रायपुर:सीएम भूपेश बघेल गरियाबंद के दौरे पर थे. यहां सीएम ने छुरा, फिंगेश्वर और राजिम वासियों के लिए कई बड़ी सागौतों का ऐलान किया है. सीएम ने कुम्हारी में सोनकर समाज के कार्यक्रम में हिस्सा लिया. भूपेश बघेल कुम्हारी में आयोजित सोनकर समाज के युवक-युवती परिचय सम्मेलन में शामिल हुए. CM Bhupesh Baghel visit to kumahri
सोनकर समाज के योगदान को किया याद: सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि" मैंने देखा है कि सोनकर समाज का बसेरा शहरों के किनारे के गांवों में होता है. रायपुर की बात करें तो सुंदर नगर से लाखे नगर तक बहुत से खेत थे. जिसमें सोनकर समाज के लोगों ने बाड़ी लगाई थी. शहर का विस्तार होना था, तो यह तो होना ही था कि इनके मालिक जमीनों को बेच देते. बात यह है कि इन पैसों का किस तरह इस्तेमाल किया जाए. यह खुशी की बात है कि सोनकर समाज ने इसे शिक्षा में निवेश किया. जिस जगह बाड़ी थी, उस जगह इमारतें भी हैं और समाज का स्कूल भी है."
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युवक-युवती परिचय सम्मेलन को किया संबोधित: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज कुम्हारी में आयोजित सोनकर समाज के युवक-युवती परिचय सम्मेलन में सोनकर समाज द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि "सोनकर समाज के लोगों ने 14 स्कूल बनवाये, शिक्षा के क्षेत्र में इतनी रुचि बताती है कि समाज प्रगतिशील है और प्रगति में शिक्षा के मूल्य को समझता है." मुख्यमंत्री ने कहा कि "शिक्षा संपत्ति का असल उपयोग सिखाती है. शिक्षित व्यक्ति ही उसे सकारात्मक दिशा में खर्च कर सकता है और भविष्य को भी मजबूत कर सकता है."
लोगों से पराली नहीं जलाने की अपील: मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्वर्गीय बिन्नी बाई सोनकर के योगदान को भी याद किया. उन्होंने कहा कि "रायपुर की नगर माता बिन्नी बाई ने समाज के कल्याण के लिए अपनी जीवन भर की पूंजी अर्पित की. यह दानशीलता की बड़ी मिसाल है. उन्होंने अपने पूरे जीवन भर की कमाई एक साथ जनहित के लिए अर्पित कर दी. आप लोग सौभाग्यशाली हैं कि आपके समाज ने ऐसी विभूतियां दी हैं." मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सोनकर समाज की दानशीलता की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि आप लोग मूलतः कृषि से जुड़े हुए समुदाय के लोग हैं. इस वक्त हमारा सबसे बड़ा दायित्व पैरादान को प्रोत्साहित करने का है. आप लोग सभी जानते हैं कि पराली जलाने से प्रदूषण फैलता है. दिल्ली में कोरोना काल में आक्सीजन की जरूरत काफी पड़ी, क्योंकि प्रदूषण की वजह से अधिकांश लोगों के फेफड़े कमजोर पड़ गये थे. मैं अभी दिल्ली गया था वहां देखा कि प्रदूषण और कोहरे की वजह से पास की चीजें भी देखनी कठिन थीं.