दिल्ली/रायपुर :छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के दिल्ली पहुंचने के बाद वहां कांग्रेस ने पत्रकार वार्ता (Press Confrence) की. इस दौरान सीएम भूपेश ने कहा कि कल लखीमपुर की घटना हुई, उससे पूरा देश आंदोलित है. सबने देखा कि इस घटना से किस तरह किसानों के साथ बर्बरता की गई. गोलियां चलाई गईं. गाड़ियां जलाई गईं. और किसानों पर गाड़ियां चढ़ा दी गईं. दरअसल, यह शुरू से भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सोच रही है. सीएम भूपेश ने कहा कि सही मायने में कहा जाए तो भारतीय जनता पार्टी अंग्रेजों से प्रेरणा लेकर ही ऐसी राजनीति कर कर रही है. आपको याद होगा कि 1917 में गांधी जी ठेका खेती का विरोध करने चंपारण गए थे. 1919 का जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) भी कोई भूला नहीं होगा. 1921 में शांतिगंज में भी अंग्रेजों ने गोलियां चलाई थीं, जिसका विरोध करने नेहरू जी गए थे रायबरेली.
दिल्ली में पीसी करते सीएम खट्टर और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पर भी साधा निशाना
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि ये जो आंदोलन है, वह तीन काले कानून के विरोध में पूरे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हुए. इन राज्यों के अलावा अन्य प्रदेशों में भी इसका विस्तार हुआ. विधानसभा में भी इन तीन काले कानूनों के विरोध में पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में प्रस्ताव पारित किये गये. लेकिन यह भाजपा की हठधर्मिता है. खासकर खट्टर साहब ने जो कहा कि किसान आंदोलनकारियों के खिलाफ लाठी भांजो, जेल जाओ और बड़े नेता बन जाओ. वहीं लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि सुधर जाओ नहीं तो हम सुधार देंगे.
भाजपा को किसान बिल्कुल पसंद नहीं
वहीं बघेल ने भाजपा के ऑफिसियल पोस्ट पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा के ऑफिसियल पोस्ट में हमारे जो किसान नेता हैं राकेश टिकैत, उनको किस नाम से, किस भाषा से पुकारा गया ये सब जानते हैं. इतना ही नहीं लखीमपुर की इस घटना से ये बात तय हो गई कि भाजपा को किसान बिल्कुल पसंद नहीं. विरोध के स्वर को भाजपा कतई पसंद नहीं करती. यह एक तानाशाही रवैया है. प्रियंका गांधी को सीतापुर में ही रोक लिया गया. क्योंकि मैं ऑब्जर्वर हूं, इसलिए मुझे एआईसीसी से निर्देश आया कि मैं वहां जाउं. पीसी में मुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ, प्रणव झा और संजय सिंह भी मौजूद रहे.