CM Bhupesh Baghel Targets Brijmohan Agarwal: सीएम बघेल का बड़ा बयान, कहा बृजमोहन अग्रवाल के यहां चलना चाहिए सबसे पहले बुलडोजर ! - जलकी जमीन विवाद पर भूपेश बघेल का बयान
CM Bhupesh Baghel Targets Brijmohan Agarwal सीएम भूपेश बघेल ने बृजमोहन अग्रवाल पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह जमीन पर कब्जा भाजपा नेता ने किया है. सबसे पहले बुलडोजर उनके घर में ही चलना चाहिए. Chhattisgarh Election 2023
रायपुर:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि सबसे पहले बृजमोहन अग्रवाल के यहां बुलडोजर चलना चाहिए. सीएम ने नगरनार मामले को लेकर भी पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला. बघेल ने कहा कि जो सूची बनी है जिसमें लिखा है कि नगरनार भी बिकेगा उसे हटा दे. एक लाइन की बात है.
भूपेश बघेल का बृजमोहन अग्रवाल पर आरोप:बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल द्वारा योगी आदित्यनाथ के दौरे और बुलडोजर चलाने को लेकर दिए गए बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जोरदार पलटवार किया है. बघेल ने कहा कि सबसे पहले बृजमोहन अग्रवाल के यहां ही बुलडोजर चलाना चाहिए. जलकी में जिस तरह जमीनों पर कब्जा किया गया है. उस हिसाब से उनके यहां पहले बुलडोजर चलना चाहिए. रमन सिंह के ठाठापुर पर बुलडोजर चलना चाहिए.15 साल के बीजेपी शासनकाल के सभी भ्रष्टाचारियों पर बुलडोजर चलना चाहिए. Bhupesh Baghel statement on Jalki land dispute
क्या है जलकी जमीन विवाद:महासमुंद जिले के सिरपुर इलाके में सरकारी जमीन पर कब्जा कर रिजॉर्ट बनाने का एक मामला साल 2017 में सामने आया था. शासन की रिपोर्ट में लगभग 4.5 हेक्टेयर वन भूमि पर पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल के परिजनों पर बेजा कब्जा करने का आरोप लगा था. जिस सरकारी जमीन पर रिजॉर्ट बना था. वह जमीन पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की पत्नी सरिता अग्रवाल और बेटे अभिषेक अग्रवाल के नाम पर था.
इस सरकारी जमीन का मालिकाना हक कैसे निजी व्यक्ति को सौंप दिया गया इसकी जांच राज्य के प्रमुख सचिव ने की थी. इस जांच में कहा गया था कि यह सरकारी जमीन गलत तरीके से मंत्री के परिजनों ने खरीदी है. यह जमीन स्थानीय किसानों ने 2009 में नहर के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग को दान की थी. इसके बाद जल संसाधन विभाग ने इस जमीन को वन विभाग को दे दिया था. इसके बाद साल 2012 में गुपचुप ढंग से यह जमीन मंत्री के परिजनों के स्वामित्व में चली गई. जांच रिपोर्ट के बाद महासमुंद जिले के डीएम को इस जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए गए थे.