब जारी होगी यह कह पाना मुश्किल है. लेकिन इस सूची को लेकर प्रदेश की राजनीति में मची उथल-पुथल से यह साफ है कि सूची जब भी आए विवाद होना स्वभाविक है. चाहे फिर वह कांग्रेस में आपसी गुटबाजी हो या फिर सूची में शामिल नामों को लेकर विपक्ष का कांग्रेस पर हमला.