नई दिल्ली: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की. सीएम ने बताया कि इस मीटिंग में एथेनॉल को लेकर चर्चा हुई है. मुख्यमंत्री ने एफसीआई के अतिरिक्त राज्य के किसानों से खरीदे गए अधिशेष धान से बॉयो एथेनॉल उत्पादन के लिए अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया. साथ ही सीएम ने वनांचल क्षेत्रों में मिट्टी के तेल का कोटा बढ़ाने की मांग भी की.
सीएम ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि पैडी से एथेनॉल बनाने की अनुमति मिली है लेकिन एफसीआई के जरिए होने से राज्यों को फायदा नहीं होगा. जो सरप्लस पैडी है, उसे खपाने के लिए प्रदेश सरकार को प्लांट लगाने की अनुमति मिले. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार के पास एफसीआई के लेने के बाद जो पैडी बचता है, उससे एथेनॉल बनाना चाहते हैं. उन्होंने ये प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री को दिया है. बघेल ने कहा कि इसे लेकर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन मिला है. सीएम ने कहा कि डेढ़ साल पहले उन्होंने पैडी से एथेनॉल बनाने का प्रपोजल दिया था. अनुमति मिली, रेट भी तय हुआ अब 54 रुपए 87 पैसे प्रति लीटर दाम तय हुआ है. डेढ़ साल बाद ये सफलता मिली है.
पढ़ें: 'नक्सलवाद से सिर्फ रोजगार के जरिए लड़ सकते हैं, बस्तर में विकास की जरूरत'
6 लाख मीट्रिक टन धान से एथनॉल उत्पादन करने की अनुमति मांगी
छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ विपरण वर्ष 2018-19 में 80.38 लाख मीट्रिक टन एवं 2019-20 में 83.94 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई जिससे उत्पन्न होने वाले परिणामी चावल की केंद्रीय पूल एवं राज्य पूल में राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आवश्यक मात्रा के पश्चात भी धान सरप्लस रहा. सरप्लस धान की मिलिंग कराकर राज्य को अतिरिक्त चावल की मात्रा लेने के लिए बाध्य होना पड़ा. खाद्यान्न से एथेनॉल बनाने वाले प्लांटों की स्थापना के संबंध में राज्य की औद्योगिक नीति 2019-24 में इस संबंध में आवश्यक प्रावधान किए गए हैं.